अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाले लेफ्ट लिबरल और सबसे साक्षर प्रदेश केरल के लेफ्ट लिबरल उन्निमुकुंदम की नई फिल्म मेप्पदियान की आलोचना के समाचार एक ऐसे मुद्दे पर आ रहे हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वत्नत्रता से ही जुड़ा हुआ है। ट्विटर पर एक यूजर ने कुछ कारणों के साथ ट्वीट किया कि क्यों इस फिल्म का विरोध किया जा रहा है।
आईएमके वौइस ऑफ हिन्दू यूट्यूब चैनल का संचालन करने वाले इंदु मक्कल कत्ची ने लिखा कि केरल में एक गर्वित हिन्दू कलाकार उन्नीमुकुंदन की सबसे नई फिल्म की आलोचना अब्राह्मिक/वामपंथियों द्वारा साम्प्रदायिक कहकर की जा रही है। और इसके कारण हैं:
- एक दृश्य में एम्बुलेंस दिखाई गयी है और वह सेवा भारती (आरएसएस से जुड़े संगठन) से है
- नायक उन्निमुकुंदम को एक कट्टर और धार्मिक हिन्दू के रूप में दिखाया गया है।
- एक पोस्टमैन को लाल राखी पहने हुए दिखाया गया है
- कोई भी दृश्य ऐसा नहीं है जिसमें हिन्दू लड़कियों को एक विधर्मी ‘हीरो’ के आसपास नाचते हुए दिखाया गया है
- कोई भी बलात्कार दृश्य नहीं है, कोई भी द्विअर्थी डायलॉग नहीं हैं, हिन्दू परम्पराओं का मजाक नहीं है और न ही धर्म का मजाक है
- हिन्दुओं को नीचा नहीं दिखाया गया है और न ही अब्राह्मिक मजहबों का महिमामंडन है
- खलनायक हिन्दू नहीं है
बस एक सहज और साधारण कहानी है, जिस पर आम हिन्दू गर्व अनुभव कर सकता है, और खुद को उसके साथ जोड़ सकता है।
और फिर वह लिखते हैं कि सबसे अच्छा समाचार यही है कि मेप्पादियान केरल में सभी थिएटर में फुल हॉउस चल रही है।
इस पर लोगों के कई विचार ट्विटर पर दिखाई दे हरे हैं। लोगों ने कहा कि वह लोग इस फिल्म को नीचा दिखा रहे हैं, परन्तु धीरे धीरे दक्षिण पंथी जाग रहे हैं और हलाल के मुद्दे की तरह ही वह अब दर्द महसूस करने लगे हैं और दक्षिणपंथी इस फिल्म को देखने जा रहे हैं
एक यूजर ने लिखा कि उन्होंने जितनी भी मलयालम फ़िल्में देखी थीं, उनमें से लगभग सभी में ईसाई/मुस्लिम हीरो होते हैं और हिन्दू खलनायक हैं, हीरोइन अक्सर हिन्दू होती हैं, और जो कंटेंट होता है, वह हिन्दू परम्पराओं का उपहास करने वाला ही होता है।
एक यूजर ने एक स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा कि यह व्यक्ति मुस्लिमों से जितना हो सके, उतने टिकट खरीदने की बात कर रहा है, जिससे लोगों के पास टिकट ही न हों खरीदने के लिए। उसने 5000 रूपए में 50 टिकट खरीदे हैं, और यह कहता है कि इसी तरीके से संघी प्रोपोगैंडा नहीं पहुंचेगा।
एक यूजर ने इस बात पर गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि केरल में इस बात पर शोर मचाया जाए कि उन्निमुकुन्दन की नई फिल्म में आरएसएस की सेवा भारती की एक्बुलेंस दिखाई गयी है। भाजपा/आरएसएस से जुड़ी किसी भी चीज़ को केरल में तुरंत कैंसल कर दिया जाता है
इस पर जबाव देते हुए एक यूजर ने कहा कि यह देखना बहुत ही गुस्से से भर देता है कि बार बार निर्देशक को समाचार चैनल पर आना होता हो और कुछ न कुछ दृश्यों के बारे में सफाई देनी पड़े और उन सफाई के आधार पर सीन ऐसे दिखें कि कैसे नुकसान नहीं हो रहा है और उस पर वामपंथी यह दावा करते हैं कि यह राज्य सहिष्णु और लिबरल है!
एक यूजर ने कार्टून साझा किया
कई लोगों ने वामपंथियों की इस सोच पर मीम्स साझा किये कि कैसे वह अच्छी फिल्म देख सकते हैं, जो संघी है
एक यूजर ने एक फिल्म का दृश्य साझा करते हुए कहा कि मगर एसडीपीआई की एम्बुलेंस दिखाई जा सकती है। मैमूटी की एक फिल्म का दृश्य साझा करते हुए उन्होंने पूछा
यह देखा गया है कि मनोरंजन के क्षेत्र में वामपंथियों का कब्जा अभी तक है और वह बिलकुल भी विरोधी विचार को सुनना पसंद नहीं करते हैं,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आलोचना मात्र हिन्दू धर्म की बुराई पर आकर टिक जाती है।
द ग्रेट इंडियन किचन में भी अंत में आकार प्रभु अयप्पा का अपमान दिखाया गया था। कहानी कहने के लिए किसी भी आम व्यक्ति को लिया जा सकता था, परन्तु संभवतया जानते बूझते अयप्पा प्रभु के भक्तों के रूप में पिता-पुत्र को दिखाया था था!
हिन्दी फिल्मों में हिन्दू देवी देवताओं का उपहास तो आम ही था, और साथ ही लव जिहाद को बढ़ावा देने वाली भी फ़िल्में बार बार दिखाई जाती है। हाल ही में अंतरंगी रे में भी हिन्दुओं को खलनायक बनाकर प्रस्तुत कर दिया था। परन्तु मात्र सेवा भारती की एम्बुलेंस फिल्म में दिखाए जाने पर कथित साक्षर प्रदेश में कथित लिब्रल्स द्वारा की गयी आलोचना उनके खोखलेपन को दिखाती है।
वह यह दिखाते हैं कि वह विपरीत विचारों को सुनने तक में कितने असहिष्णु हैं। हालाकि लोगों के अनुसार फिल्म बहुत बढ़िया प्रदर्शन कर रही है।