spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
24.1 C
Sringeri
Friday, April 26, 2024

“सेक्स वर्कर को न कहने का अधिकार तो पत्नी को क्यों नहीं?” दिल्ली उच्च न्यायालय ने मैरिटल रेप पर सुनवाई करते हुए पूछा

दिल्ली उच्च न्यायालय में इन दिनों एक ऐसे निर्णय पर सुनवाई हो रही है, जो परिवार के लिए बहुत घातक हो सकता है। दिल्ली उच्च न्यायालय में भारतीय दंड विधान अर्थात इन्डियन पीनल कोड की धारा 375 में प्रदत्त एक अपवाद को लेकर बहस चल रही है, जो यह बताता है कि

“”Sexual intercourse by a man with his own wife, the wife not being under fifteen years of age, is not rape”

अर्थात पति और पत्नी के बीच हुए शारीरिक सम्बन्धों को बलात्कार नहीं माना जाएगा।

दिल्ली उच्च न्यायालय में गैर सरकारी संगठनों –आरआईटी फांउडेशन और ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन्स एसोसिएशन – की ओर से दायर की गयी विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है और इन संगठनों की ओर से वकील करुणा नंदी दलीलें रख रही हैं।

करुणा नंदी की टीम ने धारा 375 में दिए गए इस अपवाद को ही चुनौती दी है। उन्होंने यह नहीं कहा है कि इस सम्बन्ध में कोई भी नया कानून लाया जाए।

इसी विषय में सुनवाई चल रही है और कल उच्च न्यायालय ने इस सुनवाई में एक अत्यंत अपत्तिपूर्ण बात की, जिसमें कहा कि एक सेक्स वर्कर को भी न कहने का अधिकार होता है, तो क्या यह अधिकार विवाहिताओं को नहीं होना चाहिए? (अपने पति के खिलाफ)

इस मामले की सुनवाई जस्टिस राजीव शकधर और सी हरिकुमार कर रहे हैं।

इस मामले की सुनवाई करते हुए पहले दिन की सुनवाई में न्यायालय ने यह कहा था कि सभी महिलाओं को न कहने का अधिकार होता है।

मंगलवार को हुई सुनवाई में न्यायालय ने यह कहा था कि चाहे महिला विवाहित हो या अविवाहित, उनके मध्य भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और हर महिला को अपनी वैवाहिक स्थिति से परे शारीरिक सम्बन्धों को “न” कहने का अधिकार होना चाहिए।

हालांकि इस सम्बन्ध में विरोध के स्वर आ रहे हैं। पुरुषों के अधिकारों के लिए कार्य करने वाले हैंडल mensday Men’s Day Out ने बहुत ही कम शब्दों में इस मामले को समझाने का प्रयास किया

उन्होंने लिखा कि यदि पत्नी शारीरिक सम्बन्धों के प्रति सहमति व्यक्त नहीं करती है और उस पर जबरदस्ती होती है तो वह निम्नलिखित मुक़दमे दायर कर सकती है

  1. मैरिटल रेप
  2. 498-ए=क्रूरता
  3. 377 अप्राकृतिक यौन सम्बन्ध
  4. घरेलू हिंसा
  5. तलाक

और यदि पत्नी शारीरिक सम्बन्धों से इंकार करता है तो पत्नी निम्लिखित मामलों को लेकर मुक़दमे दायर कर सकती है

  1. 498-ए=क्रूरता
  2. घरेलू हिंसा
  3. नपुंसकता
  4. धोखा
  5. तलाक

यह बात वास्तव में सत्य है। प्रश्न यह भी उठता है कि इस बात का निर्धारण कौन करेगा कि पति और पत्नी में कब सहमति थी और कब नहीं! क्या इसका दुरूपयोग नहीं किया जाएगा?

लोगों के मन में इसे लेकर गुस्सा है।

परन्तु कल जब न्यायालय ने यह कहा कि एक सेक्स वर्कर को तो न कहने का अधिकार है, परन्तु पत्नी को नहीं! यह स्त्रियों का और विवाह संस्था का बहुत बड़ा अपमान है? क्या एक सेक्स वर्कर और पत्नी की तुलना की जा सकती है और वह भी न्यायपालिका द्वारा?

सेक्स वर्कर पैसे देकर अपनी देह की सर्विस बेचती है, परन्तु क्या पत्नी भी यही करती है? क्या पत्नी का उत्तरदायित्व मात्र सुविधा के नाम पर देह की सर्विस बेचना है? विवाह दो लोगों और परिवारों के मध्य पवित्र सम्बन्ध है, क्या उसकी पवित्रता मात्र देह तक सीमित है? यह सत्य है कि शारीरिक सम्बन्ध ही विवाह का आधार हैं, क्योंकि विवाह मूल रूप से अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए एवं शारीरिक रूप से आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए किया जाता है।

क्या पुरुष को भी इस बात की छूट मिलेगी कि जब उसका मन शारीरिक सम्बन्धों को न बनाने का हो, वह न कर सके? क्योंकि यह अधिकार तो कस्टमर को होता ही है कि वह जब उसका मन हो तब आए!

परन्तु न्यायालय द्वारा प्रयोग किया गया एक और शब्द खटकता है और वह है empowerd अर्थात सशक्तिकरण! क्या पत्नियाँ सेक्स वर्कर से भी कम सशक्त हैं? यह एक प्रश्न उभर कर इसलिए आया क्योंकि माननीय न्यायालय द्वारा यह कहा गया कि यदि एक सेक्स वर्कर के पास न कहने का अधिकार होता है तो एक पत्नी क्यों कम सशक्त हो?

सशक्तिकरण की यह परिभाषा अचंभित करती है, क्योंकि सहज रूप से कोई भी पत्नी सेक्स वर्कर से तुलना नहीं करना चाहेगी। परन्तु यहाँ हो रही है।

इस मामले पर सोशल मीडिया पर भी लोग चर्चा कर रहे हैं तथा इस तुलना पर हैरानी व्यक्त कर रहे हैं।

दीपिका नारायण भारद्वाज ने ट्वीट किया कि

करुणा नंदी ने पति द्वारा पत्नी से यौन अपेक्षाएं की जाती हैं, उन्हें एक सेक्स वर्कर की यौन अपेक्षाओं के समकक्ष रख दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि फेमिनिस्ट विवाह नामक संस्थान को क्या समझती हैं?

एक यूजर ने लिखा कि इसका अर्थ हुआ कि पत्नी जो पति से दैनिक खर्च मांगती है, वह उस फीस के समान है जो सेक्स वर्कर अपने ग्राहक से मांगती है?

एक सेक्स वर्कर ग्राहक को पैसे लौटाकर न कह सकती है क्योंकि उसका रिश्ता केवल उस पैसे के साथ जुड़ा है, परन्तु पति और पत्नी के बीच का सम्बन्ध आपसी विश्वास और प्रेम से जुड़ा होता है, जिसकी तुलना किसी से भी नहीं हो सकती है।

लेखिका jyoti ने भी यही प्रश्न किया है कि क्या सेक्स वर्कर और पत्नी एक ही धरातल पर हैं:

यदि सेक्स वर्कर और पत्नी एक ही धरातल पर हैं तो क्या घर चकलाघर हैं? ऐसा भी कई यूजर्स ने प्रश्न किया

इस मामले की सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी

देखना होगा कि इस मामले पर क्या निर्णय आता है! इस विषय में केंद्र सरकार का यह कहना है कि वह सभी हितधारकों से बात कर रही है, फिर भी एक प्रश्न यहाँ पर यह उठता है कि आखिर बेडरूम जैसे स्थानों के मामलों में क्या न्यायपालिका और विधायिका का इस सीमा तक हस्तक्षेप उचित है? या यह ओवररीच है?

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

1 COMMENT

  1. And as usual only Hindu men has to be fearful about this law it not other men.
    This is how feminism is destroying hindu men and hindu society with the help of Hindu women.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.