वामपंथी इतिहास से भागते हैं, वह इतिहास को मिथक और मिथकों को इतिहास बनाना चाहते हैं और उसी के आधार पर अपना साहित्य और कथित इतिहास रचते हैं। अपने राजनीतिक विचारों के आधार पर ही इतिहास लिखते हैं। अपने धार्मिक विचारों के आधार पर भी कथित इतिहास और साहित्य की रचना करते हैं। भारत को पिछड़ा बताते रहते हैं। यही साबित करते हैं कि भारत में पिछड़ापन था, भोजन नहीं था, कला नहीं थी आदि आदि। परन्तु क्या वास्तव में ऐसा था? महर्षि वाल्मीकि की रामायण से लेकर वेदों, और उपनिषदों में ज्ञान का भंडार है।
फिर भी आज हम अपने पाठकों को विदेशी यात्रियों के विवरणों के माध्यम से बताएँगे कि आखिर आज से हजारों वर्ष पूर्व भारत कैसा था? जो लोग यह कहते हैं कि हमें सब कुछ ऐसे लोगों ने सिखाया, जिन्होनें मंदिर तोड़कर ही अपना इतिहास लिखा है, उन्हें तनिक और पढ़ना चाहिए।
मेगस्थनीज़ एवं एर्रियन द्वारा मौर्य काल और उसके आसपास के भारत का वर्णन अंग्रेजी में उपलब्ध है। एन्शिएंट इंडिया के नाम से इन दोनों ही यात्रियों के विवरणों को अनूदित किया गया है। आइये कुछ अंश पढ़ते हैं।
मेगस्थनीज की इंडिका के माध्यम से लिखा है कि भारत के निवासी अपने देश और गौरव पर अभिमान करने वाले थे और वह विभिन्न प्रकार की कलाओं में कुशल थे, जैसा कि उन व्यक्तियों से अपेक्षित है जो शुद्ध हवा का सेवन करते हैं एवं बहुत ही शुद्ध जल पीते हैं।
भारत की भूमि पर जो मिट्टी है उसमें हर प्रकार के फल लगते हैं, जितने फलों के विषय में कृषि में ज्ञान है तथा इस मिट्टी में अतुलनीय धातु पाई जाती हैं, फिर वह सोना हो, चांदी हो या फिर तांबा या लोहा। जिनका प्रयोग आभूषण एवं अन्य वस्तुएं बनाने में किया जाता है जैसे युद्ध के लिए अस्त्र,शस्त्र!
मेगस्थनीज जो सबसे महत्वपूर्ण बात लिखता है उसे पढ़ना चाहिए। वह लिखता है कि भारत में जिस प्रकार से खेती होती है और जिस प्रकार से मिट्टी एवं वर्षा आदि की प्रचुरता है, उसे देखते हुए यह पुष्टि की जाती है कि भारत में कभी भी अकाल नहीं पड़ता था। तथा भारत में कभी भी पोषण देने वाले खाद्य पदार्थों की कमी नहीं होती थी।
यह सब मौर्यकाल में आया हुआ यात्री मेगस्थ्नीज़ बता रहा है। आइये और पढ़ते हैं। ऐसा कैसे हो सकता था कि भारत में अकाल न पड़ता हो क्योंकि युद्ध तो होते ही रहते थे। परन्तु क्या कैसे मुस्लिम आक्रमणकारियों ने किसानों को निशाना बनाया था, और भारत को निर्जन बनाया था, क्या प्राचीन भारत में युद्ध ऐसे ही हुआ करते थे?
इस विषय में लिखा है कि यदि युद्ध भी हो रहे होते थे, तो भी किसानों को हर प्रकार के खतरों से मुक्त रखा जाता था। सैनिक खेतों में फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाते थे और परस्पर युद्ध करने वाले राजा न ही अपने शत्रुओं की भूमि में आग लगते थे और न ही वृक्ष काटते थे!
इससे एक बात स्पष्ट होती है कि यदि युद्ध भी होते थे तो युद्ध के नियमों में कृषि एवं पर्यावरण को हानि न पहुंचाना और आम जनता को हानि न पहुंचाना मुख्य नियम हुआ करता था।
भारतीयों के विषय में मेगस्थनीज क्या लिखता है उसे पढ़ना चाहिए। वह लिखता है कि यह कहा जाता है कि इवने विशाल भारत में जहाँ कई जातियों के लोग हैं, उनमें से एक भी मूल रूप से विदेशी उच्चारण की नहीं है, अर्थात बाहर से आई हुई नहीं है बल्कि सभी प्रमाणिक रूप से देशज हैं। और यह कि भारत न ही कभी किसी का उपनिवेश रहा है और न ही उसने किसी देश को अपना उपनिवेश बनाया है।
आगे लिखा गया है कि “कई शहरों में सरकार का लोकतांत्रिक रूप है”
भारतीयों की कुछ परम्पराओं में जो सबसे उल्लेखनीय परम्परा है वह है कि उनके प्राचीन संतों एवं दार्शनिकों द्वारा यह कहा गया है कि उनमें से कोई भी किसी का दास नहीं होगा, फिर चाहे कोई भी परिस्थिति हो। हर भारतीय स्वतंत्र है और उसकेपास समान अधिकार हैं।”
अत: समानता और स्वतंत्रता के जिस सिद्धांत को लोग पश्चिम से आया या कथित रूप से इस्लाम से आया बताते हैं, वह भारत में तब से उपस्थित है जब इस्लाम क्या ईसाईयत का भी जन्म नहीं हुआ था।
और प्रशासन में विदेशियों के लिए क्या व्यवस्था थी उसे पढ़ते हैं “भारतीयों में विदेशियों के लिए भी अधिकारियों की नियुक्ति हुआ करती थी। जो यह देखती थी कि कहीं किसी विदेशी के साथ कुछ गलत तो नहीं हो रहा। उसका स्वास्थ्य ठीक है या नहीं। यदि उसके स्वास्थ्य में कुछ अनियमितता पाई जाती थी तो उसकी देखभाल के लिए चिकित्सक को भेजा जाता था, तथा यदि कतिपय कारणों से उसकी मृत्यु हो जाती थी तो उसे दफना दिया जाता था और उसकी हर संपत्ति एवं वस्तु को उसके नातेदारों के पास भिजवा दिया जाता था।”
और विदेशियों के साथ दुर्व्यवहार करने पर या उनका अनुचित लाभ उठाने वालों को न्यायाधीशों द्वारा दंड दिया जाता था।
भारतीयों के विषय में लिखा हुआ है “भारत में चोरी बहुत ही दुर्लभ घटना है।” फिर लिखता है कि भारतीय अपने जीवन के समस्त नियमों का पालन स्मृति से करते हैं।
राजा की अंगरक्षक स्त्री सैनिक होती हैं। उसके साथ सदा ही दो या तीन सशस्त्र स्त्रियाँ चलती हैं। जो स्त्री सैनिक हैं, उनमें से कुछ अश्वों पर होती हैं, कुछ रथों पर और कुछ हाथियों पर भी और उनके पास असंख्य हथियार होते हैं।
भारतीयों के विषय में यह वर्णन मेग्स्थ्नीज़ की इंडिका में दिया गया है, जिसमें भारत में पाए जाने वाले पशुओं से लेकर भारतीयों की मूल प्रवृत्ति का वर्णन है।
परन्तु भारत में वामपंथियों ने भारत की आत्मा को छिन्न भिन्न करने के लिए क्या क्या झूठ पढ़ाया है, और तथ्यों को किस प्रकार तोडा मरोड़ा है, वह इतिहास की पुस्तके देखकर समझ आता है!