शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत याचिका एक बार फिर से कल न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गयी। और इसी के साथ फिर से एक बार एक विशेष वर्ग का रुदन और प्रलाप आरम्भ हो गया। बड़े बड़े पत्रकार शाहरुख खान के समर्थन में अपनी वाल पर लिख रहे हैं और इसे सरकार बनाम शाहरुख खान बनाया जा रहा है। सरकार के ऐसे किस कदम का विरोध शाहरुख खान ने किया था, जिसके आधार पर सरकार शाहरुख खान का विरोध यह सरकार करेगी।
बल्कि जब महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती का अवसर था, तो प्रधानमंत्री मोदी के साथ आमिर और शाहरुख़ खान की सेल्फी बहुत वायरल हुई थी। जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे तो जरूर वर्ष 2015 में शाहरुख खान ने असहिष्णुता की बात की थी, परन्तु यह असहिष्णुता वर्ष 2019 में इस तस्वीर में नहीं दिखाई दी थी:
कैसे यह लड़ाई हिन्दू और मुसलमान में बदलती जा रही है। जब तक इस फिल्म उद्योग पर तीन खानों का कब्जा था, तब तक किसी ने हिन्दू जनता का यह अहसान नहीं व्यक्त किया कि हम जो आज हैं, वह हिन्दू जनता के कारण हैं, जो अपने धर्म का मजाक तक झेल जाती है, और हम खान लोग उड़ाते हैं। परन्तु, जब तक यह लोग हिन्दुओं की गाढ़ी कमाई से पैसे कमा रहे थे, तब तक इन्हें यह अहसास नहीं था कि देश की जनता हिन्दू है। जब हिन्दुओं ने फिल्मों में अपने धर्म को गलत तरीके से दिखाए जाने का विरोध करना शुरू किया, तब असहिष्णुता आ गई?
वर्ष 2015 में असहिष्णुता का राग गाने वाले शाहरुख़ खान ने वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया को बहुत बेहतरीन पहल बताया था। और उससे पहले भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को महान शख्सियत बताया था। तो अचानक से ऐसा क्या हुआ कि शाहरुख खान, लिबरल जमात द्वारा एक महान क्रांतिकारी घोषित कर दिए गए?
यहाँ तक कि नोटबंदी की भी प्रशंसा की थी!
क्यों अचानक से ही ऐसा कहा जाने लगा कि वह एक मुस्लिम सुपर स्टार है और सरकार मुस्लिम होने के नाते विरोध कर रही है? पर जब तर्क दिए जा रहे हैं, तो इस बात का उत्तर क्यों नहीं वकील द्वारा दिया जा रहा है कि आर्यन खान को किसने वहाँपर आमंत्रित किया था? और आर्यन खान की व्हाट्सएप चैट भी प्रमाण के रूप में प्रस्तुत की गयी हैं। जब एनसीबी की ओर से प्रमाण दिए जा रहे हैं, तो प्रमाणों को क्यों नहीं काटा जा रहा है?
और अचानक से ही हिंदी या अंग्रेजी के बड़े पत्रकार शाहरुख खान के लिए पीआर का काम क्यों करने लगे हैं? शाहरुख खान का समर्थन तो ठीक है, परन्तु वह लोग तो एक कदम आगे बढ़कर उन सभी सभी को दोषी ठहरा रहे हैं, जो आर्यन खान के कुकृत्य पर शांत हैं।
पत्रकार अतुल चौरसिया ने एक तस्वीर ट्वीट की, जिसमें संजय दत्त को समर्थन देते हुए अजय देवगन, सैफ अली खान, अक्षय कुमार आदि दिखाई दे रहे थे और उन्होंने प्रश्न किया
यह फोटो ऐतिहासिक है। यह चीख-चीख कर बताती है कि बीते 7-8 सालों में इस देश में क्या बदला है। क्यों तब एके-47 रखने वाले के साथ भी खड़ा हुआ जा सकता था, आज 22-23 साल के लड़के का साथ देने में पसीना निकल जाता है। सबसे बड़ी चीज जो इन लोगों ने हासिल की है वो है कायरता।
ऐसे ही स्वरा भास्कर ने लिखा कि उनके लिए शाहरुख खान ग्रेस और विनम्र आचरण का उदाहरण हैं, और उनमें एक भारतीय होने की खूबियाँ हैं, वह कईयों के लिए प्रेरणा हैं
इसके उत्तर में शाहरुख खान की अभद्रता का एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें एक व्यक्ति ने उनसे प्रश्न किया था कि क्या कभी आमिर, शाहरुख और सलमान तीनों ही एक फिल्म में दिखेंगे, तो शाहरुख़ ने कहा था “बेटा चड्डी बनियान बिक जाएगी, तीनों को एक साथ साइन करके!”
जब शाहरुख खान की विनम्रता और आर्यन खान की बातें की जा रही हैं, तो ऐसे में शाहरुख खान, शाहिद कपूर का वह वीडियो भी लोग जमकर शेयर कर रहे हैं जिसमें वह दोनों मिलकर सुशांत सिंह राजपूत का मजाक उड़ा रहे हैं,
जो लोग अभी शाहरुख खान के प्रति इस प्रकार का समर्थन दे रहे हैं, वह सभी पिछले वर्ष सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मृत्यु पर ही शांत नहीं रहे थे बल्कि कंगना का जब बँगला तोडा जा रहा था, तब कंगना के साथ न होकर उसके विरोध में थे और इतना ही नहीं यही लोग थे जो अर्नब गोस्वामी को पुराने मामले में फंसाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे और कह रहे थे कि कानून से बढ़कर कोई नहीं!
यदि क़ानून से बढ़कर कोई नहीं, तो एक समय में नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने वाले शाहरुख खान का बेटा क़ानून से ऊपर कैसे हो गया? और कैसे कल तक का सेक्युलर सुपरस्टार आज मुस्लिम सुपरस्टार हो गया? आज सबा नकवी को पिता का महसूस हो रहा है,
परन्तु यही सबा नकवी हिन्दू विरोधी दंगों में मारे गए हिन्दू लड़कों के लिए नहीं मुंह खोलती हैं और कहती हैं कि एक अभिभावक के रूप में वह पिता का दर्द महसूस कर सकती हैं?
हालांकि अब कांग्रेस खुलकर इस मामले पर मुस्लिम कार्ड खेल रही है और साथ ही एनसीपी भी! एनसीपी के नबाव मलिक ने तो समीर वानखेड़े को धमकी भी दे दी है!