spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
22.2 C
Sringeri
Saturday, April 27, 2024

पिछले सात दशकों में लगभग एक मिलियन बच्चे बने इटली के पादरियों द्वारा यौन शोषण का शिकार, परन्तु यह समाचार गायब है परिदृश्य से

किसी भी पीड़ित के लिए यह बहुत ही खतरनाक होता है कि उसके साथ किये गए अपराध को एक ऐसी स्वीकृति प्राप्त हो जाए, जो दशकों तक चले, और जो अपराधी है वह सत्ता के ऐसे केंद्र में आ जाए, जहाँ पर उन अपराधों के विषय में बात ही न हो, जिन्होनें किसी व्यक्ति का पूरा का पूरा जीवन ही बदल दिया हो।

दटाइम्स में 15 फरवरी 2022 को एक ऐसा ही समाचार प्रकाशित हुआ, जिस पर जरा भी चर्चा नहीं हुई। वह चर्चा क्यों नहीं हुई? वह एक दो नहीं बल्कि लाखों बच्चों की पीड़ा थी, वह एक दो नहीं दशकों की पीड़ा थी। फिर ऐसा क्या हुआ कि उन तमाम पीडाओं से आँखें मूँद ली गयी हैं। यह समाचार था कि इटली में पिछले सात दशकों में लाखों बच्चों का पादरियों द्वारा यौन शोषण हुआ है।

इसमें टॉम किंगटन ने लिखा कि एक वरिष्ठ वेटिकन अधिकारी ने दावा किया कि इटली में पादरियों द्वारा छिप कर किए गए यौन शोषणों के विषय में जांच हो तो इटली छिपे हुए यौन शोषण का “पैन्डोरा बॉक्स” है।

इसमें लिखा है कि हमें अभी तक निश्चित संख्या नहीं पता है क्योंकि जो पादरी हैं उन्हें इटली में बहुत ही छूट प्राप्त हैं और साथ ही इस देश में इस समस्या को माना ही नहीं गया है, जाँच की तो बात ही छोड़ दिया जाए।

11 फरवरी को रायटर्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में एक पीड़ित ने पुलिस की शरण तब ली, जब सर्च उसके आरोपों पर कोई भी कदम उठाने में विफल रहा था। पीड़ितों के लिए कार्य करने वाले समूहों का कहना है कि चर्च के इतिहास में ऐसे एक नहीं बल्कि हजारों मामले हैं, जो दबे हुए हैं और वह इटली में भी उसी प्रकार से स्वतंत्र जाँच के लिए दबाव बढ़ा रहे हैं, जैसी जांच फ्रांस और जर्मनी में हुई थी।

इस रिपोर्ट के अनुसार इटली में नौ समूह एक आम सहमति पर पहुंचे और मंगलवार को वह “बियॉन्ड द ग्रेट साइलेंस” नामक अभियान चलाएंगे और #ItalyChurchToo का हैशटैग आरम्भ कर चुके हैं!

और यह हैशटैग twitter पर चल रहा है जिसमें पीड़ित अपनी वर्षों से चली आ रही पीड़ा को व्यक्त कर रहे हैं। बीबीसी रोम में पत्रकार मार्क लोवेन ने ट्वीट किया कि वह “इटली के छिपे पापों” की स्टोरी बताना चाहते थे और हम चाहते थे कि इटली में भी इन यौन अपराधों के विषय में बातें हों।”

यूजर कह रहे हैं कि इटली में बच्चों के साथ किए जा रहे यौन अपराधों का दायरा बहुत ही बड़ा है, परन्तु सबसे बढ़कर यह दुःख की बात है कि चर्च में किए गए इन अपराधों को दबा दिया जाता है, अधिकतर शोषण दफ़न कर दिए गए हैं

वहीं राना अयूब के मामले में एकदम से ट्वीट करने वाला संयुक्त राष्ट्र तीन वर्ष पहले ही इन मामलों की जांच की बात कह कर न जाने किस बिल में छिपकर बैठ गया है।

बीबीसी ने एक रिपोर्ट की कि आखिर क्यों एक उत्पीड़क को, क्यों बच्चों का यौन शोषण करने वालों को पादरी बने रहना चाहिए?

इसमें उन तमाम लोगों की पीड़ा है, जो उन्हें रिलीजन और जीसस के नाम पर झेलनी पड़ी। एक पीड़ित ने कहा कि “मुझे बताया गया कि यह एक सीक्रेट है, उसके, मेरे और जीसस के बीच”

और यह सीक्रेट और कुछ नहीं फादर गियानी बेकिअरिस द्वारा 16 वर्षों तक किया गया शोषण था।

बच्चे को धमकाया गया कि, वह यह बताएगा कि जो भे हुआ, उसमें केवल बच्चे की ही गलती थी।  पीड़ित का कहना है कि “उसने वह पवित्र आत्मा चुरा ली, जो मैं कभी था”

एक यूजर ने twitter पर लिखा कि

“इटली में समस्या बहुत बड़ी है [और] छिपी हुई है। मेरी शादी का जश्न मनाने वाले दो पादरी पीडोफाइल निकले। फिर एक और पादरी मिला, मेरे बेटे का रेप किया। और फिर मेरे छोटे से जीवन में तीन ऐसे पादरी आए, जिन्होंने बच्चों का शोषण किया था

एक और यूजर ने लिखा कि यह कदम अच्छा है, परन्तु यह कैथोलिक के दूसरे यौन शोषणों में दबकर रह जाएगा:

इटली में यह मांग उठ रही है कि कम से कम स्वतंत्र जांच तो बैठे? परन्तु भारत का मीडिया जो हिन्दू साधुओं पर लगे झूठे आरोपों पर लम्बी लम्बी बहसें कराता है और वह मीडिया में ही पूरे मुक़दमे का निर्णय कर लेता है और वह यह भी प्रतीक्षा नहीं करता कि कम से न्यायालय के निर्णय की ही प्रतीक्षा की जाए, वह पहले फ्रांस और जर्मनी और अब इटली में चर्च और पादरी के नेटवर्क द्वारा किए गए और किये जा रहे संगठित बाल अपराधों और शोषणों पर चुप्पी साधे हुए बैठा है।

वह तो इटली, फ्रांस और जर्मनी की बातें हैं, भारत में ही कुछ चर्च और कुछ पादरियों द्वारा किए जा रहे संगठित यौन अपराधों पर यहाँ की मीडिया मौन रहती है, जिनमें सिस्टर लूसी का मामला तो अभी नया ही है, जिसमें फ्रैंको मुल्क्कल को जमानत मिल चुकी है और सिस्टर लूसी को वेटिकन से यह कहते हुए कोई सहायता नहीं मिली थी कि वह कविता लिखती हैं!

देखना होगा कि क्या भारत का वामपंथी और ईसाई गठजोड़ वाला मीडिया, जो हिन्दू साधुओं की मृत्यु पर भी मौन रहता है, वह इटली में बच्चों की पीड़ा के साथ खड़ा होता है या फिर उत्पीड़कों के? क्योंकि पीड़ा का मजहब नहीं होता, पीड़ा का कोई रिलिजन नहीं होता, पीड़ा की कोई सीमा नहीं होती और बच्चों के साथ यौन शोषण के अपराधी का कोई रिलिजन नहीं होता!

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.