कट्टरपंथी संगठन पीएफआई को आज सुबह सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया, परन्तु यह अचानक नहीं हुआ था, इसके लिए पहले तैयारी की गयी थी एवं मजबूत प्रमाण भी एकत्र किए गए थे! भारत का विपक्ष एवं मुस्लिम नेता कई बार यह ताना भी मारते थे कि यदि पीएफआई आतंकी संगठन है तो इस पर सरकार प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाती है, तो वहीं सरकार का समर्थक एक बड़ा वर्ग भी सरकार द्वारा प्रतिबन्ध न लगाए जाने को लेकर क्रोधित था। सरकार द्वारा पीएफआई एवं सहायक संस्थाओं पर प्रतिबन्ध से आम जनता ने भी राहत की सांस ली है।
आइये जानते हैं कि उससे पहले क्या हुआ था?
आतंकवादी संगठन पीएफआई पर कड़ा प्रहार करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी के निर्देश पर देश की दूसरी कानूनी संस्थाओं और पुलिस ने 26 सितम्बर को एक बार फिर से देश भर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कई ठिकानों पर छापेमारी की। यह अभियान आठ राज्यों में चलाया गया, जिसके पश्चात 150 से अधिक पीएफआई के सदस्यों को हिरासत में ले लिया गया। एनआईए के अनुसार दिल्ली, यूपी, कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश समेत आठ राज्यों में छापे मारे गए।
गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने वक्तव्य भी दिया था कि उन्हें पीएफआई के विरुद्ध संदिग्ध सूचना और कई महत्वपूर्ण साक्ष्य भी मिले हैं, जिनके आधार पर यह देशव्यापी छापेमारी की गई है। इस कार्यवाही में 200 से ज्यादा संदिग्धों को गिरफ्तार भी किया गया है, यह कार्यवाही आगे भी चलती रहेगी। जांच एजेंसियों को जो भी जानकारी मिलेगी, उसी के अनुसार आगे की कार्यवाही की जायेगी।
महाराष्ट्र में 25 पीएफआई सदस्य गिरफ्तार
महाराष्ट्र पुलिस ने राज्य के अनेक जिलों में छापेमारी के पश्चात पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया। वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमारी सरकार देश विरोधी तत्व को जड़ से हटाने का काम करेगी। पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे इस राज्य में और देश में किसी को भी लगाने का अधिकार नहीं है इसे कतई सहन नहीं किया जाएगा।
वहीं महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से चल रही जांच में जो भी तथ्य सामने आए हैं उसके आधार पर छापेमारी की जा रही है। मैं किसी के उपर ठीकरा नहीं फोड़ना चाहता लेकिन यहाँ स्पष्ट है कि पीएफआई समाज में दरार पैदा करके और देश को खोखला करने का कार्य कर रही है।
कर्नाटक से 75 से अधिक पीएफआई और एसडीपीआई के सदस्य गिरफ्तार
कर्नाटक से एसडीपीआई के यादगिरि जिला अध्यक्ष सहित 75 से अधिक पीएफआई और एसडीपीआई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। राज्य पुलिस ने पूरे राज्य में सघन छापेमारी की, और सभी संदिग्धों के विरुद्ध धारा 108, 151 सीआरपीसी के अंतर्गत मामले दर्ज किए गए।
असम में पीएफआई पर बड़ा प्रहार
असम की पुलिस ने अन्य सुरक्षा दलों के साथ पीएफआई पर कड़ी कार्यवाही करते हुए 25 आतंकियों को हिरासत में ले लिया। पुलिस के अनुसार गिरफ्तार पीएफआई के सदस्यों में से 5 कामरूप ग्रामीण से, ग्वालपाड़ा से 10, करीमगंज से एक, दरंग से एक, उदालगुड़ी से एक, धुबड़ी से 3, बरपेटा से दो और बक्सा जिले से दो सम्मिलित हैं। असम के एडीजीपी (विशेष शाखा) हिरेन नाथ के अनुसार पीएफआई के विरुद्ध अभी भी कई जिलों में छापेमारी की जा रही है, और आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां की जाएंगी।
उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 40 से ज्यादा पीएफआई आतंकी गिरफ्तार
यूपी एटीएस और यूपी एसटीएफ ने एक संयुक्त अभियान में राज्य भर में छापेमारी में एक दर्जन से अधिक पीएफआई आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया। वहीं दिल्ली के निजामुद्दीन, शाहीन बाग इलाके सहित अन्य हिस्सों में पीएफआई से सम्बंधित स्थानों पर केंद्रीय एजेंसी और दिल्ली पुलिस द्वारा संयुक्त छापेमारी की गयी। इस कार्यवाही में 30 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है, और सभी से कड़ी पूछताछ की जा रही है।
मध्यप्रदेश और गुजरात में सघन छापेमारी
मध्यप्रदेश में भी एटीएस ने भोपाल, उज्जैन, इंदौर समेत आठ जिलों में पीएफआई सदस्यों के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई कर 22 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया। एटीएस को इन संदिग्ध लोगों की जानकारी पूर्व में पकड़े गए चार आरोपी लोगों से पूछताछ के बाद मिली। वहीं गुजरात में स्थानीय पुलिस ने पीएफआई के 10 आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया।
पीएफआई ने केंद्र सरकार और भाजपा से बदला लेने की योजना बनाई थी?
ख़ुफ़िया दलों को एक नोट से पता चला था कि पीएफआई सरकारी एजेंसियों, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक के नेताओं और संगठन पर आक्रमण करने की योजना बना रहा था। नोट के अनुसार, नई दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में अपने वरिष्ठ नेताओं को रखे जाने के बाद पीएफआई कार्यकर्ता नाराज हैं।
नोट में कहा गया था कि पीएफआई ने सरकार के विरुद्ध हिंसक जवाबी कार्रवाई का निर्णय किया है। सूत्रों के अनुसार पीएफआई ने ‘बयाथीस’ का रास्ता चुना था। यह अरबी शब्द है जिसका मतलब ‘मौत का सौदागर’ या ‘फिदायीन’ होता है, जो अपने आमिर के लिए मरने या मारने की कसम खाते हैं। कहीं न कहीं इस बात की आशंका थी कि पीएफआई आने वाले दिनों में देशभर में हिंसक हमले करवा सकती थी।