दक्षिण भारत में इस समय एक संक्रमण काल से निकल रहा है, वहां अलग तरह की राजनीति चल रही है, जहाँ तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में जम कर मिशनरी धर्मांतरण करा रही हैं, वहीं तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में कट्टर इस्लामिक ताकतें सर उठा रही हैं। इन दोनों ही ताकतों का एक ही उद्देश्य है, भारत से सनातन का सफाया कर देना । दक्षिण भारत के कई राजनीतिक दल भी आपस में गठजोड़ कर चुके हैं, उन्हें बस एक आक्रामक नेतृत्व की जरूरत है, जो उनका पथप्रदर्शन कर सके।
तमिलनाडु में द्रमुक का एकछत्र राज है, और उनकी छत्रछाया में मिशनरी और इस्लामिक तत्व फलफूल रहे हैं। वहीं उनके सहयोग दल भी सनातन विरोधी मानसिकता वाले हैं। ऐसे ही एक सहयोगी और चिदम्बरम निर्वाचन क्षेत्र के सांसद थिरुमावलवन ने कहा है कि सनातन ताकतों को हराने के लिए डीएमके को कांग्रेस के साथ हाथ मिला लेना चाहिए। उन्हें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सिद्धारमैया के मार्गदर्शन की आवश्यकता है, जो अगर भविष्य में प्रधानमंत्री बनते हैं तो सनातनी ताकतों का हमेशा के लिए उन्मूलन कर देंगे।
तमिलनाडु के चिदम्बरम निर्वाचन क्षेत्र के लोकसभा सांसद और विदुथलाई चिरुथाइगल काची (वीसीके) के प्रमुख थिरुमावलवन एक कट्टर हिंदू विरोधी हैं। अतीत में उन्होंने कई अवसरों पर हिंदू देवताओं और मंदिरों को बदनाम किया है। उन्होंने हिंदू मंदिरों की संरचनाओं को अश्लील बताया। उन्होंने कहा, “अगर किसी संरचना में गुंबद होता है, तो उसे मस्जिद कहा जाता है, यदि इसमें एक लंबा और टॉवर जैसी संरचना है तो यह एक चर्च है; वहीं हिन्दू मंदिरों में अश्लील मूर्तियां होती हैं, उनकी संरचनाएं अश्लील होती हैं।
सांसद थिरुमावलवन वही हैं, जिन्होंने 2019 में ‘सनातन धर्म का उन्मूलन‘ नामक सम्मेलन का आयोजन किया था। उन्होंने बताया था कि इस्लाम और ईसाई जैसे अब्राहमिक विश्वास अच्छे हैं क्योंकि वह हिंदू धर्म को अपमानित करते हैं। उन्होंने बाबरी मस्जिद ध्वस्त करने का उदाहरण देते हुए कहा कि उसी प्रकार से तिरुपति बालाजी, कांचीपुरम कामाक्षी अम्मान, श्रीरंगम रंगनाथ स्वामी जैसे हिंदू मंदिरों को भी तोड़ देना चाहिए। इसी प्रकार पूरे देश में हिन्दू मंदिरों को तोड़ देना चाहिए, वहीं बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण कराना चाहिए।
उन्होंने भगवान अयप्पा के जन्म का भी उपहास उड़ाकर उन्हें बदनाम करने का प्रयास किया। हिंदू देवी-देवताओं और शास्त्रों के बारे में दुष्प्रचार किया और अब्राहमिक विचारों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की। सोचिये ऐसा व्यक्ति सनातन को नष्ट करने की बात कर रहा है, आपको बता दें, उनकी पार्टी वीसीके ने एक पुरस्कार समारोह का आयोजन किया था जिसमें कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया को सम्मानित किया गया था।
जानिए क्यों थिरुमावलवन सिद्धारमैया का इतना गुणगान कर रहे हैं?
यह बड़ी आश्चर्जनक बात है कि एकाएक थिरुमावलवन क्यों सिद्धारमैया के इतने गुण गा रहे हैं। थिरुमावलवन कहने को तो डीएमके के सहयोगी हैं, लेकिन वह कांग्रेस के प्रति ज्यादा निष्ठावान लगते हैं। उन्होंने कहा, “सनातन शक्तियों को हराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाना आवश्यक हो गया है। यह भाजपा और संघ परिवार ही है जो डॉ अम्बेडकर को अपना दुश्मन समझता है, क्योंकि उन्होंने संविधान की रचना की थी। भाजपा ना सिर्फ अल्पसंख्यकों की दुश्मन नहीं है, बल्कि वह हिंदुओं की भी दुश्मन है, और उसका फिर से सत्ता में आना देश के लिए बड़ा ही कष्टकारी होगा।”
उन्होंने कहा, ‘सिद्धारमैया एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने सामाजिक न्याय के लिए कार्य करने के लिए स्वयं का जीवन समर्पित कर दिया है। उन्होंने सबसे पहले सरकारी ठेकों में आरक्षण और सरकारी नौकरियों में पदोन्नति की बात कही थी। उनकी नीतियां सामाजिक न्याय के परिप्रेक्ष्य पर आधारित हैं, उन्हें भारत का प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनाना चाहिए? अगर वह प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो सनातनी ताकतें फिर कभी अपना सर नहीं उठा पाएंगी।
थिरुमावलवन ने कर्नाटक में अंधविश्वास विरोधी कानून लाने के लिए सिद्धरमैया की भी सराहना की, जो केवल हिंदू अनुष्ठानों को लक्षित करता है। ऐसे समय में जब भाजपा कार्यकर्ता भी भाजपा सरकार की आतंकवादी ताकतों से निपटने में अकर्मण्यता से दुखी है, ऐसे में “सनातन शक्तियों को बाहर फेंकने” के इस खुले आह्वान को हलके में नहीं लेना चाहिए। यह मात्र भाजपा को हराने की बात नहीं है, बल्कि सनातन और हिन्दुओं के नाश की बात की जा रही है। यहाँ भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है कि वह अपनी मूल विचारधारा को याद रखे, उत्पीड़ित समुदाय के उत्थान पर काम करे, और हिंदुओं का पुरजोर समर्थन करे, उनकी सुरक्षा पर ध्यान दे। तभी ऐसे विधर्मी तत्वों का सामना हिन्दू समाज कर सकेगा!