केरल से एक ऐसा मामला सामने आ रहा है, जिस पर विश्वास करना सहज सम्भव नहीं है। केरल में एक प्रख्यात दन्त चिकित्सक का शव संदिग्ध स्थितियों में प्राप्त हुआ है। ५७ वर्ष के डॉ. कृष्णमूर्ति सरपंगला का शव कर्नाटक के कुंदापुर तालुका में मिला। उनकी पत्नी ने उनके लापता होने की रिपोर्ट ८ नवम्बर को दर्ज कराई थी। वह कासरगोड जिले के बडियाडिका में पिछले ३० वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे थे।
परन्तु उनकी मृत्यु संदिग्ध क्यों है यह एक प्रश्न है? उनकी मृत्यु इसलिए संदिग्ध है क्योंकि यह आरोप लग रहे हैं कि उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया गया या फिर उनके साथ जो हुआ है उसके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र है। पुलिस को उनका क्षत विक्षत शव मिला था और दिवंगत डॉ. कृष्णमूर्ति की बेटी ने उनके शव की पहचान की थी।
स्थानीय पुलिस ने अप्राकृतिक मृत्यु का मामला दर्ज किया था। और फिर पुलिस ने इन्डियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेताओं को गिरफ्तार किया है। इनके नाम हैं अली तुप्पकल, मोहम्मद हनीफ, अशरफ, मोहम्मद शिबुद्दीन और उमरुल फारूक। इन पर यह आरोप है कि इन्होनें डॉ कृष्णमूर्ति को आत्महत्या के लिए उकसाया। आरंभिक जांच में यह पता चला है कि अली और अनवर के नेतृत्व में सभी आरोपी डॉ. कृष्णमूर्ति के क्लीनिक में गए और उन्हें धमकाया।
हालांकि जैसा कि चलन है, पहले स्थानीय मीडिया ने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि डॉ. कृष्णमूर्ति पर यौन उत्पीडन का आरोप था। यह कहा गया कि उन के विरुद्ध एक ३२ वर्षीय महिला ने यह कहते हुए शिकायत दर्ज कराई थी कि डॉ. ने उसका यौन उत्पीडन किया है।
आरोपी मंगलवार को लगभग ११ बजे डॉ. कृष्णमूर्ति के क्लीनिक में गए और उनसे कहा कि वह उस महिला से सार्वजनिक रूप से माफी मांगे। इस पर डॉ. ने कहा कि उन्हें सोचने के लिए समय चाहिए। उसके बाद वह पाँचों लोग वहां से चले गए और उन्हें इस बात की धमकी भी दी कि अगर उन्होंने सार्वजानिक माफी नहीं माँगी तो महिला पुलिस में शिकायत दर्ज कर देगी।
कई मामलों में देखा है कि यौन शिकायतों को लेकर कट्टरपंथी क़ानून का प्रश्रय न लेकर अपने आप ही निर्णय देते हैं। वह कंगारू कोर्ट चलाते हैं। जैसा हमने अभी हाल ही में देखा था कि एक हिन्दू लड़के को थूक चटवाया गया था। एक वर्ग ऐसी ही तालिबानी सजा अपने मन से देता हैं, क़ानून व्यवस्था से परे होकर अपनी ही व्यवस्था चलाता है।
जब डॉ. कृष्णमूर्ति को पांच लोगों ने धमकी दी थी, तो इसके बाद से ही वह लापता हो गए थे। और जब मिले तो उनका शव मिला था। इसे लेकर अब ट्विटर पर कई दावे किए जा रहे हैं। एक ट्वीट में दावा किया गया कि हिन्दुओं की सफाई आरम्भ हो चुकी है और हिन्दू दन्तचिकित्सक डॉ. कृष्णमूर्ति की हत्या मुस्लिमों ने इसलिए कर दी क्योंकि उन्होंने अपना क्लीनिक बंद करने से इंकार कर दिया था। और उन्होंने यह क्लीनिक इसलिए बंद करने से इंकार दिया था क्योंकि हिन्दू बहुल क्षेत्र में मुस्लिम डेंटल क्लीनिक खुलने के लिए अपना क्लीनिक नहीं बंद किया था। तो उन पर पहले तो एक महिला द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाया गया और फिर उसके बाद भी डॉ नहीं झुके तो उन्होंने ब्लैक मेल करने का प्रयास किया और जब वह भी असफल रहा तो उनका अपहरण और हत्या कर दी गयी
यह ट्वीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरंग दल ने बडियाडका पंचायत में हड़ताल का आह्वान किया था और अपना विरोध प्रदर्शन किया था।
क्या यह आर्थिक जिहाद है?
यह प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह बात कई मीडिया पोर्टल बता रहे हैं कि डॉ. कृष्णमूर्ति को मुस्लिम लीग के नेताओं एवं अन्य जिहादी लोगों से इस बात के लिए धमकियां मिल रही थीं कि वह अपना क्लीनिक बंद कर दें, जिससे कि मुस्लिम डेंटल क्लीनिक चल सके, जो अभी हाल ही में कस्बे में खुला है।
यदि यह आरोप सत्य हैं तो यह घटना डराने वाली है। यह भी प्रश्न उठता है कि क्या यह जमीन जिहाद का नया रूप है या फिर यह व्यापार जिहाद कि, दूसरे का कारोबार ही कब्जा लिया जाए, उसका एक रूप है या फिर जिहाद का कोई और ही रूप है?
आर्गेनाइजर की रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम लीग के नेता अली तुप्पकल, मोहम्मद हनीफ, अशरफ, मोहम्मद शिबुद्दीन और उमरुल फारूक ने डॉ. कृष्णमूर्ति की हत्या की भी धमकी उनके क्लीनिक में जाकर दी थी। उनके गायब होने के बाद हिन्दू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था, एवं उसमें भाजपा नेता कुंतारु रविश तंत्री एवं अन्य हिन्दू नेता भी विरोध प्रदर्शन के लिए उपस्थित थे।
पुलिस के अनुसार यह विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा था। फिर भी प्रश्न तो उठने ही चाहिए कि क्या यही केरल मॉडल है?
परन्तु प्रश्न कोई पूछेगा नहीं, क्योंकि जिनका कार्य प्रश्न पूछना है, वह स्वयं ही इस घटना के प्रति उपेक्षित दृष्टिकोण अपनाए हुए हैं।