क्या कोई कल्पना कर सकता है कि हिन्दुओं के पवित्र माघ मेले में कोई विधर्मी अपने मजहब का प्रचार करने के लिए आ ही नहीं सकता बल्कि वह अपना एजेंडा बेच भी सकता है? परन्तु यह भारत है, यहाँ यह हो सकता है!
प्रयागराज में माघ मेले में इस्लामिक साहित्य को बेचने के आरोप में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है !पकड़े गए अपराधी में मौलाना महमूद हसन गाजी मुख्य सरगना है इसके साथ मिलकर प्रयागराज का मोहम्मद मोनीश और कौशांबी का समीर उस नरेश कुमार इस्लामिक साहित्य बेच रहे थे !
जो किताबें पुलिस द्वारा बरामद हुई है उसमें मजहब को ऊंचा दिखाते हुए हिंदू धर्म की बुराइयों को दिखाया गया है। जो किताबें बरामद हुई हैं उनमें हिन्दू धर्म ग्रंथों से श्लोक लेकर उनका गलत अर्थ निकालकर लिखा जाता था और इसी प्रकार गरीबों को जाल में फंसाकर किताबें बिकवाता था।
पुलिस के अनुसार मोहम्मद गाजी, मोनीश और समीर यह लोग माघ मेले में हिन्दू ग्रन्थों के विषय में गलत सूचनाएं फैला रहे थे। वह लोगों को हिन्दू धर्म छोड़ने और मुस्लिम बनने के लिए प्रेरित कर रहे थे। मोहनीश और समीर इस्लाम में मतांतरित हो गए हैं।
यह देखना बहुत ही दुखद एवं स्तब्धकारी है कि हिन्दुओं के धार्मिक मेले भी उन गतिविधियों से मुक्त नहीं हैं, जो उनके धर्म को नष्ट करने का सपना देख रही हैं। मजहबी ताकतें यह नहीं चाहती हैं कि हिन्दू अपने पर्व एवं परम्पराओं का पालन शान्ति से कर सके।
तीर्थ स्थल हिन्दुओं का और धर्म परिवर्तन भी हिन्दुओं का? यही दुर्भाग्य है!
यह अचानक से हुआ हो, यह मामला नहीं था। और यह मात्र किताबें बेचने तक हो यह भी नहीं था। यह एक सुनियोजित षड्यंत्र था। यह सब महमूद हसन गाजी के तले चल रहा था। गाजी एक मदरसे में पढ़ाता है। गाज़ी ने मोनीश और समीर को किताबें बेचने का काम दिया था। और वह मंदिरों के बाहर ही ठेला लगाता था।
जागरण के अनुसार “पुलिस का कहना है कि फतेहपुर के भैरवा गोंदी गांव निवासी सुभाष ने सबसे पहले हिंदू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म स्वीकार किया था। उसने रिश्तेदारों और परिचितों का झुकाव भी इस्लाम की तरफ करवाया। इसके चलते 12 साल पहले नरेश ने दिल्ली में मुस्लिम धर्म अपनाया और फिर दो साल पहले लालगोपालगंज स्थित एक मस्जिद में आशीष को मोनिश बनाया गया।“
मोनीश और समीर हैदराबाद में जमात में शामिल हुए थे और वहीं से उनके कन्धों पर यह जिम्मेदारी आई थी कि वह इस्लाम की किताबों का प्रचार प्रसार करेंगे। उन्हें तरह तरह की ट्रेनिंग इस बात के लिए दी गयी कि कैसे इस्लाम का प्रचार करना है।
वहीं यदि माघ मेले की बात की जाए तो माघ मेला हिंदुओं का सर्वाधिक प्रिय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है हिंदू पंचांग के अनुसार 14 जनवरी को मकर सक्रांति के दिन माघ महीने में यह मेला आयोजित होता है!
लाखों की संख्या में हिन्दू स्नान के लिए आते हैं और स्नान करके अपने जन्म को सार्थक करते हैं। यह धार्मिक मान्यता है, परन्तु अब धार्मिक मान्यता के बीच ऐसे षड्यंत्र किस ओर संकेत करते हैं? पुलिस ने एक दो नहीं बल्कि पूरी 204 ऐसी किताबें जब्त की हैं, जिनमें हिन्दू धर्म का गलत तरीके से चित्रण मात्र इस कारण किया गया है कि हिन्दू अपना धर्म छोड़कर इस्लाम क़ुबूल कर लें! इतना ही नहीं जो भी यह किताबें खरीदता था उसका सारा विवरण और फोटो दुबई भेजी जाती थी, और उसके बदले में उन्हें दुबई से पैसा भेजा गया था।
हिन्दुओं के इस मजहबीकरण के षड्यंत्र से कई प्रश्नों के साथ एक जो सबसे बड़ा प्रश्न उठ खड़ा हुआ है, वह यह कि क्या अब हिन्दुओं के पास यह भी स्वतंत्रता नहीं है कि वह अपने पर्वों को अपने अनुसार मना पाएं? क्या यह प्रश्न नहीं उठना चाहिए कि हिन्दुओं के धार्मिक मेले मात्र हिन्दुओं के ही लिए हों?
इधर पुलिस का कहना है कि जिन्हें भी हिरासत में लिया गया है उनके बैंक खातों की जांच की जाएगी। पुलिस ने कहा कि बैंक के लेनदेन के बाद उन सभी लोगों को जांच के दायरे में लाया जाएगा जो इस साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए सहयोग राशि दे रहे थे।