यूक्रेन और सीरिया तक जाने वाली हमारी मीडिया और फेमिनिस्ट की नजर पश्चिम बंगाल तक नहीं जा पा रही है। जब रूस और युक्रेन युद्ध आरम्भ हुआ था, तो एक पोस्ट बार-बार फेमिनिस्ट फॉरवर्ड कर रही थीं कि सभी युद्ध स्त्रियों की देह पर लड़े जाते हैं। परन्तु युद्ध में स्त्री देह पर बात करने वाली बंगाल तक या कहें गैर भाजपा सरकारों में लड़कियों के लिए फटी जींस पर बवाल मचाने वाली, आन्दोलन चलाने वाली, मेरी रात मेरी मर्जी कहने वाली सभी फेमिनिस्ट उस अत्याचार पर मौन हैं, जो ममता बनर्जी की पार्टी के नेता ने ही केवल नहीं किया है, बल्कि उस चौदह साल की बच्ची की मृत्यु को प्रेम प्रकरण में मृत्यु बता दिया है।
क्या था मामला?
मामला यह था कि बंगाल में एक चौदह साल की बच्ची का बलात्कार हुआ था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को कक्षा 9 में पढने वाली पीड़िता के पिता ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी कि उनकी बेटी टीएमसी पंचायत सदस्य समर गोअली के बेटे सोहेल की बर्थडे पार्टी में 4 अप्रेल को गयी थी। जब वह मंगलवार की सुबह लौटी तो बहुत बीमार थी, उसके पिता उसे अस्पताल ले गए, परन्तु वह दोपहर में ही चल बसी। पीड़िता का अंतिम संस्कार जल्दी जल्दी ही गोअली के जोर देने पर स्थानीय शमशान घाट पर कर दिया।
पीड़िता के पिता के अनुसार उनकी बेटी जब घर आई तो बहुत बुरी तरह से बीमार थी और यह भी आरोप है कि उसे पार्टी में शराब दी गयी थी। उन्होंने कहा कि वह सुबह आई तो उसके साथ एक महिला भी थी और उन्होंने यह भी दावा किया कि सोहेल ने परिवार को धमकी दी थी कि वह बच्ची को न ही किसी अस्पताल में ले जाएं और न ही मामले की शिकायत पुलिस में करें।
उसके बाद नाडिया जिले की चाइल्ड लाइन के माध्यम से शिकायत दर्ज हो पाई।
मामले पर हंगामा मचने के बाद सोहेल को गिरफ्तार किया गया है।
ममता बनर्जी ने अपने बयान से चौंकाया
जब इस मामले पर शोर मचा और राजनीतिक दलों एवं मीडिया ने सरकार और टीएमसी पर प्रश्न उठाने शुरू किये तो ममता बनर्जी ने सार्वजनिक मंच से जो कहा, वह हैरान करने वाला है। वह महिलाओं की अस्मिता के साथ साथ उनके आत्मसम्मान पर भी एक प्रश्न है और उपहास उड़ाता है। उन्होंने कहा कि क्या वह वास्तव में बलात्कार था या फिर एक गर्भावस्था, जो गलत हो गयी!”
बंगाली में बोलते हुए उन्होंने कहा कि
“एक आम आदमी जिसे कुछ भी पता नहीं है के रूप में, मैं यह कह रही हूँ कि किसी को सबूत कहां से मिलेगा कि क्या वास्तव में उसका बलात्कार हुआ था या वह गर्भवती थी या कोई अन्य कारण था, जैसे किसी ने उसे पीटा या वह किसी बीमारी से मर गई। प्रेम-प्रसंग जरूर था, उसके परिवार को इस बारे में पता था, और उनके पड़ोसियों को भी इसके बारे में पता था। अब अगर कोई लड़की और लड़का एक-दूसरे से प्यार करते हैं, तो मैं उन्हें सजा नहीं दे सकती। यह उत्तर प्रदेश नहीं है कि मैं लव जिहाद के नाम पर ऐसा कदम उठा सकती हूँ।“
या बहुत ही हैरान करने वाला वक्तव्य है क्योंकि बच्ची की उम्र मात्र चौदह वर्ष की थी और पंद्रह वर्ष से कम आयु की पत्नी भी है तो भी उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बलात्कार की ही श्रेणी में आएँगे। आखिर एक चौदह वर्ष की बच्ची कैसे किसी शारीरिक सम्बन्ध के लिए स्वीकृति दे सकती है और एक चौदह वर्ष की बच्ची की मृत्यु हुई है, और मुख्यमंत्री के अनुसार यह प्रेम प्रसंग है और घरवालों को पता था! यह बहुत ही गैर जिम्मेदार एवं हतप्रभ कर देने वाला बयान है जिसे सहज ही कोई स्वीकार नहीं कर सकता है। परन्तु ममता बनर्जी यह बात कह सकती है।
और उन्होंने बहुत ही आराम से इस मामले को मीडिया द्वारा प्रदेश को बदनाम करने वाला मामला कहकर प्रचारित कर दिया। पाठकों को याद होगा कि कैसे ममता बनर्जी ने पार्क स्ट्रीट पर हुए बलात्कार को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह महिला और उसके क्लाइंट के बीच कुछ गलतफहमी है।
फेमिनिस्ट और लेखक वर्ग का मौन अखरता है!
इस मामले में जो सबसे ज्यादा हैरान और चौंकाने वाला मामला है वह है कथित वाम फेमिनिस्ट कार्यकर्ताओं की चुप्पी! जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है वहां पर हुई हर घटना पर आन्दोलन करने वाली यह पूरी की पूरी ब्रिगेड इतने बड़े और हैरान करने वाले वक्तव्य पर चुपचाप है, वह मौन है! उत्तर प्रदेश में हाथरस मामले में सारे दलबदल के साथ जाने वाली मीडिया भी इस मामले पर चुप है, क्योंकि ममता बनर्जी ने यह कहते हुए मीडिया को घेर लिया है कि मीडिया उनके प्रदेश को बदनाम कर रहा है और उन्होंने इसे लव जिहाद से भी जोड़ दिया।
तो ऐसे में न ही मीडिया और न ही फेमिनिस्ट इस बात का साहस कर सकते हैं कि वह जाकर कुछ कहें, कुछ विरोध करें, क्योंकि यदि वह ऐसा कुछ कहते या करते हैं तो उन्हें लव जिहाद की अवधारणा का समर्थक कह दिया जाएगा!
परन्तु उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के फटी जींस वाले बयान पर आवाज़ फाड़ने वाली फेमिनिस्ट का इस प्रकार इतनी बेशर्मी वाले बयान पर बेशर्म चुप्पी देखना बहुत आतंकित भी करता है क्योंकि इससे यह भी पता चलता है कि कहीं न कहीं कथित अल्प्सख्यकों द्वारा किए गए इस घृणित यौन अपराध में वह अपराधियों के साथ हैं, पीड़िताओं के साथ नहीं! और ममता बनर्जी के साथ वह इसलिए हैं क्योंकि कथित “फासीवादी” मोदी और योगी से उन्हें ममता ही बचाएंगी क्योंकि वह संभावित प्रधानमंत्री हैं!
उन्हें ममता में मसीहा दिख रहा है और गुलाम मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं, उनके जुल्मों पर मुंह नहीं खोलते, जैसे वामपंथी फेमिनिस्ट और कथित स्वतंत्र लेखक एवं लेखिकाएं!