स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के निधन पर आज पूरा देश दुःख में डूबा है। भारत में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा, जिनके जीवन में लता जी का दखल उनके गीतों के माध्यम से नहीं होगा। उनकी आवाज़ हमारे साथ हर क्षण उपस्थित रही है, हर लम्हे में वह हमारे साथ रही हैं, भजन से लेकर प्रेम, विरह एवं देशभक्ति तक हर रस में उनके गाए गीत जीवन में रस घोलते हैं। उनके निधन पर भारत में जहाँ दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गयी है, तो वहीं पूरे विश्व से शोक सन्देश आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके दुःख व्यक्त किया और कहा कि लता जी भारतीय संस्कृति के एक योद्धा के रूप में सदैव स्मरणीय रहेंगी और जिनकी मधुर आवाज लोगों को सदा सम्मोहित करती रहेगी
और उन्होंने फिर ट्वीट किया कि वह लता जी के अंतिम संस्कार में सम्मिलित होने जा रहे हैं।
सऊदी से भी शोक सन्देश आया है और लता मंगेशकर जी को श्रद्धांजलि दी गयी है:
वेस्टइंडीज़ के क्रिकेटर डारेन गंगा ने भी लता जी निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह भी उनके मधुर संगीत को सुनते हुए ही बड़े हुए हैं, आपका संगीत सदा रहेगा, आपको श्रद्धांजति
यहाँ तक कि पाकिस्तान से भी शोक सन्देश आए हैं। पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एक लीजेंड आज नहीं रहीं। लता मंगेशकर ऐसी स्वरों की रानी थीं, जिन्होनें दशकों तक संगीत पर रजा किया और वह आने वाले समय में लोगों के दिलों पर राज करती रहेंगी।
भारत के ही तरह कई पाकिस्तानी नेताओं ने लता जी को श्रद्धांजलि दी। शहनबाज शरीफ ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि “लता मंगेशकर जी के निधन पर, संगीत ने एक लीजेंड खो दिया, जिन्होनें अपनी मधुर आवाज से पीढ़ियों को सम्मोहित क्या है। हमारी पीढ़ी के लोग उस सुन्दर आवाज को सुनकर ही बड़े हुए हैं।
सीनेटर शेरी रहमान ने भी दुःख व्यक्त किया और मनपसन्द गाने को साझा किया,
इजरायल की ओर से भी शोक व्यक्त करते हुए लिखा गया कि हम भारत कोकिला लता मंगेशकर के निधन को सुनकर दुखी हैं, संगीत में उनके योगदान को हमेशा स्मरण रखा जाएगा
परन्तु भारत में पीटीआई ने भारत रत्न लता मंगेशकर जी के निधन पर जिस भाषा का प्रयोग किया, उससे लोगों को हैरानी हुई एवं क्रोध भी आया
साथ ही लता जी जैसे व्यक्तित्व से भी घृणा करने वाले लोग भी हैं, और ऐसे लोग हैं, जो अपनी घृणा को छिपाते नहीं हैं, बल्कि खुलकर दिखाते हैं। परन्तु उनकी घृणा आखिर किस विषय को लेकर है, उन्हें लता जी के राष्ट्रप्रेमी स्वर से घृणा है। उन्हें इस बात से घृणा है कि आखिर कोई व्यक्ति स्वयं की हिन्दू पहचान को सगर्व क्यों और कैसे बता सकता है?
neopolitics के अनुसार कुछ दलित एकाउंट्स ने लता मंगेशकर के निधन का मजाक उड़ाया, और उनकी ब्राह्मण पहचान को लेकर अश्लील गाने साझा किये।
ऐसे ही एक यूजर ने उनके संघ का आदर करने को लेकर निशाना साधा, और कहा कि लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देने से पहले यह ध्यान रखिये कि वह आरएसएस का समर्थन करती थी
एक यूजर ने लिखा कि उन्होंने अकेले ही भारतीय संगीत के नए स्वरों का दमन किया था। और एक व्यक्ति ने पिता समान सावरकर कहे जाने पर निशाना साधा
वहीं अपनी सुविधा के अनुसार मजहबी फैक्ट चेक करने वाले मुहम्मद जुबैर ने टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर पर लाफिंग इमोजी देने वालों का बचाव करते हुए कहा कि कुछ लोगों को पता नहीं होता है कि इमोजी रिएक्शन क्या होता है!
वहीं नवीद नामक यूजर ने कश्मीर वाला के स्क्रीन शॉट साझा करते हुए कहा कि उन्हें इमोजी नहीं पता कहने वाले यह भी बताएँगे कि इन्हें कमेन्ट करना नहीं आता
ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने यह किया
दरअसल ऐसा एक बड़ा वर्ग उभर कर आ गया है, जिसे हिन्दुओं से घृणा है, जिसे हिन्दू होने के बोध से घृणा है, जिसे हिन्दू पहचान से चिढ है, वह हर उस भारतीय से घृणा करता है, जिसके भीतर यह तीनों बोध होते हैं।
हमने यह रोहित सरदाना के निधन के समय देखा, हमने यह सीडीएस रावत के देहांत पर देखा कि कैसे गैर राजनीतिक लोगों को मात्र उनके विचारों को व्यक्त करने के कारण निशाना बनाया जाता है और उनकी हर उपलब्धि को नीचा दिखाया जाता है, जैसा हाल ही में साइना नेहवाल के मामले में देखा था।
खैर, लता मंगेशकर जी की महानता पर इन क्षुद्र मानसिकता के लोगों द्वारा की गयी टिप्पणी का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। परन्तु ऐसे अवसरों पर संकुचित मानसिकता और असहिष्णुता का परिचय दिया जाना एक नई परिपाटी है, जिसे इतने वर्षों से स्थापित वाम इकोसिस्टम ने आरम्भ किया है! परन्तु जब उन्हें उनकी ऐसी हरकतों का उत्तर दिया जाता है, तो वह असहिष्णुता की दुहाई देने लगते हैं!