दो दिन पहले हमने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पर उठाए गए पूर्व के विवादों पर चर्चा की थी, जिसमें उत्पादों को मान्यता देने पर प्रश्नचिन्ह थे। 26 मई 2021 को आईएमए के अध्यक्ष का एक वीडियो भी संभवतया स्पष्टीकरण के रूप में आया है और उन्होंने इस बात से इंकार किया है कि उन्होंने धर्मान्तारण जैसी कोई बात की है। परन्तु मार्च में दिए गए क्रिशचिनियटीटुडे को दिए गए साक्षात्कार पर वह चुप्पी साध गए हैं। ऐसा नहीं है कि वह साक्षात्कार उनका नहीं होगा। पर वह उस साक्षात्कार से इंकार कर रहे हैं।
इसी बीच अपुष्ट सूत्रों के अनुसार अभी तक शांत रहे डॉक्टर्स का भी गुस्सा आंतरिक रूप से फूट रहा है और कहा यह जा रहा है कि डॉक्टर्स के अपने व्हाट्सएप ग्रुप्स में इस बात की निंदा हो रही है, कि कैसे किसी सेक्युलर संस्था का अध्यक्ष ऐसी धार्मिक भेदभाव की बातें कर सकते हैं? परन्तु यह विरोध काफी देरी से आया है। कई लोगों का यह मानना था कि डॉ. जॉनरोज़ का विरोध इसलिए नहीं किया गया क्योंकि पद केवल एक ही साल के लिए है तथा उनके हटने की प्रतीक्षा हो रही थी।
कुछ लोगों ने कहा कि यह एक गैर सरकारी संगठन है इसलिए क्या विरोध करना! परन्तु यह लोग यह नहीं बताते कि यदि यह गैर सरकारी संगठन है तो वह उत्पादों को मान्यता कैसे प्रदान कर सकता है और वह भी बल्ब और पेंट आदि को। हमने अपने पाठकों को पहले भी बताया है कि कैसे पर्यावरण के लिए कार्य करने वाली संस्था डाउनटूअर्थ ने पेप्सीको के जूस उत्पादों को मान्यता देने पर प्रश्न उठाए थे।
और अब आईएमए के अध्यक्ष पर धर्मांतरण को लेकर केस भी दर्ज हुआ है और दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें नोटिस भी जारी किया है।
#BREAKING Today Hon Dwarka Dist Court issued summons against Dr J A Jayalal @jayalal10, president IMA @IMAIndiaOrg for his article emphasizing to convert patients to Christianity.
Adv Sanjeev Uniyal @sanjeev_uniyal n Dhawal Uniyal filed court suit for Mr Rohit Jha++ pic.twitter.com/eddalh6HfJ— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) May 29, 2021
इतना ही नहीं, गृहमंत्रालय में आईएमए की फंडिंग को लेकर रिपोर्ट की जा चुकी है।
मगर एक और बात निकल कर आ रही है, वह भी ईसाई मजहब और आईएमए को ही लेकर है। लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी – एलआरओ नामक ट्विटर हैंडल ने कल यह ट्वीट किया कि क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को सामजिक सेवा के भेष में मेडिकल साइंस का दुरूपयोग करते हुए 83.95 करोड़ रूपए दान में मिले थे। और यही डॉ. जॉनरोज़ जो आईएमए के अध्यक्ष हैं, इस ट्वीट के अनुसार वही क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन के ट्रस्टी भी थे और ऐसे में वह शांत रहे थे, जब मेडिकल साइंस के नाम पर वह लोग रिलिजन का प्रचार कर रहे थे
#EXPOSE Christian Medical Association Of India got Rs 83.95 Cr for blatant evangelization misusing medical science behind façade of social service.
Dr Jayalal @jayalal10 head of @IMAIndiaOrg was its trustee was silent when CMAI openly spread #Church superstitions #FCRAViolation++ pic.twitter.com/Cd4aA3XdzE— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) May 29, 2021
सबसे पहले तो बात यही उठती है कि कब भारत के सभी डॉक्टर्स के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन है तो ऐसे में क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन की आवश्यकता क्या है? क्या इन्हें ईसाई मज़हब के अनुसार इलाज करना है? आईएमए के अध्यक्ष जो उस वीडियो में सेक्युलरिज्म का राग गाते हुए नज़र आ रहे हैं, वह यह नहीं बता रहे हैं कि आखिर क्यों वह उस क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन पर कोई प्रश्न नहीं उठा रहे हैं, जो रिलिजन के नाम पर हे इलाज कर रही है।
लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी – एलआरओ ने सीएमएआई डॉक्टर नेशनल कांफ्रेंस फॉर क्रिश्चियन डॉक्टर्स के दौरान डॉ. अरुण अन्केटेल का वक्तव्य भी ट्वीट किया है, जिसका हिंदी अनुवाद है “हम एक साथ आएँगे। हम महान विजयों को एक साथ देखेंगे। हम एक साथ दिल और दिमाग दोनों के साथ मिलकर जीसस क्राइस्ट को हेल्थ केयर का सरताज बनाएंगे।”
(“We will go together n restore। We will see d master of breakthroughs bringing great victories। We will come with one heart n one mind to make Jesus Christ d Lord of healthcare। DR। ARUL ANKETELL” during CMAI Doctor National Conference for Christian doctors from across India++)
इतना ही नहीं जब हम क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन के फेसबुक पेज पर जाते हैं तो यह पाते हैं कि वहां पर ऐसे ईसाई डॉक्टर्स को खुलकर प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो आधुनिक चिकित्सा में अपने मजहब का घालमेल बिना किसी शर्म के कर रहे हैं।
जैसे लिंडा, जो झारखंड में सत्बरना में नव जीवन अस्पताल में नर्सिंग सुपरिटेंडेंट हैं, वह कहती हैं “पूरे देश में महामारी की स्थिति के दौरान, हमारे सामने कई चुनौतियां आईं। जीवन में हमने जीसस में विश्वास के सहारे विजय प्राप्त की।”
उत्तरी बिहार से डॉ. अर्पित मैथ्यू कहते हैं “कोई नहीं जानता कि कल क्या हो सकता है, मगर एक फ्रंटलाइन वर्कर के होने के नाते हमें पता है कि जोखिम क्या क्या हैं। मगर हम शुक्रगुजार हैं कि हमारे पास जीसस हैं।”

ऐसे ही तेलंगाना से डॉ. लावण्या सुनीता का कहना है कि “आश्चर्य और चमत्कार होते रहते हैं। जीसस उनके साथ एक होने के लिए प्रार्थना करते हैं। गॉड के रास्ते पर चलना हमारी पहचान है।”
केरल में धर्मगिरी सैंट जोसेफ हॉस्पिटल की एडमिनिस्ट्रेटर सिस्टर डलिया एमएसजे का कहना है कि “अपने जीवन के सबसे कठिन समय में जीसस को हम अलाऊ करें। वह हमें शान्ति देते रहेंगे और वह हमारे जीवन के नियंत्रक बने रहेंगे।”
ऐसे ही कई उदाहरण इस पेज पर आपको मिल जाएँगे।
प्रश्न सेक्युलर डॉक्टर्स से पूछे जा सकते हैं कि यदि कोई हिन्दू डॉक्टर आधिकारिक रूप से यह कहना चाहे कि हम भगवान राम के कारण ठीक हो रहे हैं। तो क्या ऐसी ही शान्ति होगी?
और क्या धर्म के आधार पर हिन्दू डॉक्टर मेडिकल एसोसिएशन बनेगी तो आईएमए शोर नहीं मचाएगी? इतना ही नहीं, क्या उपचार को ईसाई धर्म के अनुसार बांटना सही है? यह प्रश्न इसलिए उठा क्योंकि इनमें से कुछ का कहना है कि हम हीलिंग मिनिस्ट्री से हैं।

हीलिंग मिनिस्ट्री का अर्थ क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन के पृष्ठ पर दिया गया है कि हीलिंग मिनिस्ट्री ऑफ़ जीसस क्राइस्ट प्रकृति में पवित्र/धार्मिक है। यह आध्यात्मिक, शारीरिक, भावनात्मक तथा सामाजिक हीलिंग है। हमारे प्रभु और रक्षक जीसस क्राइस्ट आरम्भ से लेकर अभी तक हर हीलिंग के स्रोत रहे हैं। भारत में हीलिंग मिनिस्ट्री ने औपचारिक रूप से 1905 में मेडिकल मिशनरी एसोसिएशन नामक मिशनरी समूहों द्वारा काम करना आरम्भ किया था और वर्ष 1926 में इसका नाम क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया हो गया था।
यही क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया चंगाई की प्रार्थना भी हर भाषा में करवाता है और साथ ही इनका उद्देश्य स्पिरिचुअल हीलिंग करना है।
यदि केवल चंगाई से ही सब ठीक हो सकते हैं, तो मॉडर्न मेडिसिंस अर्थात आधुनिक दवाइयों की भी आवश्यकताएं क्या हैं या फिर यह कहें कि इस मिशन का उद्देश्य स्पिरिचुअल हीलिंग का अधिक है। प्रश्न सेक्युलर डॉक्टर्स से यही है कि क्या वह आधुनिक चिकित्सीय सुविधाओं की आड़ में चलने वाले इस धर्मांतरण का समर्थन करते हैं? प्रश्न यह भी है कि ऐसा नहीं है कि उन्हें अभी तक यह नहीं पता होगा कि डॉ जॉन रोज़ कट्टर ईसाई हैं और वह अपने मजहब को मेडिकल से ऊपर प्राथमिकता देते हैं, तो आज तक खुलकर विरोध क्यों नहीं हुआ?
आज तक क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन का विरोध क्यों नहीं हुआ? क्यों डॉक्टर्स की ओर से ही यह आवाजें क्यों नहीं आईं कि एक मज़हब के अनुसार स्प्रिचुअल हीलिंग या आध्यात्मिक उपचार कैसे हो सकता है?
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