spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
25.1 C
Sringeri
Thursday, October 10, 2024

“मदरसा में पढ़ो, मुस्लिम की तरह कपड़े पहनो” उन्नाव में हिन्दू ब्राह्मण परिवार की लड़कियों को मुस्लिम लड़कों की धमकी, लड़कियों ने छोड़ी पढ़ाई! पुलिस ने किया 6 आरोपियों को गिरफ्तार!

अभी उच्चतम न्यायालय में हिजाब का मामला चल रहा है, और बार बार यह कहा जा रहा है कि यह चॉइस का मामला है, लड़कियों पर निर्भर करता है कि वह पहने या नहीं! परन्तु क्या यह वास्तव में विकल्प है? क्योंकि जैसे वीडियो और जैसे तर्क हमें मौलानाओं के सुनाई पड़ते हैं, उसके आधार पर क्या हम यह तय कर सकते हैं कि आखिर यह बाध्यता क्यों नहीं होगी? खैर, यह मुस्लिमों का आपसी मामला है और उस पर निर्णय न्यायालय देंगे ही।

परन्तु क्या वह अपने मजहबी विचार दूसरों पर तब भी नहीं थोपेंगे, जब वह बहुसंख्यक होंगे? यह एक बहुत बड़ी समस्या है, और यहीं पर आकर उनकी तमाम कथित उदारता का पता चलता है। क्या होता है, जब यह समुदाय बहुसंख्यक हो जाता है? क्या होता है जब इनकी संख्या इतनी हो जाए कि यह अपना क़ानून चलाने लगें? यह हम अफगानिस्तान में देख चुके हैं और ईरान में देख ही रहे हैं।

मगर भारत में भी यह मामले देखे जाते हैं कि जब इनकी संख्या अधिक होती है, तो यह क्या करते हैं? वह पलायन के लिए विवश करते हैं, ये वही लोग हैं, जो अपनी संख्या बढ़ने के साथ ही दूसरे समुदाय की लड़कियों को प्रताड़ित करने लगते हैं ताजा मामला आया है उत्तर प्रदेश के उन्नाव से! जहाँ पर एक ब्राह्मण परिवार की लड़कियों को स्कूल छुडवाकर मदरसा में शिक्षा पूरी करने का दबाव डाला जा रहा है।

इस सम्बन्ध में बताया जा रहा है कि तीन सगी बहनों ने मुस्लिम लड़कों से परेशान होकर पढ़ाई छोड़ दी है। लडकियां कहती हैं कि लड़के उनसे मदरसे में पढने के लिए कहते हैं। साथ ही स्कूल की यूनिफार्म शर्ट-स्कर्ट पहनने से भी रोकते हैं। उनसे रास्ते में अश्लील हरकतें करते हैं। उनके पिता के फोन पर गंदे-गंदे मैसेज भेजते हैं। आरोपी कहते हैं, “अगर तुम लोगों को हमारे इलाके में रहना है, तो हमारी तरह रहना पड़ेगा। मदरसों में ही पढ़ना पड़ेगा।”

इन लड़कियों को पिछले छह महीनों से परेशान किया जा रहा था।

इन लड़कियों को गाँव के मुस्लिम युवक जीशान, राजा और अतीक पिछले छः माह से प्रताड़ित कर रहे हैं। पीड़िता लड़कियों के पिता ने बताया कि 17 सितम्बर को डीएम अपूर्वा दुबे से शिकायत की थी और उसके बाद हालांकि दो आरोपियों को हिरासत में लिया गया, परन्तु जल्द ही उन्हें छोड़ दिया गया, और उसके बाद से तो उन्होंने उनका जीना ही कठिन कर दिया है।

पीड़ित की सबसे बड़ी बेटी का कहना है कि मुस्लिम आबादी वाले इलाके में घर होने से वह हर रोज हमारे घर के बाहर आकर गाली गलौज करते है और धमकी देते है कि हमारे इलाके में रहना है तो हमारे जैसे ही रहना पड़ेगा, मदरसों में ही पढ़ना पड़ेगा और मुस्लिमों जैसे ही कपड़े पहनने होगें, नहीं तो पूरे परिवार को जान से मार देगें।

इतना ही नहीं मुस्लिम युवक हमारे पापा के फोन पर काॅल करते है और अश्लील मैसेज भी भेजते है, जिसका विरोध करने पर वह हमें घर से उठा लेने की धमकी देते हैं।

हालांकि अब कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और पुलिस के अनुसार आगे ही कार्यवाही की जा रही है।

लेखक एवं महिलाओं के लिए बात करने वाली फेमिनिस्ट लेखिकाएं इन सब मामलों में सुविधाजनक चुप्पी साधे रहती हैं

उन्नाव की लड़कियों को उनके धर्म को लेकर प्रताड़ित किया जा रहा है, परन्तु भारत की फेमिनिस्ट इस बात के लिए लड़ रही हैं कि मुस्लिम लड़कियों के पास हिजाब का अधिकार होना चाहिए। वह मुस्लिम लड़कियों के बहाने भारत की हर लड़की को उस परदे में बंद करना चाहती हैं, जिसका आधार पूरी तरह से मजहबी है, जिसका आधार पूरी तरह से “औरत” की अवधारणा पर आधारित है।

“औरत” अर्थात छिपाकर रखने वाली कोई चीज!

फेमिनिस्ट औरत की उसी अवधारणा पर काम कर रही हैं और वह हिजाब के पक्ष में जाकर खड़ी हो गयी हैं, बिना यह सोचे समझे कि वह केवल मुस्लिम महिलाओं को ही नहीं बल्कि यह पर्दा हिन्दू लड़कियों पर भी आएगा? क्योंकि उनकी दृष्टि में बेपर्दा “औरतें” अर्थात ऐसी औरतें जिनका किरदार या चरित्र सही नहीं होता या फिर कहा जाए जो बाजारू होती हैं!

यहाँ तक कि कथित रूप से आजाद और उदार अकबर “महान” ने भी औरतों के लिए वही नियम बनाए थे जो आज उन्नाव में लोग थोपने की कोशिश कर रहे हैं। अकबर के काल में अल बदाऊंनी ने मुन्तखबु-त-तवारीख, में इस नियम का हवाला देते हुए लिखा है कि ऐसा नियम था कि अगर कोई औरत बिना परदे के बाजार में दिखाई देती है तो उसे तवायफों के कोठे पर पहुंचा दिया जाए और वह वही काम करेगी!

दुर्भाग्य से यही अकबर फेमिनिस्टों का प्रिय है और फेमिनिस्ट भी इस बात पर सहमत है कि हिजाब से दरअसल “आबरू की हिफाजत” होती है, और यही कारण हैं कि वह न ही उन हिन्दू लड़कियों के पक्ष में बोलती हैं, जो कट्टरपंथी मुस्लिमों का शिकार होती हैं!

दरअसल “फेमिनिज्म” कट्टर इस्लाम का ही एक दूसरा चेहरा है, जो इस पूरी दुनिया की महिलाओं को परदे के बाजार या बाजार के पर्दे में कैद करना चाहता है!  

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.