दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अपने आपको भारत का सबसे ईमानदार और सत्यवादी नेता बताते हैं, लेकिन यह बात और है कि अपने आपको सबसे अलग दिखाने के लिए वह कई बार झूठ का आश्रय लेने में संकोच नहीं करते। वह अपने ‘दिल्ली मॉडल’ का बखान करते हैं, और अपने मीडिया के मित्रों और विज्ञापनों का उपयोग कर यह दर्शाने का प्रयत्न करते हैं जैसे उनके शासन में अलौकिक और क्रांतिकारी कार्य हो रहे हों। हालांकि उनके झूठ की पोल अधिकांशत: जनता ही खोल देती है!
बुधवार, 31 अगस्त, 2022 को आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में देश के कथित ‘पहले वर्चुअल स्कूल‘ का उद्घाटन किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति की शुरुआत हो रही है। आज देश का पहला वर्चुअल स्कूल दिल्ली में शुरू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आगे कहा कि हमें बाबा साहब का सपना पूरा करना है, देश के हर बच्चे तक अच्छी शिक्षा पहुंचानी है, दिल्ली के डिजिटल स्कूल में नौवीं क्लास के लिए एडमिशन शुरू हो गए हैं। इस वेबसाइट DMVS.ac.in पर जाकर बच्चे एडमिशन ले सकते हैं।
जैसे ही यह समाचार सामने आया, टीवी और सोशल मीडिया पर इस विषय पर वाद विवाद शुरू हो गया। जहां आम आदमी पार्टी समर्थक इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बता रहे हैं, और ऐसा दर्शाया जा रहा है कि जैसे दिल्ली सरकार ने एक अनोखा और क्रांतिकारी कदम उठाया हो। हालांकि इनकी जांच परख करने के पश्चात यह पता लगा है कि यह दावा पूरी तरह से झूठा है। दिल्ली सरकार द्वारा खोला गया वर्चुअल स्कूल देश का पहला वर्चुअल स्कूल नहीं है, देश के अन्य राज्यों में और केंद्र सरकार द्वारा भी वर्चुअल स्कूल खोले जा चुके हैं।
उत्तराखंड में खुला था भारत का पहला ‘वर्चुअल स्कूल’
प्राप्त जानकारी के अनुसार अक्टूबर 2020 में, देश में सबसे पहला वर्चुअल स्कूल का उद्घाटन उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में किया था। इस बारे में देश भर के मीडिया में समाचार भी प्रकाशित हुआ था। इस स्कूल में भारतीय ज्ञान परंपरा, वैदिक गणित, विज्ञान, भारतीय शास्त्रीय संगीत, संस्कृति, कला और परंपराओं की शिक्षा दी जा रही है। इस स्कूल से देश के किसी भी राज्य के छात्र जुड़ सकते हैं और अपनी शिक्षा पूरी कर सकते हैं।

वर्चुवल उद्घाटन समारोह में अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका समेत देश विदेश के कई बड़े संस्थानों के लोग भी जुड़े थे। संस्थान की संस्थापक रीना त्यागी ने बताया था कि वर्चुअल स्कूल शिक्षा के परंपरागत माध्यम को बदल देगा और छात्रों को उनकी सुविधानुसार जानकारी लेने में सहायता करता है और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।
अगस्त 2021 में केंद्र सरकार ने एनआईओएस के वर्चुअल स्कूल का उद्घाटन किया था
अगस्त 2021 में केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनआईओएस के वर्चुअल स्कूल का उद्घाटन किया था। इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने ट्वीट कर जानकारी भी दी थी। धर्मेंद्र ने बताया था कि इस स्कूल का उपयोग कर 3-9 वर्ष के 7.5 करोड़ छात्रों को पढ़ने, लिखने और अंकगणित में निपुण बनाने का प्रयास किया जाएगा। तकनीक का उपयोग कर शिक्षक और शिक्षार्थी के मध्य दूरी को कम किया जाएगा। वर्चूअल स्कूल की परिकल्पना मोदी सरकार की शिक्षा की ओर प्रतिबद्धता को दृष्टिगत करती है।
क्या होता है वर्चुअल स्कूल?
यह ऑनलाइन विद्यालय होते हैं, जहां तकनीक का उपयोग कर एक ही समय में शिक्षक सैंकड़ो छात्रों को पढ़ा सकता है। इसमें देश और दुनिया के छात्र अपने घर बैठे बैठे ही शिक्षा का लाभ ले सकते हैं। इसमें छात्र अपने मोबाइल फोन, टैब, या लैपटॉप के माध्यम से कक्षा से जुड़ सकते हैं, अपने कक्षा और गृह कार्य कर सकते हैं, और अपनी परीक्षाएं भी दे सकते हैं। इस तरह के विधालयों में परीक्षाएं तनाव मुक्त होती हैं और छात्र को उनकी तैयारी के अनुसार परीक्षा देने की स्वतंत्रता भी होती है। यह शिक्षा का एक सस्ता माध्यम भी होता है, और सुदूर क्षेत्रों के छात्र भी कम खर्च में अच्छी शिक्षा का लाभ ले सकते हैं।
दिल्ली सरकार के ‘शिक्षा मॉडल’ पर हो रहा है वाद विवाद
अरविन्द केजरीवाल ने यह दावा ऐसे समय किया है जब देश भर में दिल्ली के ‘शिक्षा मॉडल’ पर तीखी बहस छिड़ी हुई है। विपक्षी नेता और अन्य राज्यों के मंत्री भी उनसे वाद-विवाद करते रहते हैं और दिल्ली सरकार के दावों को झूठा बताते रहते हैं। इसी बीच, उनका कथित रूप से देश का पहला वर्चुअल स्कूल खोलने का दावा पूरी तरह से झूठा निकला है।