उत्तराखंड में अंकिता भंडारी की हत्या के बाद उबाल है। 19 वर्षीय अंकिता भंडारी एक रिसोर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी और वह रिसोर्ट सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेता का था। लोगों में इस मामले को लेकर क्रोध एवं आक्रोश दोनों ही था। अंकिता की हत्या की जांच के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा एसआईटी का गठन भी किया गया है। आज सुबह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट करते हुए इस बात की घोषणा की थी:
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आरोपियों के गैर कानूनी रूप से बने रिसोर्ट पर भी बुलडोजर चलाया गया।
इस घटना के चलते लोगों के दिल में इतना रोष था कि लोगों ने केवल उन आरोपियों की ही पिटाई नहीं की, बल्कि पिछली रात को ध्वस्त किए गए रिसोर्ट के अवशेषों को भी जला दिया
इस मामले में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनके नाम हैं, पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता एवं सौरभ भास्कर! पुलकित ही रिसोर्ट का मालिक था और वही भारतीय जनता पार्टी के नेता विनोद आर्य का बेटा है।
पुलिस के अनुसार उसकी हत्या इसलिए की गयी क्योंकि उसने वैश्यावृत्ति का विरोध किया था। आरोप है कि उस पर रिसोर्ट में आने वाले मेहमानों पर शारीरिक सम्बन्ध बनाने का दबाव था। जब अंकिता ने मना किया तो होटल मालिक के साथ उसकी बहस हुई। पुलिस के अनुसार
“18 सितंबर की रात्रि को रिजॉर्ट में पुलकित और अंकिता के बीच विवाद हो गया था। इस पर पुलकित, अंकित और सौरभ दो दोपहिया वाहनों से मनाने के लिये ऋषिकेश लेकर आने लगे। बैराज चौकी से करीब सवा किलोमीटर पहले तीनों चीला नहर के किनारे बैठकर शराब पीने लगे। इस बीच अंकिता और पुलकित में फिर विवाद होने लगा। अंकिता ने रिजॉर्ट का भेद खोलने की धमकी दी। अंकिता ने पुलकित का मोबाइल नहर में फेंक दिया। दोनों के बीच हाथापाई होने लगी। इस पर तीनों ने अंकिता को नहर में धक्का दे दिया।“
इस घटना के सामने आने के बाद उत्तराखंड उबल रहा है। पुलिस ने यह भी बताया कि किसी को यह संदेह न हो कि अंकिता गायब हो गयी है, तो उन्होंने ही अंकिता के गायब होने की जानकारी सार्वजनिक की।
जब पुलिस आरोपियों को हिरासत में लेकर जा रही थी तो जनता में इतना क्रोध था कि लोगों ने पुलिस का वाहन रोका और आरोपियों की जम कर पिटाई लगाई।
वहीं इस घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी भी एक्शन में है। आरोपी पुलकित आर्य के पिता डॉ विनोद आर्य एवं भाई डॉ अंकित आर्य को पार्टी से निकाल दिया है
वहीं अंकिता के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के भाई अंकित आर्य को उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया है।
इस घटना से जहां पूरे उत्तराखंड में आक्रोश है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी एवं उत्तराखंड सरकार दोनों ने ही ताबड़तोड़ एक्शन लेकर यह प्रमाणित करने का प्रयास किया है कि अपराधी कोई भी हो, उसे दंड अवश्य दिया जाएगा। पुलकित आर्य जेल में है, उसके पिता और भाई को पार्टी से निकाल दिया गया है। और इस मामले में जन आक्रोश भी काम आया, जिसके कारण इतने कठोर कदम उठाकर कहीं न कहीं पुष्कर धामी ने यह सन्देश दिया है कि वह देवभूमि पर ऐसी कोई भी घटना नहीं सहन करेंगे!
देवभूमि पर बने रिसॉर्ट्स की जांच भी होनी चाहिए
यह भी मांग उठ रही है कि देवभूमि पर जो रिसॉर्ट्स बने हैं, आखिर उनमें होता क्या है, उसकी जांच कौन करेगा? और धर्म स्थलों को साधारण पर्यटन स्थल में बदलने का कहीं न कहीं यह दुष्परिणाम तो नहीं है कि लोग देव भूमि में मात्र मौज के लिए आ रहे हैं। यदि नहीं, तो मूल्यों का यह पतन चिंतित करने के लिए पर्याप्त है कि क्या देवभूमि को देह व्यापार का केंद्र तो नहीं बनाया जा रहा है?
यह मांग कई लोग उठाते हैं कि धर्मस्थलों के लिए अलग नियम होने चाहिए एवं अन्य पर्यटन के लिए अलग नियम! धर्म स्थान पर वही नियम लागू हों, जो उस धर्म विशेष के मूल्यों के अनुसार हों। हो यह रहा है कि मन्दिरों को मात्र पर्यटन का स्थान बनाया जा रहा है एवं साथ ही वहां के नियमों के पालन करने को पोंगापंथी बताया जा रहा है। देवस्थानों के आसपास निर्माण एवं महंगे रिसॉर्ट्स का क्या अभिप्राय है, क्योंकि हिन्दू धर्म में तीर्थ यात्रा का अर्थ सुविधा एवं विलासिता पूर्ण यात्रा न होकर उस स्थान की पवित्रता को धारण करना है, उस स्थान की पवित्रता को आत्मसात करना है, फिर ऐसा क्यों हो रहा है, कि हिन्दुओं के तीर्थस्थान तमाम प्रकार के प्रयोगों के स्थल बन गए हैं, कभी कोई कुत्ता लेकर पहुँच जाता है, तो कभी पवित्र सरयू नदी में जहाँ पर परिवार भक्ति के साथ स्नान करने आते हैं, वहां पर नव दंपत्ति अश्लील हरकतें करने लगते हैं, या फिर मंदिरों में हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के की प्रेम कहानी का फिल्मांकन होने लगता है, जैसे द स्युटेबल बॉय में हमने देखा था!
देवभूमि उत्तराखंड में भी जगह जगह बने रिसॉर्ट्स कहीं न कहीं तीर्थस्थलों की उस छवि के अनुसार नहीं है जो हिन्दू धर्म में दी गयी है, एवं यह हिन्दुओं के उन नैतिक मूल्यों का पतन है जो उनके धार्मिक ग्रंथों में प्रदान किए गए हैं, जिन्हें नकारना आज फैशन बन चुका है।
लोग यह प्रश्न भी कर रहे हैं कि कहीं तीर्थस्थलों का रूप बदलना भारी न पड़ जाए! हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी के स्तर पर तथा पुष्कर धामी ने सरकार के स्तर पर कदम उठाकर कठोर संदेश तो दे दिया है!