क्या किसी कला के कार्यक्रम को जिसकी कानूनी अनुमति प्राप्त हुई है, और जिसे देखने के लिए सैकड़ों लोग आए हुए हैं, वहां पर भारत की संस्कृति से जुड़ा आयोजन हो रहा है और उसे मात्र इसलिए रोक दिया जता है कि जहाँ पर यह आयोजन हो रहा था, उस स्कूल के पास रहने वाले जज कमाल पाशा के लिए यह शो “न्यूसेंस” बन गया था।
नीना प्रसाद ने अपनी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से यह साझा किया कि कैसे उनके शो को आरम्भ होने के कुछ ही देर बाद रोक दिया गया क्योंकि जज कमाल पाशा को शोर नहीं पसंद आया।
नीना इस अनावश्यक हस्तक्षेप से दुखी हो गईं क्योंकि कलाकार के रूप में उन्होंने कभी यह सोचा नहीं था कि उन्हें इस प्रकार का दिन भी देखना होगा। मीडिया के अनुसार उन्हें और उनकी टीम को मंच पर अपमानित भी किया गया।
नीना प्रसाद ने लिखा कि “एक महिला और कलाकार के रूप में मुझे अपमानित अनुभव हुआ और मैं अपना विरोध दर्ज करती हूँ। जिला जज ने आयोजकों को पूरे समारोह को निरस्त करने के लिए कहा क्योंकि उन्हें संगीत पसंद नहीं था।”
मीडिया के अनुसार जज ने उसी स्थिति में आयोजन को जारी रखने की अनुमति दी, कि यदि सभी दर्शक स्टेज के पास ही इकट्ठे हो जाएँ और संगीत को बहुत धीरे बजाया जाए।
यह आयोजन सरकारी मोयन लोअर प्राइमरी स्कूल, पलक्कड़ में हो रहा था। जज पाशा इसी स्कूल के पीछे रहते हैं और उनके आदेश पर रात को 8.30 बजे कार्यक्रम रोक दिया गया।
कृष्ण और अर्जुन पर आधारित था नृत्य
नीना प्रसाद जिस ‘साख्यम’ पर नृत्य कर रही थी, वह प्रभु श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच सम्बन्धों में तनावों को प्रदर्शित करने वाला था। इस नृत्य को बीच में जब रोका गया तो नीना और उनकी टीम की आँखों से मंच पर ही आंसू निकल आए। नीना प्रसाद ने हिन्दू से बात करते हुए कहा कि उनके डांस कैरियर का यह सबसे कड़वा अनुभव था। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल उन्हीं के लिए कड़वा अनुभव नहीं था, बल्कि उनकी पूरी टीम के लिए, साथी कलाकारों के लिए भी उतना ही दर्द से भरा था, जो दो साल के बाद अब यह सोचकर नृत्य कर रहे थे कि अब सब सही होगा।
उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि यह एक न्यायिक अधिकारी के कठोर दिल की कार्यवाही थी। उनकी इस फेसबुक पोस्ट के बाद उन्हें लोगों का समर्थन मिल रहा है। यहाँ तक कि आज वकील भी उनके समर्थन में आए हैं।
डॉ नीना प्रसाद ने इस आयोजन के रद्द होने पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा था कि वह इस नृत्य के लिए घंटों की तैयारी के बाद आई थीं, और उनके साथ यह हुआ।
पुरोगमन कला साहित्य संघम ने इस घटना का विरोध करते हुए कहा कि जज का यह कार्य सांस्कृतिक असहिष्णुता है। संघ के अध्यक्ष शाजी एन करुण और महासचिव अशोकन चारुविल ने लोगों से आह्वान किया कि वह कलाकारों और सांस्कृतिक नेतृत्व को चुप करने के इन सभी प्रयासों को चुप करने के हर प्रकार के प्रयासों का विरोध करें।
स्वरालय के sachiv टीआर अजयन ने इस घटना को राज्य पर एक शर्म बताया और उन्होंने कहा कि कभी भी ऐसी अपेक्षा उन्होंने एक जज से नहीं की थी, कि वह सत्ता की ऐसी हनक दिखाएंगे। हालांकि पुलिस का कहना है कि उनके पास इसके अतिरिक्त और कुछ रास्ता नहीं था।
हालांकि जिस एमजे श्रीचितरं की पुस्तक का विमोचन होना था, वह हिन्दुओं के प्रति घृणा रखने वाले हैं। ऐसे में कई सोशल मीडिया यूजर इसे दो जिहादी समूहों के बीच नाटक की संज्ञा दे रहे हैं:
एमजे श्रीचितरं के यही विचार उनकी फेसबुक पोस्ट से भी दिखाई देते हैं जिसमें वह कह रहे हैं कि इस मामले में कोई हिन्दू मुस्लिम नहीं है! ऐसा नहीं है कि किसी मुस्लिम ने मजहबी कारणों से इस आयोजन का विरोध किया। जिनका विरोध किया गया है, वह हिन्दू नहीं हैं, कलाकार हैं। इस कार्यक्रम के आयोजक पूरी तरह से संघपरिवार विरोधी हैं।


हालांकि जो भी कहा जाए, अभी तक ऐसा कोई भी उदाहरण सामने नहीं आया था, जब किसी जज ने किसी सांस्कृतिक आयोजन को इस प्रकार रोका हो!
कई लोग इसे मजहबी हस्तक्षेप कह रहे हैं तो कई सत्ता का दुरूपयोग:
लोग प्रश्न कर रहे हैं कि कैसे कोई विवादास्पद व्यक्ति न्याय की गद्दी पर रह सकता है:
यह वही पलक्कड़ है जहाँ से भारतीय जनता पार्टी के टिकट से मेट्रो मेन श्री धरन खड़े हुए थे, परन्तु उन्हें हार मिली थी।
कमाल पाशा पर उनकी बीवी ने ही तीन तलाक को लेकर शिकायत दर्ज की थी
ऐसा नहीं है कि कमाल पाशा पर आज ही विवाद हो रहा है। वह तब चर्चा में आए थे, जब उनकी बीवी ने उन पर तीन तलाक को लेकर आरोप लगाए थे और शिकायत दर्ज की थी।