सऊदी अरब में तबलीगी जमात पर प्रतिबन्ध लगा दिया है, और भारत में इस पर प्रतिक्रियाएं आनी आरम्भ हो गयी हैं। ऐसे में कई बातों पर गौर करना आवश्यक हो जाता है। तबलीगी जमात का नाम पिछले वर्ष अचानक से उभर कर आया था जब कोरोना की पहली लहर में उसके सदस्य थूक रहे थे और छिपकर बैठे थे। पूरे देश ने उनका गैर लोकतांत्रिक रवैया देखा और देखा कि कैसे वह लोग भारत सरकार की सहायता न करके कोरोना फैलाने में सहायक हैं।
हालांकि मौलाना साद कहाँ है, आज तक नहीं पता। भारत में तबलीगी जमात का आरम्भ वर्ष 1927 में हुआ था और मौलाना मुहम्मद इलियास अल कांधलवी देहलवी ने इस समूह की स्थापना की थी। मौलाना इलियास का कहना था कि मुसलमान इस्लाम में बताई गयी बातों से बहुत भटक गया है, इसलिए अच्छा मुसलमान बनने के लिए तबलीगी जमात की शुरुआत की गयी।
समस्या इसी अच्छे मुसलमान की धारणा से है। अच्छा मुसलमान क्या होता है? और तबलीगी ने किस प्रकार लोगों के जीवन को बदला है, इस पर भी एक नजर डालनी चाहिए।
आरम्भ अंग्रेजों के समय में ही क्यों?
एक प्रश्न उभर कर आता है कि इसका आरम्भ अंग्रेजों के समय में ही क्यों हुआ? क्या यह कोई षड्यंत्र था या फिर जो मुस्लिम और हिन्दू एक होकर अंग्रेजों के साथ लड़ रहे थे उन्हें अलग करना था? मुस्लिमों में अलगाववाद की भूमिका का विस्तार करना था। या फिर जो मुस्लिम कट्टरपंथ छोड़कर देश से जुड़ रहे थे, उन्हें मात्र संख्याबल बना लेना था? इस विषय में पसमांदा आन्दोलन से जुड़े हुए लेखक,अनुवादक और सामजिक कार्यकर्ता तथा पेशे से चिकित्सक डॉ. फैयाज़ कहते हैं कि यह प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है कि आखिर यह तभी क्यों आरम्भ किया गया?
यदि मुस्लिमों को मुस्लिम शिक्षा देनी थी तो मुगल काल में क्यों यह सब नहीं आरम्भ किया गया? यदि इतना ही मुस्लिम उसूल आरम्भ करने थे तो मदरसों को मुग़ल काल में आरम्भ कर देना था। उनका कहना है कि पिछड़े मुस्लिमों को केवल अपनी संख्याबल बनाने के लिए ही जैसे तबलीगी का गठन किया गया था।
यह बिंदु कहीं न कहीं सही ही है! डॉ. फैयाज़ कहते हैं कि तबलीगी जमात सुन्नी देवबंदी विचारधारा की है। और उनका यह भी कहना है कि सऊदी में पहले से ही इस पर प्रतिबन्ध है। भारत से ही तबलीगी जमात शुरू हुई है। हालांकि सऊदी में इस पर पहले से प्रतिबन्ध था, परन्तु फिर भी छिप छिपाकर वहां पर तबलीगी काम करती ही थी। उन्होंने कहा कि वह तबलीगी के साथ कार्य कर चुके हैं, इसलिए वह जानते हैं कि वहां सऊदी, मोरक्को आदि सभी स्थानों के लोग आते थे।
क्या भारतीय तबलीगी जमात पर प्रतिबन्ध लगा है?
एक बहुत ही रोचक चर्चा आरम्भ हुई है जिसमें कहा गया है कि सऊदी में जिस तबलीगी जमात पर प्रतिबन्ध लगा है, वह दरअसल भारतीय तबलीगी जमात है ही नहीं! उन्होंने अल-अहबाब (तबलीगी और दावाह समूह) पर प्रतिबन्ध लगाया है, जो सऊदी में आतंकी गतिविधि करते हैं। ‘
किसी समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत निकट रहे जफ़र सरेशवाला ने कहा कि जो समूह बताया गया है, वह भारत का तबलीगी जमात नहीं है, बल्कि अल हबाब है और सऊदी अरब को इस पर भ्रम दूर करना चाहिए:
क्या कहा गया था सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्रालय की ओर से
6 दिसंबर को सऊदी अरब के इस्लामिक मंत्रालय, दावा और दिशानिर्देश के ट्विट्टर हैंडल से ट्वीट किया गया कि सभी मस्जिदों को यह निर्देश दिया जाता है कि वह तबलीगी और दावाह समूहों के खिलाफ लोगों को समझाएं, और फिर उन्होंने संगठन का नाम लिखा अल-हबाब!
और फिर लिखा कि
यह मस्जिदों की जिम्मेदारी है कि वह जनता को उसकी असलियत बताएं,
और उन्होंने इसे आतंक के मुख्य द्वार में से एक बताया।
यह भी कहा कि जो भी इन अलगाववादी समूहों से समबन्धित है, वह सऊदी अरब राज्य में नहीं रह सकता।
इसी बात पर लोगों में भ्रम था कि क्या यह अलअह्बाब समूह है या भारत की तबलीगी जमात! क्या इन दोनों में अंतर है और आखिर यह प्रतिबन्ध किसके लिए है?
जफ़र सुरेशवाला इतने भड़के हुए हैं कि उन्होंने इस बात को घोषित कर दिया है कि भारत के तबलीगी जमात पर प्रतिबन्ध नहीं है और लल्लनटॉप आदि पर वह साक्षात्कार दे रहे हैं। परन्तु इस बात को डॉ. फैयाज़ एकदम स्पष्ट करते हैं कि यह प्रतिबन्ध भारत की तबलीगी जमात पर ही है।
उनका कहना है कि
उन्होंने उस प्रतिबन्ध की प्रति को देखा है, पढ़ा है और फिर अरबी जानने वालों से पढवाया एवं समझा है और उसका उर्दू अनुवाद भी पढ़ा है, जिसे पढ़कर इसमें कोई भी संदेह नहीं रह जाता है कि उन्होंने भारत की ही तबलीगी जमात पर प्रतिबन्ध लगाया है। क्योंकि यह खिलाफत को बढ़ावा देता है!
भारत में भी अलगाववादी पहचान को बढावा देने का है आरोप
भारत में भी तबलीगी जमात पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह अलगाववादी मानसिकता को बढ़ावा देती है। और अच्छा मुसलमान बनाने के नाम पर उनके भीतर इस्लामी कट्टरवाद को पालती पोसती है। भारत में एक बहुत बड़ा वर्ग है जो भारत के मुसलमानों को पिछड़ा बनाये रखना चाहता है, उसे गुलाम बनाए रखना चाहता है। वह सामाजिक मुद्दे को साम्प्रदायिक बनाते हैं, वह अपराधों को साम्प्रदायिक बनाते हैं, और तुष्टिकरण करते हैं। यह मूलत: सत्ता को अपने हाथ में लिए रहना चाहते हैं और भारतीय मूल के मुसलमानों को कट्टर बनाकर उन्हें अपनी नफरत का सिपाही बनाते हैं।
तबलीगी जमात की असलियत को सर्वेश तिवारी ने भी अपने वीडियो में बताया है।
अब प्रश्न यही उठता है कि सऊदी ने तो इस अलगाववादी समूह पर प्रतिबन्ध लगा दिया है, क्या भारत सरकार इस दिशा में कदम उठा पाएगी? वह भी तब जब तबलीगी जमात हिन्दू भारत से हिन्दू पहचान मिटाने के लिए कटिबद्ध है!