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Thursday, April 25, 2024

तुर्की: मध्यकालीन कट्टरता की ओर लौटता मुस्लिम देश?

तुर्की को कथित रूप से आधुनिक मुस्लिम देश और आजाद ख्यालों वाला माना जाता है और यह था भी। यह कथित उदारवादियों का प्रिय देश है और वह इस देश की कथित आर्थिक उन्नति एवं महिलाओं को मिल रही आजादी की बातें करते नहीं थकते हैं। परन्तु क्या यही सच है या फिर अब “राजनीतिक इस्लाम” ने इस हद तक हस्तक्षेप कर दिया है कि महिलाओं के लिए फिर से पर्दा एवं यौनिक पहचान ही मुख्य रह गयी है?

एक वीडियो twitter पर अचानक से ही दो दिनों से वायरल हो रहा है, जिसमें यह कहा जा रहा है कि तुर्की में एक मुस्लिम परिवार इसलिए खुश हो रहा है क्योंकि उनकी बेटी ने अपनी शादी के बाद पहली रात में “कौमार्य” की कसौटी पार कर ली! यह वीडियो इसलिए और आपत्तिजनक है क्योंकि इसमें लगे खून के कतरे कहीं न कहीं लड़की को कौमार्य के उस बाजार में लेजाकर खड़े ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि बिकाऊ बना रहे हैं, जो महिलाओं के प्रति बहुत ही अपमानजनक है।

हालांकि तुर्की को सेक्युलर बताने वाले लोग ऐसी हर घटना या वीडियो पर मौन रहते हैं। परन्तु तुर्की में महिला अधिकारों के लिए बात करने वाले लोग अब बात कर रहे हैं। वह उन घटनाओं के विषय में लिख रहे हैं, जो महिलाओं को एक बार फिर से उसी काले युग में जा रही हैं, जिनसे मुस्लिम महिलाएं बहुत ही कठिनाई से आजाद हुई थीं।

तुर्किश फेडरेशन ऑफ वीमेन एसोसिएशन ने आंकड़ों में कहा है कि वर्ष 2022 में कुल 327 महिलाओं की हत्या हुई है और मुस्लिम महिलाओं की यह हत्या और किसी ने नहीं बल्कि उनके अपने परिवारवालों ने ही की है। यह बहुत ही अनजान तथ्य नहीं है कि अधिकाँश हत्याओं में परिचित ही सम्मिलित होते हैं। इन आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की हत्या परिवार के या तो उन लोगों ने की है जिनके साथ वह किसी सम्बन्ध में थीं या फिर वह तलाक की प्रक्रिया में थीं या अलग हो चुकी थीं।

इतना ही नहीं मुस्लिमों के बढ़ते प्रभाव के चलते राष्ट्रपति एर्दोगन ने यह घोषणा की थी कि तुर्की महिलाओं के विरुद्ध हिंसा और घरेलू हिंसा के खिलाफ रोकथाम और सामना करने वाले यूरोपीय संधि अर्थात “काउंसिल ऑफ यूरोप कन्वेंशन ऑन प्रीवेंटिंग एंड कोम्बैटिंग वायलेंस अगेंस्ट वीमेन एंड डोमेस्टिक वायलेंस” से बाहर होने की घोषणा की। और यह 1 जुलाई 2021 से प्रभावी हुआ था।

आधिकारिक रूप से यदि बात की जाए और यदि आंकड़ों की बात की जाए तो तुर्की में चार में से एक महिला का शोषण उसके साथी के द्वारा किया जा रहा है। एक ऐसा देश जहाँ पर महिलाओं को मतदान का अधिकार वर्ष १९३४ में ही मिल गया था अर्थात फ्रांसीसी महिलाओं से भी दस वर्ष पहले और वहां पर वर्ष १९३५ में 18 महिलाएं सांसद बनी थीं।

वह “सेक्युलर” तुर्की था।

परन्तु सेक्युलर तुर्की और महिलाओं की आजादी वाला तुर्की अब कहीं न कहीं राजनीतिक इस्लाम के काले साए में आ चुका है। हाल ही में नवम्बर में महिलाओं के विषय को लेकर और महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने के लिए कई महिलाएं एकत्र हुई थीं और उन्होंने प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन सरकार को पसंद नहीं आया और उन्हें पुलिस की हिंसा का सामना करना पड़ा।

कई महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया था, जिनमें से कई पत्रकार थी। पत्रकार सुलतान एलिम केलेस के ट्वीट करते हुए कहा कि

“हमें पुलिस ब्लोकेड से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी!”

प्रख्यात तुर्की यिल्मिन ओज्दिल ने एर्दोगन की तुर्की में पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों की सूची बनाई, जिनमें मुख्य हैं:

  • एक 11 वर्षीय लड़की, जिसकी शादी एक इमाम ने की थी, उसने एक बच्चे को जन्म दिया था: बोलू प्रांत।
  • एक 12 वर्षीय लड़की ने एक फर्जी आईडी के तहत जन्म दिया, जिसमें उसकी उम्र 18 वर्ष थी: गाजियांटेप प्रांत।
  • 12 साल की बच्ची ने जन्म दिया: इजमिर प्रांत।
  • कादर नाम की एक लड़की, जिसका अर्थ होता है भाग्यशाली! उसका भाग्य अच्छा नहीं था। 12 साल की उम्र में उसकी जबरन शादी कर दी गई, 13 साल की उम्र में वह मां बन गई और 14 साल की उम्र में उसने आत्महत्या कर ली: सिर्त प्रांत।
  • एक लड़की की शादी 13 साल की उम्र में 40 साल के आदमी से कर दी गई। पति के प्रताड़ना के बाद वह भाग गई। उसके परिवार ने उसे अस्वीकार कर दिया। 17 साल की उम्र में उसके तीन बच्चों के साथ रहने के लिए कोई जगह नहीं थी: ओरडू प्रांत।
  • 15 साल की एक लड़की की जबरन शादी कर दी गई। उसने सकरिया प्रांत के एक पुलिस थाने में शरण ली।
  • एक 14 वर्षीय लड़की के अवैध विवाह का समर्थन करते हुए एक नोटरी पब्लिक को पकड़ा गया: टेकिरदाग प्रांत।
  • 12 साल की बच्ची से जबरन शादी करायी गयी, चार माह की गर्भवती थी : टोकाट प्रांत :
  • अदाना प्रांत में एक 16 वर्षीय लड़की ने ट्रेन के नीचे कूद कर आत्महत्या कर ली थी जिसकी उसके परिवार ने शादी की थी
  • कोन्या प्रांत में एक 16 वर्षीय विवाहित लड़की ने एक इमारत की सातवीं मंजिल से छलांग लगा दी।
  • एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें 14 साल की एक लड़की का 70 साल के एक आदमी के साथ निकाह पढ़ा गया, जो पांच बच्चों का पिता और नौ बच्चों का दादा था।
  • इस्तांबुल के कनुनी सुल्तान सुलेमान अस्पताल ने केवल पांच महीनों में 15 वर्ष से कम उम्र की 115 गर्भवती लड़कियों को प्राप्त करने की सूचना दी है। अस्पताल ने कहा कि वह एक साल में 500 गर्भवती लड़कियों को भर्ती करता है।

यह तो बस झलकियाँ हैं। एर्दोगन के सत्ता में आने के बाद से ही मजहबी शादियों को मान्यता दे दी गयी है और सिविल शादियों को बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं तुर्की की न्यायपालिका ने भी लड़कियों के लिए शादी और सेक्स सम्बन्धों के लिए उम्र 12 वर्ष तक कम कर दी है।

इतना ही नहीं, तुर्की के लोग भी इस समाचार से हतप्रभ रह गए थे जब उन्हें पता चला था कि एर्दोगन के कट्टर समर्थक और प्रख्यात इस्लामिक शेख जो एक मजहबी नेता भी है, उसने अपनी छ वर्ष की बेटी का निकाह 29 वर्षीय इंसान से कर दिया था जो उससे सीखने आता था। क्या कोई कल्पना भी कर सकता है कि मात्र छ वर्ष की बच्ची और उसका निकाह!

उसके साथ जबरन यौन सम्बन्ध बनाए गए और वह मात्र १४ वर्ष की आयु में माँ बन गयी। हालांकि बाद में उसने संघर्ष किया और युवा होने पर प्रमाण एकत्र किए एवं अपनी लड़ाई को न्यायालय में लेकर गयी और उसके बाद न्यायालय सक्रिय हुआ! यहाँ पर भी यह ध्यान देने योग्य बात है कि यदि जनता का दबाव न होता तो संभवतया न्यायालय भी यह कदम नहीं उठाता।    

लड़की के अब्बा और शौहर दोनों को हिरासत में लिया गया, जिस पर उसके अब्बा ने कहा कि वह केवल और केवल अल्लाह के लिए जबावदेह है, अदालत के लिए नहीं! ऐसे कई मामले हैं, परन्तु पश्चिम इस पर बात करने से डरता है। क्या पश्चिम के लिए समय नहीं आ गया है कि वह अपने नाटो सदस्य को जानें!

एर्दोगन के परिवार और सामाजिक सेवा मंत्री, डेरिया यानिक (एक महिला) ने दावा किया कि महिलाओं और बाल शोषण के खिलाफ हिंसा के विषयों पर राजनीतिक बातें या चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि वे “मानव स्वभाव के मुद्दे हैं और हर समाज में देखे जा सकते हैं।”

इन आपराधिक कृत्यों और एर्दोगन की सरकार के बीच क्या संबंध है? सबसे पहले, अपनी छह साल की बेटी से शादी करने वाला शेख प्रभावशाली कट्टरपंथी इस्लामवादी इस्माइलगा समुदाय से जुड़ा एक फाउंडेशन चलाता है। दूसरा, इस्माइलगा समुदाय उन कई लोगों में से एक है जो नक्शबंदी-खालिदी आदेश की छत्रछाया में आते हैं, यह सुन्नी इस्लाम समुदाय का वह वर्ग कहा जा सकता है, जिसका पालन स्वयं एर्दोगन भी करते हैं । तीसरा, इस्माइलगा संप्रदाय के सबसे बड़े नेता के अंतिम संस्कार में इस साल की शुरुआत में एर्दोगन और आंतरिक मंत्री सुलेमान सोयलू ने भाग लिया था।

21वीं सदी में सभ्य और मध्यकालीन दुनिया हैं — और सूट और टाई पहने वह मध्ययुगीन नेता हैं जो सभ्य दुनिया से संबंधित होने का दिखावा करते हैं।

मूल लेख को यहाँ पर पढ़ सकते हैं!                                                                                                                                                                                                                              

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