कन्हैयालाल के कातिलों से सम्बंधित एक जो सबसे चौंकाने वाला समाचार आया है, वह है हत्यारों में से एक हत्यारे रियाज़ का भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का प्रयास करना। यहाँ तक कि उसकी कई तस्वीरें भी भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं के साथ वायरल हो रही हैं। अब इस बात को लेकर कांग्रेस एवं लेफ्ट मीडिया भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर हो गई है।
इन तस्वीरों के कई मतलब मायने निकाले जा सकते हैं, जहाँ कांग्रेस और वामपंथी नेता इसे भाजपा की कारस्तानी जैसी बातें करने लगे हैं तो वहीं यही बात फेमिनिस्ट लेखिकाएँ कहने लगी हैं कि चुनाव के चलते यह सब भारतीय जनता पार्टी ने कराया है।
वहीं यह भी बात सामने निकल कर आई है कि रियाज ने भारतीय जनता पार्टी में घुसने की कोशिश की थी। वह पार्टी के आयोजनों में बिना बुलाए गया था और उसने हालांकि भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने की इच्छा जाहिर की थी, मगर वह खुद उसका आलोचक था और वह कई भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ तस्वीरें भी लेने में सफल रहा!
कहीं न कहीं यह भारतीय जनता पार्टी के उस अभियान का हिस्सा लगता है जिसमें वह “सबका विश्वास” जीतने की बात करती है। समस्या सबके विश्वास से नहीं है, समस्या यह है कि यह कैसे पता चलेगा कि जो अल्पसंख्यक मोर्चा के साथ जुड़ रहा है, वह किसी कट्टरपंथी सोच या कट्टरपंथी संगठन से तो प्रभावित नहीं है?
यह सब जांचे परखे बिना मात्र इस आधार पर कि वह मुस्लिम है और मुस्लिमों के बीच अपना आधार बढ़ाने के लिए हर कार्य करना, कहीं न कहीं यह एक ऐसी लालसा लग रही है, जिसके कारण पार्टी को कहीं आने वाले चुनावों में जनता के गुस्से का सामना न करना पड़े!
वैसे ही नुपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित किए जाने को लेकर पार्टी के प्रति लोगों में नाराजगी है। लोगों में नुपुर को निकाले जाने से बढ़कर उन्हें फ्रिंज एलीमेंट घोषित किए जाने को लेकर अजीब नाराजगी है। लोगों को यह लग रहा है कि आखिर कोई पार्टी अपने ही कार्यकर्ता के साथ ऐसा कैसे कर सकती है?
परन्तु यह हुआ है और अब जिस प्रकार से नुपुर शर्मा को कल न्यायमूर्तियों ने कठघरे में खड़ा करते हुए उन्हें ही देश में हुई हिंसा के लिए उत्तरदायी ठहरा दिया, वह देखकर तो देश वैसे ही सकते में है। देश विदेश से न्यायमूर्तियों की व्यक्तिगत टिप्पणियों पर टिप्पणियाँ आ रही हैं, और लोग कह रहे हैं कि अब पूरे हिन्दू समाज को “न्यायमूर्तियों की व्यक्तिगत टिप्पणियों” ने खतरे में डाल दिया है।
खैर, अभी बात भारतीय जनता पार्टी में हो रहे इस अतिक्रमण की! अब जब यह तस्वीरें सामने आ रही हैं तो ऐसे में कई और उदहारण भी याद आ रहे हैं, जिनके कारण हाल ही में पार्टी की छवि कहीं न कहीं हिन्दू-विरोधी होने लगी है, ऐसा लोगों को लगता है।
कुछ ही दिनों पहले कर्नाटक में स्कूल के परिसर में हिजाब को लेकर आन्दोलन हुआ था। और पूरे देश ने देखा था कि कैसे स्कूल यूनीफोर्म में हिजाब और बुर्के को लेकर पूरे देश को अशांत ही करने का प्रयास नहीं किया गया बल्कि साथ ही “मुस्कान” नामक लड़की का बहाना लेकर तालिबान और अलकायदा जैसों ने भी भारत सरकार पर निशाना साधा था।
उस समय भारतीय जनता पार्टी के कश्मीर के नेता हिलाल जन ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लामिक मत का हिस्सा है और जिन लोगों ने मुस्कान को भगवा शाल पहनकर रोकने का प्रयास किया है, उन पर कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाओं से देश का नाम बाहर खराब होता है।
अब इसमें यह नहीं समझ आया कि क्या भारत का नाम तब खराब नहीं होता है जब भारत का एक बड़ा वर्ग अपनी अलग मजहबी पहचान के लिए समान नागरिकता के रूप में रहने से इंकार कर देता है?
वहीं जम्मू और कश्मीर की भाजपा नेता मीर शफीका ने तो यहाँ तक अनुरोध कर दिया था कि मुस्लिम और शेष भारत के मुस्लिम हिन्दुओं के खिलाफ हो जाए क्योंकि हम मूर्तियों की पूजा करते हैं और हमें मारा ही जाना चाहिए
ऐसी एक नहीं कई घटनाएं हुई हैं, जब भारतीय जनता पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा ही भारतीय जनता पार्टी के उस वर्ग के खिलाफ जाकर मजहबी आधार पर खड़ा हो गया, जो अपनी जान पर खेलकर भरतीय जनता पार्टी की सरकार बनाता है, अर्थात हिन्दू समाज!
केरल से लेकर बंगाल तक भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्त्ता अपने प्राणों का बलिदान मात्र इस कारण दे देते हैं क्योंकि उन्हें यह विश्वास होता है कि भारतीय जनता पार्टी हिन्दुओं की पार्टी है और वह हिन्दू हितों पर कार्य करेगी।
परन्तु बार बार जब ऐसी घटनाएं होती हैं कि जिनमें उस समुदाय के कट्टरपंथी समूहों का भी विश्वास हासिल करने के प्रयास में अपने कोर वोटर को भुलाकर यह पार्टी तुष्टिकरण की सीमा पार करने लगती है तो उसका कोर वोटर ही ठगा अनुभव करता है।
उदयपुर के रियाज और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की तस्वीर पर और भी यूजर्स थे उन्होंने कहा कि
“भारतीय जनता पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा जन्नत है। काम करने का कोई प्रेशर नहीं है, कोई जिम्मेदारी नहीं, और प्रधानमंत्री के हर आयोजन के लिए प्राइम सीट भी उपलब्ध है। वह अपने “फायदों” के लिए सब कुछ प्रयोग कर सकते हैं!”
वहीं भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंखक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कल के न्यायमूर्तियों की टिप्पणियों के आलोक में यह कहा था कि
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नुपुर शर्मा की याचिका पर किये गये फ़ैसले का स्वागत करता हूँ । नुपुर को नेशनल टेलीविजन पर आकर सार्वजनिक रूप से देश से माफ़ी माँगनी चाहिए ।हमारे मुस्लिम भाईयो से गुज़ारिश है कि इस विषय को अब यहीं समाप्त कर देना चाहिए ।
हर कोई नुपुर शर्मा को माफी मांगने की सलाह दे रहा है, परन्तु यह कोई भी नहीं बता रहा है कि क्या नुपुर शर्मा ने जो कहा था वह सही है या गलत! यदि नुपुर ने किसी भी कानून का उल्लंघन किया है तो उसे संविधान के अनुसार दंड मिले एवं यदि उसने वही कहा है जो उस समुदाय की किताब में पहले से ही लिखा है, जैसा कई इस्लामिक जानकारों के अनुसार लिखा गया है, तो उसे सम्मान सहित आरोपमुक्त किया जाए!

परन्तु इन सभी के आड़ में यह नहीं भूला जाए कि कैसे वह कट्टरपंथी तत्व जो समाज के लिए हानिकारक हैं और समाज में द्वेष फैला रहे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक विश्वास के चलते कहीं उसी का प्रयोग तो नहीं कर रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी को अपनी घृणा के लिए माध्यम बना रहे हैं?
यदि ऐसा है तो इस पर शीघ्र ही अपनी स्थिति स्पष्ट करने की पार्टी को आवश्यकता होगी, कहीं ऐसा न हो कि वास्तव में ही उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग जाएं!
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