इस बार फिर से होली शुक्रवार को पड़ रही है। शुक्रवार का दिन आते ही कुछ कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा जुमे की नमाज के आधार पर प्रशासन के लिए समस्या उत्पन्न करना आरम्भ कर दिया जाता है, जैसा हमने गुरुग्राम में कई सप्ताह तक देखा था। परन्तु इसे लेकर त्योहारों पर भी हंगामा होता है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के चुनावों में यह मुख्य रूप से बात कही जाती रही कि अगर होली मनानी है तो भारतीय जनता पार्टी को वोट दें!
ऐसा क्यों था? क्या समाजवादी पार्टी की सरकार में होली को मनाने पर रोक थी? कई प्रश्न इस वाक्य से उठते हैं। चित्रकूट में विश्व हिन्दू परिषद कानपुर प्रांत के धर्माचार्य संपर्क विभाग में जब चिंतन बैठक का आयोजन किया गया था तो काशी विश्वनाथ से आए जीतेन्द्र नन्द सरस्वती ने वर्ष 2015 की घटना का स्मरण कराते हुए कहा था कि वर्ष 2015 में शुक्रवार को होली का त्यौहार पड़ा था और तब सपा का शासन था। उस समय सरकार ने यह घोषणा की थी कि मात्र 11 बजे तक ही होली खेली जाएगी और उसके बाद जुमे की नमाज के कारण रंग न चले।
यह भी संयोग है कि इस वर्ष भी रंग शुक्रवार को खेला जाएगा और लोगों के मन में जिज्ञासा थी कि क्या होगा? परन्तु भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दोबारा आने के बाद लखनऊ में इस्लामिक सेंटर ने एक एडवाईजरी जारी की है, जिसमें लिखा है कि सभी एक दूसरे के धार्मिक जज्बात का ध्यान रखें और कुछ मस्जिदों में नमाज के समय को भी आगे बढ़ा दिया गया है।
इस गाइडलाइन के अनुसार निम्न बिन्दुओं पर अपील की गयी है:
- 18 मार्च को जुमा, शब-ए-बारात और होली को देखते हुए अवाम से अपील है कि देश की गंगा जमुनी सभ्यता और रिवायत का ख्याल करते हुए एक दूसरे के धार्मिक जज्बात का ख्याल रखें।
- मुसलमान अपने अपने मोहल्ले की मस्जिद में नमाज अदा करें।
- जिन मस्जिद में जुमे की नमाज़ 12:30 से 1 बजे के बीच में होती हैं वहां 30 मिनट आगे बढ़ा दें।
- शब-ए-बारात में मुसलमान अपने मरहूम रिश्तेदारों के ईसाले सवाब के लिए कब्रस्तिान जाते हैं वह शाम 5 बजे के बाद ही जायें।
- जामा मस्जिद ईदगाह लखनऊ में जुमे की नमाज का समय 12:45 से बढ़ाकर 18 मार्च को 2 बजे कर दिया गया है।
वर्ष में एक ही बार आता है होली का पर्व
वर्ष में एक ही बार होली का पर्व आता है, जिसमें हिन्दू मस्ती में सराबोर होकर रंग लगाते हैं, ऐसे में यह बहुत ही पक्षपात पूर्ण व्यवहार होता था कि वर्ष में एक बार होने वाले पर्व के लिए भी समय सीमा निर्धारित कर दी जाए।
कई उत्पादों के विज्ञापन भी इस बार होली की भावना के अनुसार ही बनाए गए हैं
पाठकों को स्मरण होगा कि कैसे हर पर्व के आते ही हिन्दुओं को सलाह देना कई उत्पाद आरम्भ कर देते थे कि यह न करें, वह न करें, ऐसा करें! कैसे हिन्दुओं को हिन्दुओं के ही पर्वों में दोषी बनाकर प्रस्तुत कर दिया जाता था। सर्फ़एक्सेल का होली वाला विज्ञापन सभी को याद होगा। अत: इस बार भी यह अपेक्षा की जा रही थी विज्ञापन कहीं फिर से “हिन्दुओं” को ही कठघरे में खड़ा करता हुआ नहीं बनेगा?
परन्तु ऐसा नहीं हुआ। इस बार विज्ञापन जगत ने रचनात्मक और सुखद विज्ञापन बनाए हैं। कम से कम सर्फ़ एक्सेल के विषय में ऐसा कहा जा सकता है!
अलीगढ़ में एक मस्जिद को रंग से बचाने के लिए ढाक दिया गया
अलीगढ़ से एक बहुत ही हैरान करने वाली सूचना आई है। वहां पर होली के दौरान शान्ति बनाए रखने के लिए मस्जिद को पर्दों से ढकवा दिया गया है। एएनआई के अनुसार
“अलीगढ़ में स्थित एक मस्जिद को सुरक्षा कारणों से प्रशासन की ओर से कपड़े और पन्नी से ढक दिया गया है। एक व्यक्ति ने बताया, “होली के त्योहार पर रंगों और गंदगी से बचाने के लिए इस मस्जिद को पिछले 5 सालों से प्रशासन की ओर से ढक दिया जाता है।”
यह पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है।
जनसत्ता के अनुसार
“अब्दुल करीम चौराहा काफी संवेदनशील चौराहों में से एक माना जाता है। इस चौराहे पर मुख्य बाजार की होली मनाई जाती है। बीते 5 सालों में होली के दिन मस्जिद पर रंग पड़ने के चलते कई बार हंगामा देखा गया है। एहतियात के तौर पर प्रशासन होली के आसपास के दिनों में मस्जिद को कपड़ों व पन्नी से ढकता आ रहा है, जिससे किसी प्रकार का बवाल ना हो।“
हालांकि कुछ कट्टरपंथी तत्व इस बात को लेकर हिन्दुओं को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं कि उनके डर के कारण मस्जिद को ढाकना पड़ रहा है,
यही ऐसे तत्व हैं जिन्हें सामंजस्यता के हर कदम पर समस्या होती है और यही तत्व हैं जो सौहार्द बिगाड़ने का कार्य करते हैं।