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Thursday, May 9, 2024

टोरंटो में ‘खालिस्‍तानी आतंकियों’ ने पंजाब को पृथक देश बनाने के लिए कराया ‘जनमत संग्रह’, कनाडा की सरकार ने इस अवैध गतिविधि को रोकने से किया इंकार

खालिस्तान आंदोलन कई दशकों से चल रहा है, और अब हालत यह है कि यह एक उपहास ही बन कर रह गया है। कुछ महीनों पहले ब्रिटेन में एक पृथक खालिस्तान राज्य के लिए जनमत संग्रह कराने के पश्चात अब खालिस्तानी आतंकियों ने कनाडा में जनमत संग्रह कराना शुरू कर दिया है। भारत में प्रतिबंधित आंतकी संस्था सिख फॉर जस्टिस कनाडा में खालिस्तान पर 18 सिंतबर को जनमत संग्रह का आयोजन किया, वहीं कनाडा में रह रहे भारत समर्थक सिख समाज ने इस देश-विरोधी गतिविधि का कड़ा व‍िरोध किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘भारतीय पंजाब’ में एक नए राज्य खालिस्तान के निर्माण पर जनमत संग्रह के लिए अपना वोट डालने के लिए हजारों सिख रविवार को ब्रैम्पटन में गोर मीडोज कम्युनिटी सेंटर के मतदान केंद्र पर टोरंटो पहुंचे। यह कम्युनिटी सेंटर कनाडा सरकार द्वारा संचालित है, और इसी में यह मतदान की प्रक्रिया हुई। ऐसा बताया जा रहा है कि प्रक्रिया से पहले एक विशेष प्रार्थना भी की गयी। जनमत संग्रह में मतदान करने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं और बुजुर्ग आये थे। मतदाताओं ने कहा कि जनमत संग्रह के नतीजों से यह स्पष्ट हो जाएगा कि सिख भारत से आजादी चाहते हैं।

यह जनमत संग्रह आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के तत्वाधान में किया जा रहा है । भारत के विरुद्ध आग उगलने वाला गुर पतवंत सिंह पन्‍नू इस आतंकी गुट का प्रमुख है। इस जनमत संग्रह में खालिस्तानी आतंकी कनाडा में रह रहे सिखों से यह पूछ रहे हैं कि क्‍या पंजाब को एक अलग देश बनाना चाहिए?

खालिस्तानी आतंकी सिखों को भ्रमित कर रहे हैं, वह उन्हें दिवास्वप्न दिखा रहे हैं कि भारतीय पंजाब राज्य से काट कर एक नया देश दुनिया के मानचित्र पर दिखाई देगा, और भारत के सिखों को अब आजादी से और वंचित नहीं किया जा सकता। प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वतंत्र पंजाब जनमत संग्रह आयोग (पीआरसी) की देखरेख में यह खालिस्तान जनमत संग्रह मतदान का आयोजन किया जा रहा है, जो सभी चरणपूरे होने पर परिणामों की घोषणा करेगा।

कनाडा की सरकार ने इस आतंकी गतिविधि पर रोक लगाने से किया इंकार

सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने ओंटारियो के ब्रैम्पटन में गोर मीडोज कम्युनिटी सेंटर में खालिस्तान जनमत संग्रह मतदान से पहले कनाडा सरकार पर कूटनीतिक दबाव दाल कर इसे स्थगित कराने और इस गतिविधि में लिप्त लोगों पर उचित कार्यवाही करने की अपील की थी। हालाँकि कनाडा सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने इस जनमत संग्रह को कनाडाई कानूनों के कानूनी मापदंडों के भीतर शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया बताया और कनाडाई सिखों को अपने विचार व्यक्त करने से रोकने से इनकार कर दिया है। कनाडा के सांसद सुखमिंदर सिंह धालीवाल ने भी कहा कि संवैधानिक और लोकतांत्रिक राजनीतिक अभिव्यक्ति को रोका नहीं जा सकता।

ब्रिटेन से शुरू हुई खालिस्तानी जनमत संग्रह की शुरुआत

इस छद्म जनमत संग्रह की शुरुआत लंदन में 31 अक्‍टूबर 2021 को हुई। सिख फॉर जस्टिस ने लंदन के पश्चात स्विटरजलैंड, इटली और अब कनाडा में यह मतदान करवाया है। ऐसा बताया जा रहा है कि अब तक हुए जनमत संग्रह में कुल 450,000 सिखों ने मतदान में हिस्सा लिया है। हालांकि इस दावे पर लगातार सवाल भी उठाए जा रहे हैं, और अधिकांश जानकार लोगों के अनुसार यह संख्या बहुत ही बढ़ाचढ़ाकर बताई गई है।कनाडा में भी जनमत संग्रह से कई दिन पूर्व से ही खालिस्‍तान समर्थक आतंकी ट्रक रैली निकाल रहे थे, वह बड़े-बड़े भ्रामक पोस्‍टर लगा रहे हैं और टोरंटो में गुरुद्वारों का दुरूपयोग कर सिखों को बरगलाने का पर्यटन कर रहे थे।

एसएफजे ने इस कथित भारी संख्या में हुए मतदान का स्वागत किया है। गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा कि सिखों ने कनाडा में दिखाया है कि वे शिमला को स्वतंत्र पंजाब की राजधानी के रूप में एक स्वतंत्र खालिस्तान से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, ‘आज, कनाडाई लोगों ने स्वतंत्रता जनमत संग्रह में शिमला को भारतीय कब्जे से मुक्त होने के बाद राजधानी के रूप में पुनः प्राप्त करने के लिए मतदान किया है। खालिस्तान जनमत संग्रह के लिए पंजाब में मतदान 26 जनवरी, 2023 से शुरू होगा, जो भारत के 74 वें गणतंत्र दिवस के साथ मेल खाता है।

कनाडा पाल रहा है आस्तीन के सांप, जो भविष्य में उसे ही काटेंगे

ऐसा बताया जा रहा है कि इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक कराने के लिए आरक्षित सामुदायिक केंद्र में 300 से अधिक सिख सदस्य उपस्थित थे। इनमे से अधिकांश कनाडा में जन्मे सिख युवा थे, जो बिना किसी जानकारी के भ्रमित हो कर खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करते हैं। कनाडा में लगभग दस लाख सिख रहते हैं, उनमे से एक बड़ी संख्या में लोग खालिस्तानी आंदोलन के साथ दृढ़ता से जुड़े हुए हैं। यह एक ऐसा विषय है जिसने भारत सरकार को पिछले कुछ दशकों से त्रस्त किया हुआ है, और इसका भारत और कनाडा के बीच राजनयिक सम्बन्धो पर भी देखने को मिलता है।

आज कनाडा इसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया कहर कर इस अभियान पर रोक नहीं लगा रहा है, लेकिन वह दिन दूर नहीं जब यही खालिस्तानी आतंकी कनाडा की कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा बन जायेंगे। हमने पिछले ही दिनों देखा था, कि कैसे खालिस्तानी तत्वों ने कनाडा में किसानो द्वारा चलाये गए ट्रक आंदोलन में बढ़चढ़कर सहयोग किया था। उस आंदोलन से कनाडा की सरकार हिल गयी थी और उन्हें किसानों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करनी पड़ी थी।

आज कनाडा इन्हे बढ़ावा दे रहा है, लेकिन जल्दी ही वह इस भस्मासुर के प्रकोप को झेलेंगे। क्योंकि पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी आंदोलन अपने हिंसक स्वरूप के लिए जाना जाता है, अगर भविष्य में कनाडा की सरकार से इनके विचार मेल नहीं खाएंगे तो यह आतंकी वहां भी हिंसा करना शुरू कर देंगे, यह निश्चित ही मानिये।

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