कल का दिन केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के लिए अभूतपूर्व था, क्योंकि शायद पहली बार ऐसा हो रहा था कि गृह मंत्रालय के अधिकारियों पर ही कार्यवाही करने का आदेश उन्हें दिया गया था। विदेशी चंदा प्राप्त करने में नियमों (एफसीआरए) का उल्लंघन करने के मामले में सीबीआई केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों, गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के कर्मचारियों और बिचौलियों के खिलाफ देशभर में सघन अभियान चलाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन के मामले में दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, राजस्थान, कोयंबटूर, और मैसूर के लगभग 40 जगहों पर समन्वित छापा अभियान चलाया गया। अधिकारियों के अनुसार अभियान के दौरान उन्हें कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं जिससे ये पता चला है कि गृह मंत्रालय के अधिकारियों, एनजीओ के प्रतिनिधियों और बिचौलियों ने एफसीआरए, 2010 का उल्लंघन करते हुए विदेशी अनुदान प्राप्त कराने के लिए पैसों का लेनदेन किया।
सीबीआई अधिकारियों के अनुसार एजेंसी ने इस मामले में अभी तक गृह मंत्रालय के अधिकारियों और एनजीओ के प्रतिनिधियों समेत करीब छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं इस अभियान द्वारा अभी तक दो करोड़ रुपये के हवाला लेनदेन का भी पता चला है। प्राप्त साक्ष्यों का विश्लेषण कर एजेंसी इस विषय पर भविष्य में भी कार्यवाही करेगी।
क्या है विदेशी चंदे का मामला?
भारत में जितने भी गैर-सरकारी संगठन हैं, उन्हें विदेशो से चंदा लेने की स्वतंत्रता है, लेकिन उसके लिए उन्हें एफसीआरए कानून का कड़ाई से पालन करना पड़ता है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में ये देखने में आया है कि यह गैर-सरकारी संगठन कानून का पालन नहीं कर रहे थे, इसी कारण सरकार ने इनके लाइसेंस भी रद्द किये थे।
गृह मंत्रालय को इस विषय पर कई शिकायतें मिली थी, जिनके अनुसार गृह मंत्रालय के विदेशी विभाग के निचले स्तर के अधिकारियों को कुछ संस्थाओ को एफसीआरए मंजूरी दिलाने के बदले अवैध रूप से धन दिया गया था। इस पूरी प्रक्रिया को बिचौलियों की सहायता से किया गया, ऐसे गैर सरकारी संगठन जिन्हे सरकार ने एफसीआरए मंजूरी से वंचित कर दिया था, उन्होंने बिचौलियों को धन दिया, जिसे अंततः गृह मंत्रालय के अधिकारियो को दे दिया गया, बदले में इन संस्थाओं के एफसीआरए लाइसेंस का नवीनीकरण कर दिया गया था।
केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार यह पता लगा था कि गृह मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने इन संगठनो से अवैध लेन देन कर इनके लाइसेंस वापस दिलाने के लिए कागजो में हेर फेर भी किया था। केंद्रीय एजेंसी द्वारा छापेमारी तब की गई जब गृह मंत्रालय को इस भ्रष्टाचार में अपने विभाग के कुछ अधिकारियों के शामिल होने पर संदेह हुआ। अधिकारियों के अनुसार मोदी सरकार की “भ्रष्टाचार के विरुद्ध शून्य सहनशीलता” की नीति का पालन करते हुए इस कार्यवाही को किया गया।
क्या है FCRA (विदेशी अभिदाय एवं अधिनियम) नियम?
किसी भी गैर-सरकारी संगठन (NGO) के लिए विदेशों से धन प्राप्त करने के लिए विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम या एफसीआरए के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य है। सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी पंजीकृत NGO को वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के नौ महीने के भीतर प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए अपनी आय और व्यय का विवरण, भुगतान और रसीद खाता, बैलेंस शीट आदि की एक वार्षिक रिपोर्ट ऑनलाइन प्रस्तुत करना आवश्यक है।
इस नियम का उल्लंघन करने पर इन संस्थाओं का विदेशी धन लेने का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है, और फिर ये विदेशों से धन नहीं ले सकती हैं। हालाँकि सरकार ने एक व्यवस्था भी बनायी है, अगर कोई संस्था इच्छित जानकारी दे देती है, तब उसका विश्लेषण गृह मंत्रालय के सम्बद्ध अधिकारी करते हैं, और सब कुछ सही पाए जाने पर संस्था का लाइसेंस फिर से नवीनीकृत कर दिया जाता है।
इस बार यह पता लगा है कि गृह मंत्रालय के ही अधिकारी इन संस्थाओं और बिचौलियों से धन ले कर उनके कागजो में हेर फेर करके उनके लाइसेंस का नवीनीकरण कर रहे थे, जिस पर सरकार ने कार्यवाही की है। हमे आशा है ऐसे कार्यो में लिप्त सभी अधिकारी, बिचौलिए और NGO पर सरकार कठोरतम कार्यवाही करेगी और भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार न हों उसका उचित उपाय भी करेगी।