उत्तर प्रदेश में दंगाइयों पर कार्यवाही जारी है। इसी क्रम में प्रयागराज में जहाँ जावेद पम्प का घर प्रशासन द्वारा बुलडोज़र से ढहाया गया तो वहीं अटाला मस्जिद के इमाम को भी पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया गया। जहाँ जावेद पम्प का घर ढहने से जेएनयू में फिर वही सब देखने को मिला, जो हर बार होता है तो वहीं अभी तक अटाला मस्जिद के इमाम को गिरफ्तार करने पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
जावेद पम्प की बेटी आफरीन फातिमा जेएनयू में मुस्लिम नेता है। मुस्लिम पहचान के लिए लडती है, और जाहिर है कि सीएए के खिलाफ भी लड़ी ही होंगी। इन्होनें सीएए के दौरान भी उत्तेजक और संविधान विरोधी भाषण दिए थे और अब जब प्रयागराज में दंगे भड़के और पुलिसवालों पर भी हमले हुए, तो इसमें मुख्य आरोपी सरकार की ओर से जावेद पम्प को पाया गया। हालांकि प्रशासन के अनुसार इस घर में अवैध निर्माण कराया गया था, और जब नोटिस का उत्तर नहीं दिया गया तो अब घर ढहाने की कार्यवाही की गयी!
इस पर सारा जेएनयू गैंग सक्रिय हो गया है। यह हैरानी भरी बात है कि यह गैंग तब सक्रिय नहीं होता, जब इनके ही समुदाय के बच्चों का प्रयोग पुलिस पर गोली चलाने के लिए होता है, हिन्दुओं को गाली देने के लिए होता है, हिन्दुओं में प्रति घृणा प्रदर्शन केलिए होता है? यह पूरा का पूरा गैंग तभी सक्रिय होता है, जब इनके किसी के घर को छुआ जाता है।
क्या कारण है कि राना अयूब जैसे लोग भड़काते हैं और सैकड़ों की संख्या में आम मुस्लिम गोली खाते हैं। और फिर जो मरते हैं, उनके घर वालों के वीडियो भी एजेंडे के अनुसार बनाए जाते हैं, जैसा कि यह वीडियो वायरल हो रहा है
जब जावेद के घर बुलडोजर चल रहा था, तो जेएनयू में इसे मुस्लिम शोषण का एजेंडा बताते हुए हंगामे की तैयारी की जा रही थी और इसमें पेट्रोल डालने के लिए सेक्युलर पत्रकारों की पूरी की पूरी जमात तैयार थी। यह सेक्युलर जमात इन मुस्लिमों को भड़काकर, इनमें उस दल या धर्मनिष्ठ हिन्दुओं के प्रति जहर भरकर अपने वीडियो बनाकर लाखों दर्शक प्राप्त करते हैं, अपना लाभ देखते हैं और फिर इन मुस्लिमों के मन में हिन्दुओं के प्रति भरी गयी स्थाई घृणा का लाभ उठाते हैं।
आरफा खानम शेरवानी जैसी पत्रकार भी इस बात पर एकदम चुप है कि नुपुर शर्मा का पुतला किस प्रकार टांगा गया, मगर वह अपना एजेंडा अभी भी चला रही हैं। इस विषय में भी लोगों का कहना था कि कांग्रेस के खिलाफ बोलने की आपकी हिम्मत नहीं है
खैर, प्रयागराज में जैसे ही बुलडोजर चला, इसे तत्काल ही मुस्लिमों पर अत्याचार बना दिया गया। और उसके बाद इसे मुस्लिम एक्टिविस्ट का घर गिराए जाने को लेकर प्रचारित किया जाने लगा। और यह कहा जाने लगा कि केवल मुस्लिम होने के कारण ही यह मकान गिराया जा रहा है। शर्जिल उस्मानी ने लगातार कई ट्वीट किये और यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि यह मात्र मुस्लिम पहचान से जुड़ा हुआ और मुस्लिमों पर होने वाला अत्याचार है
जब यह हो रहा हो और राना अयूब पीछे रह जाएं ऐसा नहीं हो सकता। जैसे ही यह समाचार फैला वैसे ही राना अयूब विक्टिम कार्ड खेलने के लिए आ गईं और कहा कि मुस्लिमों के साथ भारत में यह इसलिए हो रहा है क्योंकि उनके पक्ष में अंतर्राष्ट्रीय रूप से गुस्सा फूटा था। सारा विश्व उनके साथ था, इसलिए भारत में उनके साथ यह हो रहा है:
यह वही अफरीन फातिमा हैं, जिन्होनें उच्चतम न्यायालय तक का अपमान किया था, और राम मंदिर निर्णय का अपमान किया था।
परन्तु ऐसे ही लोग “लिबरल” जगत के नायक होते हैं, आदर्श होते हैं। जो मुस्लिम पहचान को ऊपर रखें और संविधान का अपमान करें। ऊपर वाले वीडियो में भी वह लोगों को भड़काती हुई दिखाई दे रही है।
ऐसे ही जेएनयू की एक एक्टिविस्ट हैं, स्नेहाशीष, उनका कहना है कि जब सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान वह लोग आफरीन फातिमा के घर रुके थे। सुन्दर घर, अच्छे लोग और अच्छा खाना, अब घर टूट गया है!
यहाँ यह स्मरण रखना चाहिए कि जो लोग नुपुर शर्मा मामले के बाद हिंसा फैलाते हुए पकडे जा रहे हैं, वही लोग सीएए में भी घृणा फैला रहे थे। वही लोग उस समय भी हिंसा फैला रहे थे, जब पड़ोसी देशों से हिन्दुओं को नागरिकता देने के लिए सीएए बना था। जैसे अभी उन्हें यह मतलब नहीं है कि अंतत: नुपुर शर्मा ने क्या कहा है? बस उन्हें इतना पता है कि उन्हें शोर मचाना है, नबी के अपमान का! पर यह नहीं बताना कि नुपुर शर्मा ने क्या गलत कहा था और सजा मात्र क़ानून देगा, उनका शरिया नहीं!
भारत का पढ़ा लिखा कथित शिक्षित मुस्लिम वर्ग ऐसा लगता है जैसे इस देश में शरिया ही लागू है, ऐसा समझता है, तभी वह मुस्लिम पहचान के साथ आगे बढ़ता है। उसे हिन्दुओं के विरुद्ध होती हिंसा नहीं दिखती है, उसे अपने देवी देवताओं पर मान करता हुआ हिन्दू पसंद नहीं है, उसे वही हिन्दू पसंद हैं, जो अपने राम और महादेव का उपहास नए विमर्श के माध्यम से उड़ाते हैं।
यह भी इस देश का दुर्भाग्य है कि जहाँ लोग तमाम तरह के अपराध करके भी मुस्लिम पहचान के नाम पर अंतर्राष्ट्रीय प्रोपोगैंडा फैला सकते हैं, तो वहीं हिन्दू होने की पहचान पर उनका बहिष्कार आरम्भ हो जाता है। प्रखर हिंदुत्व विमर्श के दर्पण में आतंकवाद है और कट्टर इस्लामिस्ट पहचान, जो संविधान को नहीं मानती है, जो उच्चतम न्यायालय के निर्णय को नहीं मानती है, और जो निरंतर इस देश के हिन्दुओं को प्रताड़ित करती है वह बेचारी बन जाती है।
जेएनयू में इसे लेकर प्रदर्शन भी हुए हैं। परन्तु यह अत्यंत दुःख की बात है कि नुपुर शर्मा के बहाने हिन्दुओं के प्रति घृणा निकाले जाने को लेकर वह पूरी की पूरी लॉबी शांत है! पाकिस्तान से भी जाहिर है कि इन्हें समर्थन मिल गया है:
यह लॉबी बार बार भारत को इस्लामिक देश बनाने की ओर धकेल रही है और इसमें इनका सहयोग वामपंथी, सेक्युलर और भारत के विपक्षी दल कर रहे हैं। यह वोटबैंक और मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा है!
अटाला मस्जिद के इमाम को किया गया गिरफ्तार
प्रयागराज की अटाला मस्जिद के इमाम की संलिप्तता भी पुलिस को दिखाई दी थी तो खुल्दाबाद पुलिस ने रविवार को बवाल और साजिश रचने के आरोप में पेशइमाम समेत 24 लोगों को गिरफ्तार कर लिया, इनमें तीन नाबालिग हैं।
लोगों के अनुसार यह वही इमाम था, जिसने मुस्लिम युवाओं को दंगा करने के लिए उकसाया था और पुलिसकर्मियों को काफिर कह कर, उन पर हमला करने के लिए भड़काया था।