spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
21.1 C
Sringeri
Tuesday, November 12, 2024

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर ने किया प्रभु श्री राम का अपमान; यूनिवर्सिटी ने हटाया और क्षमा मांगी

भारत में प्रभु श्री राम का अपमान करना या कहें हिन्दू धर्म का अपमान करना सबसे बड़ी क्रान्ति है। और जहाँ अन्य पंथों के विषय में कुछ भी बोलना बेअदबी या ब्लेसफेमी के दायरे में आता है, तो वही हिन्दू धर्म के विषय में अपशब्द कहना एक ऐसे सुधार के विषय में कहना होता है, जिसकी समाज को जरूरत है। जहाँ शेष पंथों के महापुरुषों के विषय में मात्र अच्छा अच्छा कहा जाता है, तो वहीं हिन्दुओं के देवी देवताओं को साधारण इंसान से भी गया गुजरा समझकर व्यवहार होता है।

अपने पन्थ को और अपने पंथ के महापुरुषों के विषय में एक भी शब्द न सुनने वाले लोग हिन्दू धर्म पर अत्यंत अपमानजनक टिप्पणी करना अपना अधिकार मानते हैं। ऐसा ही एक मामला पंजाब में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से आया जहाँ पर एक प्रोफ़ेसर गुरसंग प्रीत कौर ने भगवान श्री राम को बुरा इंसान बताते हुए कहा कि “राम बुरा इंसान था, जिसने जानबूझकर रावण को मारने के लिए ट्रैप बिछाया!”

वायरल वीडियो में उन्होंने कहा कि राम ने सीता के अपहरण की साजिश रची थी। और उसके बाद वह छात्रों से भी कहती हैं, कि वह अपने विचार साझा करें। यह वीडियो वायरल होने के बाद जब लोगों के भीतर आक्रोश पैदा हुआ और सोशल मीडिया पर विरोध हुआ तो लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ने क्षमा मांगते हुए प्रोफ़ेसर को तत्काल प्रभाव से नौकरी से हटा दिया।

यूनिवर्सिटी के instagram हैंडल पर यूनिवर्सिटी ने लिखा कि

“हम समझते हैं कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो से बहुत गुस्सा है, जिसमें हमारी ही फैकल्टी की सदस्य अपने व्यक्तिगत विचार व्यक्त करते हुए दिखाई दे रही हैं।

हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि उन्होंने जो विचार व्यक्त किए हैं वह उनके अपने हैं और यूनिवर्सिटी उनका अनुमोदन नहीं करती हैं। हम एक सेस्क्युलर यूनिवर्सिटी हैं, जहाँ पर हर धर्म और मत के लोग एक समान अवसर के साथ पढ़ाई करते हैं।

उन्हें तत्काल प्रभाव से नौकरी से हटाया जाता है!”

हालांकि यूनिवर्सिटी की ओर से प्रोफ़ेसर की सेवाएं समाप्त कर दी गयी हैं परन्तु कब तक हिन्दू देवी देवताओं का अपमान होता रहेगा? यह न ही एक मात्र मामला है और न ही अंतिम। प्रभु श्री राम पर अपमानजनक कहना या बोलना अब एक फैशन है, दरअसल यह पहले से भी फैशन था।

जब से प्रगतिशील साहित्य नाम का कीड़ा साहित्य में आया, उसने हिन्दू देवी देवताओं के अपमान को अपना लक्ष्य बना दिया। जिन्हें धर्म की समझ नहीं थी, उन्होंने हिन्दू धर्म को तो अकेडमिक दायरे में रखा, मगर शेष सभी पंथों के अध्ययन को नहीं! शेष सभी पंथों के अध्ययन को धार्मिक स्टडीज में स्थान दिया गया, जैसे इस्लामिक स्टडीज, क्रिस्चियन स्टडीज, जिसमें कथित पंथ के ज्ञाता ही विषय पर बोल सकते हैं, परन्तु हिन्दू धर्म के साथ ऐसा नहीं किया गया।

मनुस्मृति को जलाने से लेकर रामायण, रामचरित मानस, वेदों, उपनिषदों एवं शेष धार्मिक ग्रंथों के साथ मनमर्जी के प्रयोग किये गए और इतना ही नहीं छोटे बच्चों से लेकर बड़े विश्वविद्यालयों के स्तर तक ऐसे ऐसे किस्से पढाए जाते रहे, जिनका मूल धर्म ग्रंथों से कोई लेना देना नहीं था।

कृष्ण के विषय में जहाँ भक्तिकाल में भक्ति से भरी रचनाएँ रची गईं तो हाल के समय में उन्हें लम्पट ठहराने वाली रचनाएँ भी उन्ही वामपंथियों द्वारा लिखी गईं, जो धर्म को नहीं मानते। हिन्दू धर्मग्रंथों के नायकों को नीचा दिखाने के लिए चरित्र से दुर्बल नायकों को महान बताया गया, जैसे अर्जुन के समकक्ष उस कर्ण को खड़ा करने का कुप्रयास किया गया और किया जा रहा है, जिसने द्रौपदी को वैश्या कहा था।

पूरे महाभारत में यदि द्रौपदी का अपमान किसी ने किया था, तो वह कर्ण और दुर्योधन एवं दुशासन थे। परन्तु चूंकि वामपंथियों को हिन्दू के ऐसे नायकों को नीचा दिखाना है, जिससे लोग प्रेरणा न ले सकें, और हीन भावना में दबे रहें तो कर्ण को ऊंचा दिखाने की होड़ में न जाने क्या क्या लिख दिया गया। जबकि कर्ण स्पष्ट शब्दों में पांच पतियों वाली को वैश्या कह रहा है।

उन्हें राम को नीचा दिखाना है तो जिन्हें जल समाधि का अर्थ नहीं पता वह राम जी की जलसमाधि को आत्महत्या का नाम दे रहे हैं!

प्रश्न यह उठता है कि ऐसा कब तक? जब अन्य पंथों के विषय में अकादमिक क्षेत्र में एक आदर भाव है, तो वह आदर भाव उस हिन्दू धर्म के विषय में  क्यों नहीं है जिसने आरम्भ से ही “वसुधैव कुटुम्बकम” का भाव और बोध विकसित किया है, जिसने सदियों से अपने ऊपर हर प्रकार के आक्रमण को झेला है और फिर भी स्मृतियों में शेष बचाकर रखा हुआ है अपना वही बोध और ज्ञान, जिसे समाप्त करने के लिए अभी भी प्रयास हो रहे हैं, बल्कि अब तो और भी तेज हो रहे हैं।

और यह हर क्षेत्र में हो रहे हैं, फिर चाहे अकादमिक हो या सांस्कृतिक!

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

1 COMMENT

  1. It is unfortunate that that lady has very sad thinking. Some people are trained for such acts only in the garb of freedom of expression. Perhaps stimulating factor of new ruling in that state.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.