कांग्रेस द्वारा महंगाई पर दिनांक 12 दिसंबर को एक महारैली का आयोजन किया गया था। जिसमें बात होनी थी महंगाई पर, घेरना था, महंगाई पर और बातें करनी थी महंगाई पर, परन्तु राहुल गांधी ने बात की हिंदुत्व पर! हिन्दुओं पर! एक बार फिर से हिन्दू और हिंदुत्व पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दू की हत्या हिंदुत्व करता है। फिर उन्होंने उदाहरण दिया कि
“मैं हिदू हूं, लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं हूं। महात्मा गांधी हिंदू थे और नाथूराम गोडसे हिंदुत्ववादी थे।“
फिर उन्होंने कहा कि एक शब्द है हिन्दू और दूसरा शब्द है हिन्दुत्ववादी! यह दोनों ही अलग हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू सत्य को ढूंढता है। मर जाए, कट जाए, फिर भी हिंदू सच को ढूंढता है। उसका रास्ता सत्य रहा। पूरी जिंदगी वो सच को ढूंढने में निकाल देता है। जबकि हिंदुत्ववादी पूरी जिंदगी सत्ता को ढूंढने और सत्ता पाने में निकाल देता है। उसे सत्ता के अलावा कुछ नहीं चाहिए होती है! वह सत्ता के लिए किसी को भी मार देगा। उसे सत्ता चाहिए होती है, उसका रास्ता सत्याग्रह नहीं, सत्ताग्रह होता है!”
उन्होंने कहा हिन्दू डरता नहीं है और हिन्दुत्ववादी डर के सामने घुटने टेकता है, और इस डर से उसके दिल में नफरत पैदा होती है! और उन्होंने कहा कि हमें एक बार फिर से इन हिंदुत्ववादियों को बाहर निकालकर हिन्दुओं का राज लाना है!
हालांकि उनकी जीभ लडखडाई और उन्होंने यह कहा कि हमें इन हिन्दुओं-हिन्दुत्ववादियों को बाहर निकालकर हिन्दुओं का राज लाना है!
जब रैली महंगाई पर थी तो हिन्दुओं के प्रति घृणा क्यों?
इस रैली को एक बार फिर से राहुल गांधी की लॉन्चिंग रैली कहा जा रहा था। हर बार राहुल गांधी विदेश से लौटते हैं तो उन्हें लौंच करने के लिए कोई न कोई रैली होती है। इस बार महंगाई पर रैली हुई। परन्तु उन्होंने इस रैली को केवल हिन्दुओं को कोसने में खर्च कर दिया। क्योंकि उनके लिए हिन्दू और हिंदुत्व अलग हो सकता है, आम हिन्दू के लिए नहीं।
वामपंथी जब लोगों को बरगलाते हैं तो एक वाक्य कहते हैं “हम धार्मिक नहीं है, आध्यात्मिक हैं!” क्या बिना धर्म के आध्यात्मिकता आ सकती है? धर्म और आध्यात्म एक ही है, हाँ वह यह कह सकते हैं कि वह मजहबी या रिलीजियस नहीं हैं, आध्यात्मिक हैं। खैर, वह मामला अलग हो जाएगा। आपको बताया इसलिए क्योंकि जब से कांग्रेस में वामपंथी नेता सम्मिलित हुए हैं, वह ऐसे ही समाज को वैचारिक विखंडन वाले तर्क प्रदान करने लगे हैं। जैसे हिन्दू या हिन्दुत्ववादी, आदि आदि! जबकि देखा जाए तो हिन्दू और हिंदुत्व में अंतर है ही नहीं। दरअसल यह राहुल गांधी की हिन्दुओं के प्रति घृणा है, जो बार बार हिंदुत्ववादियों के नाम पर प्रकट होती रहती है।
पहले भी दिए हैं, हिन्दुओं के विरुद्ध वक्तव्य
ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने आज ही हिन्दुओं के विरुद्ध वक्तव्य दिए हैं। दरअसल यह उनकी आदत है, फितरत है। विकीलीक्स के अनुसार राहुल गांधी ने एक बार राहुल ने अमेरिकी राजदूत से बातचीत के दौरान कहा था कि भारत को मुस्लिम आतंकवादियों की तुलना में हिन्दू संगठनों से ज़्यादा ख़तरा है।
और इतना ही नहीं उन्होंने यह तक कहा था कि मंदिर में लडकियां छेड़ने के लिए लोग मंदिर जाते हैं।

वह कई बार हिन्दुओं को अपमानित कर चुके हैं। हाल ही में त्रिपुरा भी उन्होंने हिन्दुओं को अपमानित करते हुए लिखा था कि हिन्दू, मुस्लिमों को मार रहे थे हैं।
इससे पहले भी एक मीटिंग में वह हिन्दू और हिंदुत्व के बीच ऐसा ही अंतर बता चुके हैं।
क्या चुनावों की हार का गुस्सा है?
यह बात पूछी जा सकती है कि क्या राहुल गांधी को इस बात का गुस्सा है कि हिन्दुओं के कारण वह सरकार में नहीं आ पा रहे हैं? कोई कितना भी यह कह ले कि भारतीय जनता पार्टी को विकास के लिए वोट मिले हैं, परन्तु यह सत्य है कि भारतीय जनता पार्टी को वोट हिन्दुओं के मिले हैं और हिन्दुओं का गुस्सा था जो कांग्रेस एवं अन्य दलों की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति से कुपित थे और साथ ही स्वयं पर हिन्दू आतंकवाद थोपे जाने से अत्यंत क्रोध में थे, और उन्होंने इसी कारण कांग्रेस को पराजित ही नहीं किया, बल्कि उसे कहीं का नहीं छोड़ा। कांग्रेस को अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा था। फिर से वर्ष 2019 में राहुल गांधी का प्रधानमंत्री बनने का सपना टूटा था।
और इसमें हिन्दुओं का ही सबसे बड़ा हाथ था, तो सत्ता छीने जाने के कारण राहुल गांधी हिन्दुओं से घृणा करते हैं, और इस घृणा को वह समय समय पर प्रदर्शित करते रहते हैं।
इधर राहुल अपनी हिन्दू घृणा दिखा रहे थे और उधर नरेंद्र मोदी हिन्दू धर्म की सेवा कर रहे थे, एक नया प्रतिमान गढ़ रहे थे
एक दिन पहले जहाँ राहुल गांधी जिन्हें हिंदुत्ववादी कहकर कोस रहे थे और जनता को भड़का रहे थे, वही नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को हिन्दुओं को उनका ऐतिहासिक एवं धार्मिक वैभव लौटा रहे थे। आज भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को जनता को समर्पित किया। जिस काशी को अब तक कांग्रेस ने गलियों और गंदगी का शहर बना दिया था, उस काशी को आज हिंदुत्ववादी नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ ने जो रूप दिया है, वह अकल्पनीय है।
जनता देख रही है कि हिन्दुओं को कोसने वाले क्या कर रहे हैं, और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी क्या कर रहे हैं!
हिन्दुओं को कोसने वाली कांग्रेस के शासन काल की काशी और प्रधानमंत्री श्री नरेंद मोदी की काशी में अंतर जनता देख रही है! कांग्रेस के शासनकाल में जो हुआ था, उसके कारण सबसे प्राचीन नगर काशी की पहचान सबसे प्रदूषित शहरों में होती थी, जबकि आज हिन्दुत्ववादी श्री नरेंद्र मोदी ने काशी को उसकी पहचान, उसका वैभव लौटाया है!
जनता सब देख रही है! राहुल गांधी जिस हिन्दुत्ववादी को सत्ता से हटाने के लिए हुंकार भर रहे हैं, आज पूरा विश्व काशी को एक नई दृष्टि से उन्हीं हिन्दुत्ववादी की दृष्टि से देख रहा है, कुछ चित्र आज की भव्यता की कहानी कह रहे हैं, कुछ चित्र गौरव गान कर रहे हैं:







यह वैभव और गौरव हिन्दुत्ववादियों ने प्रदान किया है जबकि हिन्दुओं से घृणा करने वाले राहुल गांधी ने हिन्दुओं को आतंकवादी कहा था!