हमने देखा कि कैसे विजन आईएएस और दृष्टि आईएएस दोनों में जैसे परस्पर प्रतिस्पर्धा है कि कौन कितना समाज तोड़ने वाली विध्वंसक सामग्री दिखा सकता है। विजन आईएएस के विवादास्पद लेक्चर्स अभी तक वायरल हो रहे हैं। दो और वीडियो उसी ट्यूटर के वायरल हुए हैं, जो पूरी तरह से हिन्दुओं के विरोध में हैं। इसमें वह व्याख्या कर रही हैं कि हिन्दुओं के बीच जो कट्टरपंथी प्रवृत्तियां उत्पन्न हुईं, वह इसलिए हुईं क्योंकि वह राम मंदिर के लिए एक हो गए थे। और यह भी कहा गया कि यह सब परीक्षा में नहीं लिखना है:
इसी के साथ एक और वीडियो है जिसमें मुजफ्फरनगर के जो दंगे हुए थे, वह केवल फेसबुक post के कारण हुए थे और उनका कोई कारण नहीं था। जबकि यह पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश जानता है कि आखिर यह दंगे क्यों हुए थे?
आजम खान जैसे हर व्यक्ति को क्लीन चिट दे दी गयी, जबकि दोषियों को सजा भी हुई है!
इस महिला ने शेख अब्दुल्ला की नीतियों को समाजवादी नीतियाँ बताकर कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को भी नकार दिया था। इसने कहा था कि शेख अब्दुल्ला एक सेक्युलर व्यक्ति थे जो समाजवादी नीतियाँ लाना चाहते थे, परन्तु समाज में वर्ग विभेद इतना था कि समाजवादी नजरिये को धार्मिक रंग दे दिया गया
हालांकि अभी समाचार आ रहा है, कि विजन आईएएस पर आयकर का छापा पड़ा है। अभी और विवरण की प्रतीक्षा है!
यह तो हिन्दुओं पर मुस्लिमों की श्रेष्ठता प्रमाणित करने वाले और हिन्दू विरोधी विचार। परन्तु हाल ही में विकास दिव्यकीर्ति का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह ब्राह्मणों को बिचौलिया कह रहे हैं। और वह हिन्दुओं की पीड़ा के लिए ब्राह्मणों को दोषी ठहरा रहे हैं। वह कह रहे हैं कि यह व्यवस्था कि कोई भी धार्मिक कार्य कराने के लिए पंडित जी की जरूरत है, असली संकट यही है। यह इतना इल्लोजिकल है, भगवान को मेरी बात सुनने के लिए किसी बिचौलिए की जरूरत क्यों है? सीधे मेरी बात क्यों नहीं पहुँचती है? भगवान ने सारी भाषाएँ बनाई हैं तो उन्हें हिन्दी क्यों नहीं समझ आती, उन्हें संस्कृत में क्यों समझना चाहिए?
उन्होंने सभी को बनाया तो उन्हें वर्ण विशेष ही क्यों चाहिए, अपनी बात पहुंचने के लिए? बिलकुल इल्लोजिकल है! अतार्किक है, वह कह रहे हैं कि भगवान इतना क्रूर नहीं हो सकता कि वह कुछ लोगों को लाइसेंस जारी करे कि तुम मेरी ओर से बात सुनो और दूसरों की बात मुझ तक पहुँचाओ और पैसे कमाओ। तुम लोग फ़ाइल भेजोगे तो हम काम करेंगे नहीं तो फ़ाइल दबा देंगे!
एक और उनका वीडियो शेयर हो रहा है, उसमें जमकर हिन्दुओं के प्रति घृणा झलक रही है और ब्राह्मणों की शिखा का अपमान कर रहे हैं।
समस्या यह है कि यह लोग उन लोगों के दिल में एक बड़े वर्ग के प्रति घृणा भर रहे हैं, जो आगे जाकर किसी न किसी प्रशासनिक पद की आकांक्षा कर रहे हैं, और जब कोचिंग में यह एक विशेष विरोध का विचार लेकर आगे जाएंगे, और वह भी व्यक्तिगत दुराग्रह के कारण उपजा हुआ है, तो ऐसे में कथित अधिकारी मंदिर में पुजारी या ब्राह्मण के प्रति कैसे सहज भाव रख पाएगा?
यही कारण है कि जब कश्मीरी पंडितों का दर्द कहा जाता है तो दर्द की भावना उत्पन्न ही नहीं हो पाती है एक बड़े वर्ग में! क्यों दर्द उत्पन्न होगा? यदि गाय की रक्षा करते हुए कोई निरीह पुजारी गौ तस्करों के गिरोह का शिकार हो गया है, तो प्रशासनिक स्तर पर क्या दर्द की सहज भावना उत्पन्न हो पाएगी? क्योंकि वेद इन लोगों के अनुसार झूठ हैं, राम मंदिर हिन्दुओं की कट्टरपंथी प्रवृत्ति का परिणाम है!
यही कारन है कि अखलाक की लिंचिंग पर लोग फूट पड़ते हैं और पालघर में साधुओं की लिंचिंग को वही लोग सही ठहराते हैं। यही कारण है कि हिजाब का समर्थन करने के एक बड़ा वर्ग आ जाता है, परन्तु सबरीमाला मंदिर में हर परम्परा को तोड़ने के लिए एक बड़ा वर्ग तत्पर हो जाता है।
छोटी छोटी बातों पर मंदिर आराम से तोड़ दिए जाते हैं, क्योंकि मन्दिरों के प्रति आदर बोध तो समाप्त कर दिया गया है।
परन्तु इन सबसे बढ़कर एक और वीडियो सामने आया है, वह किसी झा सर का है, जो ओसामा बिन लादेन को प्रेरक व्यक्ति बता रहा है।
जरा देखिये कि कैसे ओसामा बिन लादेन को महिमामंडित किया जा रहा है!
इसी तर्क पर भारत में भी आतंकी क़दमों का समर्थन करने वाले लोग पैदा हो जाएंगे और यह भी हैरानी की बात नहीं कि एक दिन एक बड़ा वर्ग जो मुस्लिम नहीं होगा, परन्तु उसके भीतर से हिन्दू बोध समाप्त हो गया होगा और वह यही कहेगा कि भारत पर जो आतंकी हमले हुए, वह ठीक ही हुए! क्या बात थी लश्कर की! आदि आदि! क्योंकि बरखा आदि ने बुरहान वानी जैसों को पीड़ित तो दिखाया ही है।
इनके और भी वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें वह इस्लाम का महिमामंडन करते हुए दिखाई दिए थे:
सबसे रोचक यह देखना है कि यूट्यूब पर Islam Rejuvenate ने अवध ओझा के वीडियो को साझा करते हुए लिखा है कि अवध ओझा आईक्यूआरए आईएएस के संस्थापक हैं और एक बहुत अच्छे शिक्षक हैं. इस पेज पर कई मुस्लिम अवध ओझा की प्रशंसा करते हुए दिखाई दे रहे हैं!
यह नहीं समझ आता कि मुस्लिम तुष्टिकरण और राजनीतिक रूप से हिन्दुओं को तोड़ने एवं समाज में विष फैलाने की यह अंधी आधिकारिक दौड़ कहाँ जाकर समाप्त होगी?