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Monday, May 29, 2023

शब्द, अर्थ, परम्परा और अनुवाद: जिहाद और बुत के उदाहरण के साथ

हर शब्द अपने आप में एक इतिहास और परम्परा का निर्वाह करता है। और यही कारण है कि जो शब्द भारतीय परिप्रेक्ष्य में एक अर्थ धारण करते हैं, वह यहाँ की संस्कृति को प्रतिबिंबित करते हैं एवं जो शब्द बाहरी आक्रमणों के बाद जुड़ते चले गए वह बाहर की संस्कृति को बतलाते हैं, क्योंकि वह अरबी संस्कृति से उत्पन्न हुए! जब भी हम किसी अवधारणात्मक शब्द प्रयोग करते हैं, तो हमें न केवल स्रोत बल्कि मूल भाषा की संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए और तभी उसे अपनी भाषा में प्रयोग या अनुवाद करना चाहिए!

इसी के साथ अनुवाद को हम दो रूपों में विभाजित करते हैं, एक है सृजनात्मक अनुवाद और दूसरा है विध्वंसात्मक अनुवाद! प्रथम प्रकार का अनुवाद वह अनुवाद है जो अधिकाँश भारतीय लेखकों ने पश्चिमी या अरबी साहित्य का किया! वहीं दूसरे प्रकार के अनुवाद का शिकार संस्कृत संबंधी शब्द हुए! ऐसा ही एक शब्द है जिहाद या जेहाद, जिसे कुछ लोग धर्मयुद्ध कहकर प्रचारित कर रहे हैं! सबसे पहले तो यह समझा जाना चाहिए कि धर्म क्या है और रिलिजन क्या है?

 भारतीय परिप्रेक्ष्य में जो धर्म युद्ध है, क्या वह जिहाद है? रामायण और महाभारत में हुए दो धर्मयुद्धों का वर्णन हमें भारतीय संस्कृति में प्राप्त होता है। धर्म अर्थात कर्तव्य, धर्म अर्थात रिलिजन नहीं! जो भी व्यक्ति समाज के प्रति, अपनी प्रजा के प्रति समाज सम्मत कर्तव्यों से विमुख होता था, उसे विधर्मी की संज्ञा दी गयी! महाभारत में एक ही परिवार के भईयों के बीच युद्ध था! यह दूसरे मत पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए नहीं था! वह इसलिए था क्योंकि एक पक्ष अर्थात कौरवों ने अपने भाइयों के प्रति अपना कर्तव्य निभाने से इनकार कर दिया था। धर्म युद्ध धर्म अर्थात कर्तव्यों की स्थापना और मूल्यों की स्थापना करने के लिए होता था, इसका कहीं से कोई भी अर्थ अपना वर्चस्व स्थापित कर दूसरे पक्ष की स्वतंत्रता का हनन करना नहीं था।

परन्तु क्या यही अर्थ जिहाद का भी है? britannica के अनुसार इसका अर्थ समय समय पर बदलता रहा है, और जैसा हम अभी भी देख रहे हैं! और अब यदि जिहाद पर नजर डालते हैं, तो पाते हैं कि जिहाद का अर्थ है काफिरों अर्थात जो इस्लाम के सन्देश को नहीं मानता है, उसके साथ युद्ध करना!

भारतीय अवधारणा जहां सर्वे भवन्तु सुखिन: की है तो वहीं जो जिहाद करते हैं उनकी अवधारणा ही यह है कि हमारे मत के अलावा किसी और मत का पालन करना कुफ्र है और उसकी व्याख्या इसी प्रकार की गई है कि जो इस्लाम को नहीं मानते हैं, उन्हें इस्लाम की छतरी में लाना ही जिहाद है, जिस जिहाद का शिकार आज पूरी दुनिया हो रही है!

धर्म का पालन करने वाले शिवाजी जब धर्म युद्ध करते हैं तो विधर्मियों के परिवारों की स्त्रियों को ससम्मान वापस भेज देते हैं और जब जिहाद होता है तो हारे हुए समुदाय की स्त्रियों को “माल-ए-गनीमत” कहा जाता है!

ईराक में यजीदी समुदाय अभी तक पहचानों के टुकड़े समेट ही रहा है! हालांकि कुछ विद्वानों के अनुसार जिहाद का असली अर्थ अपनी बुराइयों से संघर्ष है, मगर यह व्यापक परिप्रेक्ष्य में दिखाई नहीं देता! जब बाबर ने अपनी सेना को प्रेरित किया था तो उसने भी काफिरों के प्रति जिहाद का आह्वान किया था। इस बात का जो अलग अर्थ विद्वान बताते हैं, उन्हें खुलकर सामने आना चाहिए!

19 लड़कियों को लोहे के पिंजरे में डालकर जिंदा जला दिया
यजीदी समुदाय की लड़कियों को जिंदा जलाने के लिए ले जाते आईएसआईएस के लोग https://www.amarujala.com/international/crime/islamic-state-burns-19-yazidi-girls-alive-for-refusing-to-be-sex-slave

और जो लोग धर्म युद्ध और जिहाद को एक सिक्के के ही दो पहलू बताते हैं, उन्हें पहले धर्म का व्यापक सन्दर्भ और अर्थ समझना होगा, और मजहब कभी धर्म का पर्याय नहीं हो सकता है, यह हमें समझना होगा!

वैसे इस प्रकार के कई शब्द हैं, तथा अनुवादक एवं लेखक के रूप में अब मैं इस पक्ष में हूँ कि सांस्कृतिक अवधारणा वाले शब्दों को ज्यों का त्यों ही लेना चाहिए! जैसे धर्म का अर्थ मज़हब या रिलिजन नहीं हो सकता है, मज़हब को मज़हब ही लिया जाए, रिलिजन को रिलिजन, पंथ को पंथ और धर्म को धर्म क्योंकि धर्म का अर्थ है जो धारण किया जाता है! हमारे द्वारा धारण किया गया आचरण ही हमारा धर्म है, वह हमारा मजहब नहीं है!

वह बुत तोड़ने को अपना मजहब समझते हैं, हिन्दू अपनी प्रतिमाओं में देवों को साक्षात देखता है तो इन दोनों शब्दों की तहजीब और संस्कृति को समझना होगा कि बुत के लिए उनके शायर कहते हैं कि वो दिन गए कि दाग़थी हर दम बुतों की याद

पढ़ते हैं पाँच वक़्त की अब तो नमाज़ हम

दाग़ देहलवी

(अर्थात बुतों की याद दाग थी और अब नमाजी हो गए हैं अर्थात दाग और शैतान त्याग कर मुसलमान हो जाना!)

ये शहर वो है जहाँ राक्षस भी हैं राहत

हर इक तराशे हुए बुत को देवता न कहो

राहत इन्दौरी

यह कुछ शायरी हैं जो बुत पर हैं, बुत का अर्थ या तो शैतान के अर्थ में है या फिर जिसमें जान न हो!

शब्दों को बहुत सोच समझकर प्रयोग करें, हर धर्म अपने आप में एक विशेष अर्थ का संवाहक होता है, अत: इस जाल में फंसने से बचें कि रिलिजन और धर्म एक हैं, जिहाद और धर्मयुद्ध एक है! भाषा की संस्कृति एवं संस्कृति की भाषा समझें और शब्दों के जाल में फंसने से बचें!

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