भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी का भारत के विरुद्ध जहर उगलना नया नहीं हैं और उन्होंने भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर अमेरिका में आयोजित जिस वर्चुअल कार्यक्रम में यह कहा कि भारत एक साम्प्रदायिक देश है और वह भी उन संस्थानों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में, जो अधिकांशत: भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए ही कुख्यात हैं। और इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल, जिस पर यह आरोप लगते रहते हैं कि वह आईएसआई के संकेतों पर ही चलती है
इसी संस्था पर त्रिपुरा सरकार ने आरोप लगाया था कि वह हाल ही राज्य में हुए दंगों के लिए जिम्मेदार थी। हालांकि इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल का कहना है कि उसका रिश्ता किसी भी तरह से आईएसआई से नहीं है, परन्तु एक बात तो है कि इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल की वेबसाईट पर कभी भी मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं पर किए गए अत्याचार नहीं दिखेंगे और मुद्दों को तोड़ मरोड़ कर एवं भड़काऊ तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
फिर चाहे वह गुरुग्राम में सड़क पर नमाज पढने का मामला हो या फिर दिल्ली दंगे।
दिल्ली दंगों के विषय में तो इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने झूठी खबरें फैलाई थीं और यह झूठा दावा किया था कि मारे गए सभी मुस्लिम थे:
जब भारत में उसके इस झूठ को मीडिया ने पकड़ा था तो बाद में उसने ठीक करते हुए लिखा था कि एक छोटा का करेक्शन है, कि 36 मुस्लिम मारे गए थे

अब यह प्रश्न उठता है कि दिल्ली दंगों में जो हिन्दू मारे गए थे वह कैसे मारे गए थे? हिन्दुओं के खिलाफ एक तरफ़ा जहर उगलने वाली संस्था के आयोजन में हामिद अंसारी ने 26 जनवरी को यह तक कहा कि भारत की मौजूदा व्यवस्था और ट्रेंड्स को राजनीतिक और कानूनी रूप से चुनौती देने की आवश्यकता है। क्या यह माना जाए कि भारत के विरुद्ध वह अंतर्राष्ट्रीय अभियान चलाने की बात कर रहे हैं।।
क्या वह यह चाहते हैं कि अब नरेंद्र मोदी सरकार को वह ताकतें हटाएं, जो हिन्दुओं के खिलाफ एकतरफा अभियान चलाती रहती हैं। और जो भारत को मजहब के आधार पर तोड़ना चाहती है!
सहारनपुर में पत्रकार सुधीर सैनी की रोड रेज में जहाँगीर और फरमान द्वारा हत्या
26 जनवरी को हामिद अंसारी ने भारत को साम्प्रदायिक ठहराया तो वहीं अगले ही दिन दो ऐसी घटनाएं सामने आईं, जिन्होनें यह बताया कि वास्तव में पीड़ित कौन सा समुदाय है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में शाह टाइम्स से जुड़े पत्रकार सुधीर सैनी ने चिलकाना रोड पर जहांगीर और फरमान और उनके ही एक और साथी की आल्टो कार को ओवर टेक कर दिया। इस पर जहाँगीर, फरमान और उनके तीसरे साथी ने सुधीर सैनी को इतना मारा कि सुधीर सैनी की मृत्यु हो गयी।
हालांकि वह तीनों ही वहां से भागने में सफल रहे, परन्तु पुलिस ने शीघ्र ही उन्हें पकड़ लिया। तीसरे साथी की तलाश जारी है
पत्रकार सुधीर सैनी का दोष क्या था? क्या अब इस देश में यह अघोषित क़ानून बना दिया जाए कि कोई हिन्दू एक मजहब विशेष की कार को ओवरटेक भी नहीं कर सकता, क्योंकि यदि किया गया तो वह मारा जाएगा? जब देश का बहुसंख्यक समाज इन घटनाओं को क़ानून व्यवस्था की दृष्टि से देखता है तो देश का दूसरा सबसे बड़ा समूह, जो कि वैश्विक रूप से बहुसंख्यक है, वह अपने साथ होती घटनाओं को कानून व्यवस्था की दृष्टि से क्यों नहीं देखता?
सुधीर सैनी की हत्या को क्या साधारण हत्या माना जा सकता है? क्या वैश्विक स्तर पर अल्पसंख्यक हिन्दू यह कहना आरम्भ कर दे कि वैश्विक बहुसंख्यक उन्हें विश्व में अपनी शक्ति का हवाला देते हुए भारत में मारते हैं?
हामिद अंसारी, जो उस वर्चुअल बैठक में बैठकर भारत को कोस रहे थे, वह इन सभी मामलों पर मौन रहते हैं।
गुजरात में एक वीडियो साझा करने पर बीस वर्षीय युवक की हत्या
गुजरात से एक अत्यंत क्षोभ से भरने वाली घटना सामने आई है। वहां पर एक बीस वर्षीय युवक कृष्ण भरवाड़ को मात्र इसलिए मार डाला गया क्योंकि उसने ऐसा वीडियो साझा कर दिया था, जिसमें कृष्ण भगवान को भगवान कहा गया था तो वहीं इस्लाम के पैगम्बर को अल्लाह का दूत कहा गया था।

भारत में इस्कॉन के उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता राधारमण दास ने अपने ट्विट्टर हैंडल पर उस वीडियो को साझा करते हुए लिखा कि इस वीडियो को साझा करने पर उन्होंने एक बीस वर्षीय बच्चे की हत्या कर दी।
मीडिया के अनुसार बीस वर्षीय कृष्ण पर पहले तो मजहबी भावनाएं आहत होने का मामला दर्ज कराया गया, और बाद में पुलिस ने दोनों ही पक्षों द्वारा समझौता करवा दिया। कहा जाता है कि कृष्ण ने भी क्षमा मांग ली थी। परन्तु यह इस्लामिस्ट लोगों के लिए पर्याप्त नहीं था और कृष्ण को मंगलवार को अर्थात 25 जनवरी को दो बाइक सवार लोगों ने गोली मार दी।
यदि केवल इस वीडियो के आधार पर कृष्ण भरवाड की हत्या हो सकती है कि उसने कृष्ण भगवान को भगवान कहकर श्रेष्ठ बता दिया तो दिन में कितनी बार हिन्दू समाज अजान सुनता है, जिसमें बार बार अल्लाह को सबसे बढ़कर बताया जाता है, तो क्या हिन्दू समाज की धार्मिक स्वतंत्रता पर यह हमला नहीं है?
कहा जा रहा है कि इसके पीछे किसी मोहम्मद युसूफ का हाथ है! स्थानीय लोगों में इस हत्या को लेकर बहुत गुस्सा है और साथ ही उन्होंने अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया था, परन्तु पुलिस द्वारा आश्वासन दिए जाने पर वह अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए. एक यूजर ने कृष्ण भरवाड़ के अंतिम संस्कार का वीडियो साझा किया है. यदि यह वीडियो सत्य है तो जनाक्रोश देखा जा सकता है:
परन्तु 25 जनवरी को हुई इस घटना पर और न ही 27 जनवरी को सुधीर सैनी की रोड रेज में जहाँगीर द्वारा की गयी हत्या पर कथित लिबरल समाज कुछ बोलता है और न ही मुस्लिम खतरे में हैं का शोर मचाने वाले मुस्लिम एक्टिविस्ट।
फिर भी वह भारत को बदनाम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जाते हैं और भारत से हर सुविधा लेकर भारत को बदनाम करते हैं, और देश की सरकार को गिराने का आह्वान करते हैं!
तमिलनाडु में लावण्या, उत्तर प्रदेश में सुधीर सैनी, और गुजरात में कृष्ण भरवाड़, यह तीनों ही मजहबी या रिलीजियस हिंसा का शिकार हो चुके हैं, फिर भी हिन्दुओं पर यह आरोप लगाया जाता है कि हिन्दू असहिष्णु हैं!