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Sunday, January 19, 2025

गुजरात एटीएस ने कृष्ण भरवाड़ हत्याकांड में मौलाना को दिल्ली और गुजरात से गिरफ्तार किया है

गुजरात में कृष्ण भरवाड़ की जघन्य हत्या के सिलसिले में गुजरात एटीएस ने रविवार को मौलाना (मुस्लिम मौलवी) कमर गनी उस्मानी को गिरफ्तार किया, जिसकी ह्त्या कट्टर इस्लामी दो युवकों ने केवल इस बात पर कर दी थी कि उसने एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था, जिसमें उसने अपने भगवान श्री कृष्ण को अल्लाह और गॉड से बढ़कर बता दिया था।

मौलाना की गिरफ्तारी राष्ट्रीय राजधानी से की गई। उस्मानी को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे ट्रांजिट रिमांड पर भेज दिया गया। मौलाना को गुजरात में भी सम्बंधित न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। एटीएस जांच के लिए दस दिन की रिमांड चाहेगी।

कृष्ण की हत्या 25 जनवरी को हुई थी और इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इसमें अहमदाबाद का एक मौलाना अय्यूब भी शामिल है, जिसने कृष्ण को मारने के लिए इस्तेमाल किए गए हथियार की खरीद में मदद की थी।

कृष्ण ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसके बाद वह कट्टर इस्लामियों के निशाने पर आ गया था। यह भी कहा जा रहा है कि कमर गनी उस्मानी ने कृष्ण के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया जिसके बाद मुख्य आरोपी शब्बीर ने अपने सहयोगी इम्तियाज की मदद से कृष्ण की गोली मारकर हत्या कर दी.

मौलाना उस्मानी और तहरीक फरोग़-ए-इस्लामी

गुजरात एटीएस ने दावा किया है कि मौलाना उस्मानी तहरीक फरोग-ए-इस्लाम से जुड़ा है। इसकी वेबसाइट के अनुसार इस इस्लामी संगठन का मुख्यालय जाकिर नगर, ओखला, दिल्ली में है – और यह भी सच है कि दिल्ली में इसी क्षेत्र में लगभग सभी प्रमुख मुस्लिम संगठनों (जैसे जमात-ए-इस्लामी हिंद, पीएफआई) और बाटला हाउस, शाहीन बाग आदि जैसे अन्य विवादास्पद इस्लामी कट्टरता के केंद्र और कार्यालय हैं।

तहरीक फरोग-ए-इस्लाम का अर्थ है “इस्लाम की महिमा / रोशनी के लिए आंदोलन” है। 3 जनवरी को साइट पर जो लेख पोस्ट किए गए हैं, उनमें से एक लेख, जिसका शीर्षक है ‘1 जनवरी से तहरीक फरोग ए इस्लाम की सदस्य साज़ी मुहीम का आगाज़’ शीर्षक (जनवरी 1 से तहरीक फारोग-ए-इस्लाम के लिए सदस्यता अभियान) उसमें उस्मानी द्वारा हाल ही में दिया गया भाषण सम्मिलित है। मौलाना को हज़रत पीर क़मर ग़नी उस्मानी कादरी चिश्ती के रूप में संबोधित करते हुए अमेठी में दरगाह बंदगी मियां का नेता कहता है कि मुसलमानों के सामने सबसे बड़ा मुद्दा “अल्लाह के रसूल (दूत) के खिलाफ ईशनिंदा है जिसे मुसलमान किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं कर सकते”।

कितनी हैरानी की बात है कि मौलवी और मौलानाओं के लिए अपने मजहब के युवाओं के जीवन को सुधारने के लिए न ही निरक्षरता का मुद्दा है, न गरीबी और न ही उनके मजहब की कुरीतियाँ, बल्कि उस्मानी जैसे मौलानाओं की शिक्षाओं में मुस्लिम युवाओं के लिए है कि वह और अधिक से अधिक कट्टर होते जाएं और इसी कट्टरता को फैलाते जाएं। केवल भारत में ही नहीं, हम अब यह प्रवृत्ति पूरे विश्व में देख रहे हैं कि जरा सी बात से वह युवाओं को इतना भड़का देते हैं कि इसकी परिणिति दूसरे वर्ग पर हमले के रूप में होती है। जैसा हमने अभी हाल ही में दुर्गापूजा के दौरान बांग्लादेश में देखा था, कि कैसे झूठे आरोप पर हिन्दुओं को मारा गया था, पूजा पंडालों को तोडा गया था। पाकिस्तान में देखा था कि कैसे एक आठ साल के बच्चे को भी ब्लेसफेमी का आरोपी बना दिया गया था।

देशगुजरात वेबसाइट से भी हमें कई जानकारियाँ प्राप्त होती है कि मौलाना क़मर गनी उस्मानी तहफ़ुज़-ए-नमूस-ए-रिसालत नामक एक कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन का प्रमुख भी है (जिसका अनुवाद “पैगंबर के संदेश के सम्मान का संरक्षण” है)। उनकी रिपोर्ट में आगे कहा गया है-

“क़मर गनी अपने कट्टरपंथी भाषणों के लिए कुख्यात है और मुसलमानों को भड़काने वाले उनके कई वीडियो ऑनलाइन उपलब्ध हैं। एक वीडियो क्लिप में, क़मर गनी मुसलमानों कह रहा है कि उन्हें जेल जाने से नहीं डरना चाहिए। एक अन्य वीडियो में उसका कहना है कि मुस्लिमों का तापमान जांचा जा रहा है। एक और वीडियो में वो कहते हैं कि मुसलमान आजकल कायर हो गए हैं। मुम्बई भाषण को दिखाते हुए उसका एक वीडियो है, जिसमें यह दिखाया जा रहा है कि कैसे मुस्लिम बच्चों ने ईशनिंदा के लिए एक ईसाई पादरी को छड़ी से मार डाला। कमर गनी ने एक भाषण में यह भी चेतावनी दी थी कि अगर एक फतवा जारी कर दिया जाए,  तो देश की मिसाइलें, सेना सभी इससे निपटने के लिए अपर्याप्त होंगी। ”

दिलचस्प बात यह है कि देशगुजरात का कहना है कि उस्मानी पर पिछले साल त्रिपुरा पुलिस ने यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत आरोप लगाए थे। पाठकों को याद होगा कि त्रिपुरा में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के हिंदू विरोधी नरसंहार के विरोध में जब कुछ प्रदर्शनकारी एक मस्जिद के सामने से गुजर रहे थे तो कुछ असामाजिक तत्वों ने इसका विरोध किया था और हमला कर दिया था। इस घटना को तुरंत ही कुछ लिबरल पत्रकारों और जमात-ए-इस्लामी, JuH, IAMC (इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल) जैसे इस्लामी संगठनों ने लपक लिया और त्रिपुरा के विषय में बहुत कुछ झूठे समाचार चलाने लगे और यहाँ तक ट्रेंड चलाया कि “त्रिपुरा में मस्जिदें जल रही हैं” और जिसके कारण  त्रिपुरा पुलिस को उनके खिलाफ यूएपीए मामले दर्ज करने के लिए मजबूर किया। जबकि वास्तविकता यह थी कि इस अशांति की अगुवाई में त्रिपुरा में कई हिन्दू मंदिरों पर हमले किए गए, लेकिन हमारे अंग्रेजी-भाषा के मीडिया ने इसे कम करके आंका।

एक और मौलाना की संलिप्तता और एक और ‘ईशनिंदा हत्या’ का पिछला प्रयास

गुजरात एटीएस ने खुलासा किया है कि गुजरात का एक स्थानीय मौलाना भी कृष्ण भरवाड़ की हत्या की साजिश में शामिल था। उनके विवरण के अनुसार, शब्बीर चोपडा ने गोलियां चलाईं जिससे कृष्ण की मृत्यु हो गयी। इस हत्या के दौरान इम्तियाज पठान बाइक चला रहा था। एटीएस जांच में पाया गया कि इम्तियाज को अहमदाबाद के जमालपुर इलाके में स्थित मौलाना अय्यूब ने प्रेरणा दी और हथियार भी उपलब्ध कराए। मौलाना अय्यूब राजकोट के अजीम समा के संपर्क में था, जिससे उसने हथियार खरीदा था।

शब्बीर मौलाना कमर गनी उस्मानी को इंस्टाग्राम पर फॉलो कर रहा था। शब्बीर और इम्तियाज ने पूछताछ के दौरान यह स्वीकार किया किवह मौलाना कमर गनी उस्मानी से मुंबई में मिले थे। मुलाकात के दौरान उस्मानी ने उनसे कहा कि ‘जो कोई भी इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ बोलता है उसे खत्म कर देना चाहिए’। इसके बाद उन्होंने कृष्ण को मारने का षड्यंत्र रचा और उस्मानी ने ही उन्हें मौलाना अय्यूब का संपर्क दिया था। मौलाना अय्यूब ने भी अतीत में कहा था कि ‘अगर कोई पैगंबर का अपमान करता है, तो केवल मौत की सजा है’।

अब, उपरोक्त सभी व्यक्तियों को हथियार-आपूर्तिकर्ता अजीम सामा के भाई के साथ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मुख्य आरोपी शब्बीर चोपड़ा ने नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की है और वेल्डर है। 2015 में बोटाद पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था। चौंकाने वाली बात यह है कि अब यह बात सामने आई है कि ‘ईशनिंदा’ का बदला लेने के लिए अय्यूब और शब्बीर ने पिछले साल एक और हत्या का षड्यंत्र रचा था।

मई 2021 में, इस्लाम के पैगंबर के कथित अपमान को लेकर एक साजन ओदेदरा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। साजन ओदेदरा इस मामले में दो महीने से अधिक समय तक जेल में रहे थे। मौलाना अय्यूब और शब्बीर साजन को मारने के इरादे से पोरबंदर भी गए थे और साथ ही उसकी रेकी भी की थी। हालांकि साजन वहां मौजूद नहीं था और इसलिए अयूब और शब्बीर उसे मारने में सफल नहीं हुए।

देशगुजरात की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस मुस्लिम युवकों के कट्टरपंथ की गतिविधियों में शामिल और मौलवियों को गिरफ्तार कर सकती है।

कमलेश तिवारी हत्याकांड में भी यह ध्यान देने योग्य है कि मौलाना सलीम शेख (24) नाम के एक मौलाना ने आरोपियों को कट्टरपंथी बना दिया था। जब कमलेश की हत्या की साजिश गुजरात के सूरत में रची गई थी उससे कुछ ही समय पहले मुख्य साजिशकर्ता राशिद पठान (23) दुबई से लौटा था । अक्टूबर 2019 में हुई उस हत्या के लिए 13 लोगों को चार्जशीट किया गया था; उनमें से कुछ पहले से ही जमानत पर बाहर हैं। पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दूसरी अदालत में स्थानांतरित करने के आरोपी के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया था। जब ब्लेसफेमी के मुकदमों के दौरान इतनी ढिलाई बरती जाएगी तो यह स्पष्ट ही है कि देरी होगी ही होगी?

यदि मुसलमान अपनी दैनिक नमाज़ के दौरान दिन में 5 बार ‘अल्लाह-ओ-अकबर’ (अल्लाह सबसे बड़ा है) का जाप कर सकते हैं, और ईसाई मिशनरियों के साथ खुले तौर पर ‘मूर्ति पूजा’ को पापी बता सकते हैं,  तो फिर ‘ हिंदुओं के लिए अपने देवताओं को सबसे महान घोषित करना कैसे “मुस्लिम पैगम्बर के लिए निंदा” माना जा सकता है क्योंकि हिन्दू अपने देवी देवताओं की पूजा मूर्ति रूप में इसलिए करते हैं क्योंकि वह प्रतिमा के रूप में उन्हें जीवित देव मानते हैं!

मूल लेख अंग्रेजी में यहाँ पर पढ़ें: https://hindupost.in/crime/guj-ats-arrests-maulanas-from-delhi-and-gujarat-in-kishan-bharwad-murder-case/

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