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Wednesday, April 24, 2024

“औरत हिजाब में रहेगी तो बलात्कार में कमी आएगी” सपा सांसद शफीकुर्रहमान

समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है। वैसे तो वह मजहबी बयान देने वाले ही माने जाते हैं, मगर इस बार उन्होंने अपने ही समुदाय की औरतों के विषय में कहा है। उनका कहना है कि औरत के लिए इस्लाम में पर्दा बनाया है और लड़कियों को परदे में ही रहना चाहिए।

उन्होंने रिपब्लिक टीवी को दिए गए इंटरव्यू में पहले तो अलकायदा वाले बयान पर कहा कि “वीडियो वाले जाने, या  अलकायदा वाले जानें, मुझे इससे मतलब नहीं है।“ ऐसा कहकर उन्होंने अलकायदा से दूरी बनाने की कोशिश की, परन्तु वह तालिबान को आजादी के सिपाही जैसा कुछ पहले कह चुके हैं, ऐसे में यह दूरी कितनी सार्थक है इस पर प्रश्न है। हालांकि तालिबान ने भी मुस्कान के लिए समर्थन दिया था।

उसके बाद उन्होंने हिजाब पर बात करते हुए कहा कि

“हिजाब इस्लाम में जरूरी है और यह एक मजहबी मामला है। यह कोई सियासी मसला नहीं है। इस पर सरकार या फिर कर्नाटक के लोगों ने जो एक्शन लिया है वो गलत है। यह एक मजहबी मामला है, और इस्लाम कहता है कि जब एक लड़की जवान हो जाए तो वो पर्दे में रहनी चाहिए। अगर वो स्कूल या कॉलेज में हिजाब पहनकर जाती है तो उसमें क्या बुराई है। क्यों इस पर ऐतराज किया जा रहा है? इस्लाम में हिजाब जरूरी है।”

यह भी ध्यान देने वाली बात है कि जहाँ एक ओर तालिबान और अलकायदा जैसे लोग भारत में मुस्कान को समर्थन दे रहे हैं, हिजाब को लेकर उसके साथ की बातें कर रहे हैं तो वहीं तालिबान ने तो अफगानिस्तान में लडकियों की पढ़ाई पर ही रोक लगा दी है।

तालिबान के बाद अब अलकायदा ने मुस्कान की तारीफ़ की थी और उसे अपनी बहन बताया था:

शफीकुर्रहमान के विचार हों, या फिर तालिबान के या फिर अब अलकायदा के विचार, हिजाब और औरतों के बारे में उनके विचार एकदम वही हैं। जहाँ तालिबान अपने यहाँ औरतों को पूरी तरह से कैद रखना चाहता है। तालिबान ने पिछले दिनों लड़कियों के लिए स्कूल खोले थे और मुस्कान की तारीफ करने वाला तालिबान, अपने यहाँ पर लड़कियों को पढ़ने की भी आजादी नहीं देता है और यह तर्क देता है कि लडकियों को कक्षा 6 से अधिक नहीं पढ़ाया जाना चाहिए!

अब 200 से अधिक दिन हो गए हैं, मगर उन्होंने अपने यहाँ पर लड़कियों को पढने के लिए स्कूल नहीं खोले हैं

और तालिबान ने इसी आधार पर लडकियों को पिछले दिनों स्कूल से वापस भेज दिया था कि यूनिफार्म इस्लाम के अनुसार नहीं है।

इस्लाम के अनुसार पहनावा ही वह मूल है जिसके आधार पर तालिबान, अलकायदा और शफीकुर्रहमान तीनों ही आपस में परस्पर जुड़े हैं। हिजाब इस्लाम का अभिन्न अंग है, यही एक बहुत बड़ा वर्ग बार बार दावा कर रहा है। एवं इसी पर मुस्कान को समर्थन मिल रहा है। तालिबान ने जब मुस्कान की प्रशंसा की थी, तब हालांकि उसके अब्बा की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी, परन्तु अलकायदा वाले समर्थन पर अवश्य ही यह बात कही गयी है कि वह इस देश में खुश हैं, और अलकायदा के समर्थन की उन्हें जरूरत नहीं है।

फिर भी हिजाब को लेकर जो बार बार समर्थन मिल रहा है, वह केवल इसी बात को लेकर मिल रहा है कि हिन्दुस्तान में मुस्लिम औरतों को हिजाब की आजादी नहीं है। इस पर कोई नहीं बात कर रहा है कि केवल स्कूल में ही हिजाब पर प्रतिबन्ध है, अन्य स्थानों पर नहीं!

पाकिस्तान से तो मुस्कान को समर्थन ही नहीं मिला था, बल्कि यह तक मांग की जाने लगी थी कि 8 मार्च को हिजाब दिवस के रूप में घोषित कर दिया जाए।

तालिबान के प्रति नर्मी भी दिखाई थी शफीकुर्रहमान ने और भाजपा कार्यकर्त्ता बाबर की हत्या को भी सही ठहराया था और साथ ही वन्देमातरम का भी विरोध किया था

शफीकुर्रहमान ने भले ही यह कहा हो कि अलकायदा वाले जानें, परन्तु इस्लामी कट्टरपंथ उनके भीतर कूट कूट कर भरा हुआ है और वह बार बार दिखाई देता रहता है। जब तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता हासिल की थी तो उन्होंने कहा था कि हिंदुस्तान में जब अंग्रेजों का शासन था और उन्हें हटाने के लिए हमने संघर्ष किया, ठीक उसी तरह तालिबान ने भी अपने देश को आजाद किया।

और उन्होंने तालिबान की प्रशंसा करते हुए यह तक कहा था कि तालिबान ने रूस और अमेरिका जैसे ताकतवर देशों को टिकने नहीं दिया

 मगर उसी तालिबान के अफगानिस्तान से हिन्दू और सिखों को भागकर आना पड़ा, यह नहीं दिखाई देता है। और न ही यह दिखाई देता है कि वह कैसे अपनी ही कौम की औरतों को गुलाम बनाकर रखे हुए है।

इतना ही नहीं शफीकुर्रहमान वन्देमातरम का विरोध कर चुके हैं एवं संसद में जब वन्देमातरम की धुन बजाई जा रही थी, तो उठकर चले गए थे।

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के पसमांदा कार्यकर्ता की हत्या मुस्लिमों द्वारा ही कर दी गयी थी, जिसे सही ठहराते हुए कहा था कि बाबर की हत्या ठीक है क्योंकि वह गलत कर रहा था

यह कहा जा सकता है कि शफीकुर्रहमान जैसे लोग अपने समुदाय के लोगों को कहीं न कहीं उसी कट्टरपंथ के जाल में फंसा देखना चाहते हैं जिसमें वह अभी तक उन्हें रखे हुए थे! या फिर कहा जाए कि हिजाब और औरतों पर शफीकुर्रहमान, तालिबान, अलकायदा सभी एक ही मत हैं!

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