90 के दशक में तुर्की के तत्कालीन राष्ट्रपति तुर्गुत ओजोल ने कहा था कि हमें तुर्की के साथ किसी भी प्रकार के युद्ध की आवश्यकता नहीं है। हमें मात्र कुछ लाख शरणार्थी भेजने हैं और उन्हें समाप्त करना है!”
और पिछले कई वर्षों में ग्रीस में अचानक से ही शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिनमें सीरियाई शरणार्थी के रूप में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थी हैं। ग्रीससिटीटाइम्स के अनुसार ऐसे शरणार्थी सैकड़ों, हजारों की संख्या में ग्रीस में आ रहे हैं और तुर्की इस प्रवाह को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहा है बल्कि इसे प्रोत्साहित ही कर रहा है।
इसके अनुसार ग्रीस में लगभग एक लाख से अधिक पाकिस्तानी निवास करते हैं और वर्ष 2015 के बाद से ही वहां पर बलात्कार एवं यौन उत्पीडन की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है।
परन्तु इन दिनों जिस मामले को लेकर लोग गुस्से में हैं वह है एक ग्रीस की लड़की की उसके पाकिस्तानी आशिक के हाथों हत्या। एक सत्रह वर्ष की लड़की की हत्या का आरोप उसके पाकिस्तानी बॉयफ्रेंड पर लगाया गया है, जो अभी तक फरार है। और लोग और मीडिया इसे उसी लव जिहाद की संज्ञा दे रहा है, जिसे लेकर भारत परेशान है या कहें हिन्दू लडकियां जिस जिहाद का सबसे बड़ा शिकार बन रही हैं
17 वर्षीय निकोलेटा की हत्या कथित रूप से उसके 30 वर्षीय पाकिस्तानी बॉयफ्रेंड ने कर दी है। उसका नाम सानी बताया जा रहा है। निकोलेटा के पिता इस सम्बन्ध से रुष्ट थे और इसे अनुमोदित नहीं कर रहे थे परन्तु फिर भी वह लड़की उस सम्बन्ध में खुश थी।
ग्रीससिटीटाइम्स के अनुसार ऐसा नहीं है कि यह एकमात्र मामला हो, ग्रीस की राजधानी एथेंस में यह बहुत आम दृश्य है जब किशोरी ग्रीस लडकियां अपने पाकिस्तानी बॉयफ्रेंड के साथ समय बिता रही होती हैं। इसके अनुसार यह वही लव जिहाद है, जिससे भारत जूझ रहा है और जो अब वहां पर पाकिस्तान से आ रहा है।
तो क्या यह माना जाए कि इस्लामीकट्टरपंथ को सफलतापूर्वक ग्रीस से पराजित करने के बड़ा अब ग्रीस एक बार फिर से उसी जाल में फंस रहा है और इस बार सॉफ्ट आतंक के चलते। लव जिहाद ऐसा मामला है जिस पर विश्व में कोई भी बात करने के लिए तैयार नहीं है। इसे मात्र मुस्लिमों के विरुद्ध एक षड्यंत्र या कट्टरपंथ बता दिया जाता है, यह कहा जाने लगता है कि यह इस्लामोफोबिया है, परन्तु जिस सुनियोजित तरीके से यह गैर मुस्लिम लडकियों के साथ हो रहा है, उस ओर किसी की दृष्टि या तो है नहीं या फिर जा नहीं रही है।
और यह कोई हिन्दू समुदाय की बात नहीं है, बल्कि भारत में यह समस्या ईसाई, बौद्ध, सिख आदि सभी समुदाय की लड़कियों के साथ है और वह सभी रह रह कर इस बात को उठाते रहते हैं। पिछले दिनों कश्मीर में सिख लड़कियों के साथ ऐसे ही मामले सामने आए थे, और हिन्दू लड़कियों की हत्याओं को तो जैसे अब गिनना ही बंद कर दिया है, लव जिहाद के कारण हर रोज ही लड़कियों की हत्या हो रही है और उसे मीडिया द्वारा साधारण क़ानून व्यवस्था की बात कहकर अनदेखा किया जाता है।
मीडिया द्वारा विमर्श से लव जिहाद को बाहर निकाल देने पर भी ऐसा नहीं है कि समस्या नहीं है। अब इस समस्या का सामना पूरा विश्व या कहें शेष गैर मुस्लिम समाज कर रहा है। वह लोग प्यार के नाम पर मासूम गैर-मुस्लिम लड़कियों को फंसाते हैं।
Directus के अनुसार वह प्यार के नाम पर मासूम ग्रीस लड़कियों को फंसाते हैं।
यह बात भारत में भी देखी गयी है कि अधिकाँश लडकियां कम उम्र की होती हैं, जैसा अभी हाल ही में बरेली में देखा गया था जब यह आँकड़ा सामने आया कि जुलाई 2022 तक 46 हिन्दू किशोरी लडकियां लव जिहाद के चक्कर में फंस गयी थीं।
सबसे बड़ी बात यह है कि जो लडकियां इन मुस्लिम लड़कों के जाल में फंसती हैं, जब अधिकाँश किशोरी होती हैं तो उनके दिमाग को अपने नियंत्रण में लेना सरल होता है और सबसे बढ़कर ऐसी स्थिति में जब उनके साथ यह लोग या तो जबरन या फिर फुसलाकर शारीरिक सम्बन्ध बना लेते है तो भी लडकियों को यह नहीं समझ पाता है कि वह हिन्दू हैं या मुस्लिम, जैसा कई लोग तर्क देते हैं कि शारीरिक सम्बन्धों के बाद भी कैसे नहीं पहचाना।
हिन्दू परिवारों में क्या ऐसे खुलकर मुस्लिम पुरुष के जननांगों पर बात होती है कि यदि लडकी कभी इनके जाल में फंस जाए तो ऐसे पहचाना जाए? नहीं, और किसी भी सभ्य परिवार में ऐसी बात नहीं हो सकती है।
परन्तु अभी ग्रीस की बात हो रही है, जहाँ पर पाकिस्तानी युवक प्यार के नाम पर फंसा रहे हैं, जैसा वहां की मीडिया दवा कर रही है। वह लोग यह भी दावा कर रहे हैं कि अक्सर किशोरी, जिन्हें आसानी से बहकाया जा सकता है और जो ग्रीस में प्रभावी पश्चिमी लिबरल विचारधारा के प्रभाव के चलते सांस्कृतिक भेदों एवं शैक्षणिक स्तरों की सच्चाई से अपरिचित होती हैं, वह अपने मातापिता की इच्छा का विरोध इसलिए मात्र करती हैं कि मुस्लिम युवकों और विशेषकर पाकिस्तानी एवं अफगानिस्तानी युवकों के साथ प्रेम प्रसंग एक क्रांति है।
यही फोर्मुला भारत में भी आजमाया गया है, हिन्दू लड़कियों को मुस्लिम आततायियों के इतिहास को विजेता का इतिहास बताकर प्रस्तुत किया है और उनमें से अधिकाँश अपने हिन्दू नायकों को खलनायक एवं मुस्लिम आक्रमणकारियों को नायक मानने लगी हैं। इसमें अकादमिक से लेकर मीडिया एवं मनोरंजन जगत सम्मिलित है।
क्या अब यह औपचारिक रूप से मान लिया जाए कि पश्चिमी लिबरल विचारधारा जिहाद की ओर गैर मुस्लिम लड़कियों को धकेलती है? उन्हें जिहादियों का आसान शिकार बनाती है? और वह स्थानीय नायकों को बेकार एवं आक्रमणकारियों को ऐसा नायक बताती है जो उन्हें कथित रूप से सुधारने आया था, और इस बहाने स्थानीय सभ्यता को समाप्त करने वाले उनके कुकृत्यों को महान बताकर पूरी स्थानीय सभ्यता का जीनोसाइड करने का प्रयास किया जाता है!
और उसका परिणाम यही होता है, कि इस के प्रभाव में आई लड़की या तो अपनी ज़िन्दगी बुर्के में बिताती हैं या फिर उनकी हत्या होती यह हिंसा का सामना उन्हें करना पड़ता है, या फिर वह अपनी ही सभ्यता के विरोध में खड़ी हो जाती है!
ग्रीस में निकोलेटा के पिता ने भी उसे इन लोगों से हर प्रकार के सम्बन्ध रखने से मना किया था, परन्तु उसने नहीं सुना और उसके पिता का कहना है “अंत में यह हुआ। उसे लगता था कि उसका रिश्ता बहुत अच्छा है और यह परिणाम हुआ!”
भारत इस समस्या से शताब्दियों से सामना कर रहा है, परन्तु अभी तक अकादमिक में और विमर्श में इसे नहीं ला पाया है, क्या वैश्विक स्तर पर ऐसे शब्दों के चलन से हिन्दुओं की समस्या भी सामने आएगी? इसका उत्तर तो भविष्य के गर्भ में है, परन्तु यह उचित समय है कि लव जिहाद अर्थात कल्चरल जीनोसाइड और जीनोसाइड पर बात की जाए और देखा जाए कि कैसे एक लड़की का धर्मांतरण या एक लड़की की हत्या पूरी हिन्दू पीढ़ी की हत्या है। लव जिहाद को इस दृष्टि से देखना होगा!
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