एक स्वयंघोषित पादरी का वीडियो सामने आया है जिसमें हिन्दुओं को ईसाई बनाने के लिए “भारत जोड़ो” जैसी एक यात्रा निकालने का आह्वान किया जा रहा है। इस पादरी द्वारा आयोजित एक नकली उपचार सत्र में, हिंदू महिलाओं को ईसाई रिलिजन स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया गया और उन्हें विश्वास दिलाया गया कि “पत्थर की पूजा करना” व्यर्थ है । हालांकि जब स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत की तो इस कार्यक्रम पर रोक लगा दी गयी।
8 दिसंबर को आयोजित होने वाले उपचार प्रार्थना सत्र के पोस्टर घटना के कुछ दिन पहले बारामती में दिखाई दिए थे। इसके अतिरिक्त इस पादरी ने इशू की प्रार्थना और कुछ आभासी गतिविधि कर लोगों की बीमारियां ठीक करने और इनकी सामाजिक और वित्तीय समस्याओं को हल करने का दावा भी किया। इन पोस्टरों में कहा गया है, “यह ईश्वर की इच्छा है कि हम ईसाई रिलिजन में एक साथ आएं।”
इस प्रार्थना सभा का आयोजन बारामती के वसंतनगर निवासी स्वयंभू पादरी सुनील जाधव ने किया था। स्थानीय लोगों को यह एक ईसाईयों के लिए एक प्रार्थना का आयोजन लग रहा था, लेकिन बाद में यह ज्ञात हुआ कि कुछ हिंदू महिलाएं भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं थी और उनका अवैध धर्मांतरण कर ईसाई बना दिया गया था।
ऑपइंडिया ने इस 3-दिवसीय कार्यक्रम को विस्तार से कवर किया था। उनके अनुसार मिशन हाई स्कूल में पहले दिन पश्चिमी भारत में चर्च ऑफ क्राइस्ट द्वारा संचालित इस आयोजन में पादरी जाधव ने कहा कि वे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जैसी यात्रा का आयोजन करने वाले हैं, जिसका एक ही ध्येय होगा, देश भर में हिन्दुओं और सिखों को परिवर्तित कर के ईसाई बनाना।
जाधव ने कहा था, “ईसाई धर्म में विश्वास करो, यीशु के अस्तित्व में विश्वास करो”। जाधव ने आह्वान करते हुए कहा कि “अगर आप अभी बदलते हैं तो ही आप देश भर में कई लोगों को बदल पाएंगे। आपके समर्थन से हम भारत जोड़ो जैसी यात्रा करेंगे और देश भर में लोगों में ईसाई रिलिजन के प्रति विश्वास बढ़ाने का कार्य करेंगे।
पादरी जाधव के बाद लोगों को सम्बोधित करते हुए उपदेशक मैरी ने पंडितों पर विश्वास करने के लिए हिंदुओं को मूर्ख बताते हुए उन्हें अपशब्द कहे । उसने कहा, “यीशु का दरबार रे हमें प्यारा लगता है, तेरे दरबार में कौन कौन आए, पंडित, मुरख, गवार रे हमें प्यारा लगता है”। बड़ी ही आश्चर्य की बात थी कि जब यह पादरी और उसकी सहयोगी मंच पर हिंदू मान्यताओं का अपमान कर रहे थे, उसी समय नीचे उनके सहयोगी और शिष्य नवागंतुकों से बात कर रहे थे। वह लोग विशेष रूप से हिंदू महिलाओं को ईसाई रिलिजन में परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे थे।
इस पादरी ने हिंदू देवी-देवताओं को गाली देते हुए कहा, “ईश्वर अदृश्य है, हमें उसे महसूस करना चाहिए। हमें पत्थरों की बनी मूर्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए, जैसे हिन्दू किया करते हैं। वह पत्थर क्या हमारी बात समझ सकता है? हम, मनुष्य, पापों से घिरे हुए हैं, अपनी आने वाली पीढ़ियों को पापों से मुक्त करने के लिए, आप भोले-भाले हिन्दुओं को हिंदू धर्म को छोड़ कर अधिक आकर्षक ईसाई रिलिजन को अपना लेना चाहिए।
इस आयोजन में कथित ‘हीलिंग प्रार्थना’ के पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पादरी अनीश विजगत ने मंच संभाला। इस पादरी ने दावा किया कि वह एक बिशप है और उसके अधीन 300 से ज्यादा पादरी काम कर रहे हैं। वह पुणे में ग्लोरियस इंजीलिकल प्रॉफेटिक मिनिस्ट्रीज चलाते हैं और अपनी पत्नी के सहयोग से ईसाई रिलिजन का प्रचार करते हैं।
पादरी अनीश विजगत स्वयं को एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में दिखाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद (आईएचआरसी) और भ्रष्टाचार विरोधी संस्था से जुड़े होने का दावा करता है। हालांकि आईएचआरसी की वेबसाइट पर इस पादरी के बारे में कोई भी विवरण नहीं मिलता है। लेकिन एनजीओ दर्पण के पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी से पता लगता है कि सनी शाह इसका अध्यक्ष है और नशीत अफरोज इसका महासचिव है।
अनीश विजगत ‘एंटी करप्शन एंड मीडिया इन्वेस्टिगेशन’ नाम की एक गैर सरकारी संस्था चलाने का दावा भी करता है। वहीं स्थानीय लोगों के अनुसार अनीश अपने घर पर ही एक चर्च का संचालन करता है, जहां खुलेआम धर्मांतरण किया जाता है। बैठक के आखिरी दो दिन ‘ज्येष्ठ नागरिक संघ’ में होने थे, जो एक तरह का कम्युनिटी हॉल है। जब ऑपइंडिया ने इस घटना के बारे में पूछताछ करने के लिए संघ से संपर्क किया, तो उन्होंने धर्मांतरण के प्रयासों के बारे में अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि उन्होंने केवल प्रार्थना सभा आयोजित करने की अनुमति ली थी।
हालांकि, इसके पश्चात स्थानीय लोगों के कड़े विरोध के बाद इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था। पहले दो दिनों में, सत्र के अंत में, सभी को पैसे डालने के लिए एक थैला दिया गया। गरीब लोग जो अपनी समस्याओं के समाधान ढूढंने वहां गए थे, उनसे उलटा भुगतान करवाया गया। यूट्यूब पर एक वीडियो पादरी विजगत के ‘इवेंजेलिकल प्रॉफेटिक मिनिस्ट्री’ के ध्येय पर प्रकाश डालता है। उसका एकमात्र ध्येय गैर ईसाईयों को अपना शिष्य बनाना और और अंततः उनका धर्मांतरण करना है। विजगत की पत्नी जूलिया महिलाओं को भ्रमित करती है और पादरी की महिला सहयोगियों को प्रशिक्षण भी देती है।
पादरी और उनके सहयोगी अध्यात्म के नाम पर गैर ईसाईयों को भ्रमित करते हैं और उनका धर्म परिवर्तित करते हैं, जो धर्म के लिए बड़ा ही खतरनाक होता है। ऐसे लोग लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनकी बीमारियों और आर्थिक कठिनाइयों को दूर करने के लिए उन्हें प्रभु इशू की प्रार्थनाओं की ही आवश्यकता पड़ेगी। उन्हें हिन्दू देवी देवताओं का त्याग कर देना चाहिए। यह लोग बीमार लोगों को ठीक करने और यहाँ तक की मृत लोगों को पुनर्जीवित करने का दावा भी करते हैं।