spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
25.9 C
Sringeri
Sunday, December 8, 2024

कांग्रेस के नेता ज़मीर खान ने कहा कि हिजाब बचाता है बलात्कार से तो एआईएम्आईएम के वारिस पठान ने औरतों को ठहराया मोबाइल फोन?

इन दिनों हिजाब का समर्थन करते हुए मुस्लिम औरतों को नीचा दिखाने की होड़ लगी हुई है और अब उन्हें टॉफ़ी, कैंडी, और आइसक्रीम से बढ़कर मोबाईल फोन तक पहुँचा दिया है। कर्नाटक के कांग्रेस के नेता ज़मीर अहमद खान ने कल एक बयान दिया कि “इस्लाम में हिजाब का मतलब पर्दा होता है, (जो इसका विरोध कर रहे हैं) उनके घर में औरतें और बच्चे न हों, अगर होते तो उन्हें यह पता होता। हिजाब का उद्देश्य लड़कियों के बड़े होने के बाद उन्हें पर्दे के नीचे रखना होता है, क्योंकि उनकी सुंदरता को नहीं देखना चाहिए। हिजाब का इस्तेमाल उनकी सुंदरता को छुपाने के लिए किया जाता है”।

उन्होंने कहा कि भारत में बलात्कार की दर अधिक है क्योंकि महिलाओं को पर्दे के तहत नहीं रखा जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन जो महिलाएं अपनी सुंदरता को छिपा कर रखना चाहती हैं, वे इसे पहन सकती हैं ताकि वे बलात्कार से बच सकें।“

यह कैसी मानसिकता है जो लड़कियों को परदे के पीछे रखकर ही लड़कियों की सुरक्षा करने का दम भरती है? यह कैसी मानसिकता है जो बार बार यह लड़कियों को ही पीछे धकेलती है? मगर मुस्लिम लड़कियों को बार बार खुद के लिए बलात्कार के लिए दोषी ठहराने वाले किसी भी इंसान के खिलाफ कोई भी फेमिनिस्ट या कथित उदारवादी लेखक नहीं बोलता है। आखिर ऐसा क्यों है कि बार बार मुस्लिम समुदाय द्वारा ही मुस्लिम लड़कियों को पीछे धकेला जाता है और साथ ही उन्हें बार बार कोई चीज कहकर ही संबोधित किया जाता है।

फिर भी क्या यह बात सही है कि पर्दे में यदि रखा जाए तो बलात्कार कम होते हैं? वहीं बार बार कई आंकड़े यह निर्धारित करते हैं कि बलात्कार और पर्दे का कोई सम्बन्ध नहीं है। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जब यह कहा था कि छोटे कपड़े पहनने वाली औरतों का समाज पर गलत प्रभाव पड़ता है। उसके बाद कई औरतों ने यह ट्वीट किया था कि उन्हें इस्लाम की सबसे पाक जगह अर्थात पवित्र काबा में ही छेड़ा गया था।

कई लड़कियों ने अपने अनुभव साझा किए थे कि उन्हें कैसे पर्दे में भी शोषण का निशाना बनाया गया था

कांग्रेस के नेता ने यह शायद समाचार नहीं पढ़ा होगा जिसमें लड़कियों ने मक्का में अपने यौन उत्पीड़न के किस्से बताए थे। और #MosqueMeToo का भी ट्रेंड चलाया गया था।

इन सभी घटनाओं ने यह साबित किया कि पर्दे से बलात्कार नहीं रुकते हैं। इतना ही नहीं न जाने कितने मामले मदरसों में बलात्कार के आते हैं, और वहां पर लड़कियों का मजहबी लिबास में जाना ही अनिवार्य होता है। यहाँ तक कि अजमेर की दरगाह में भी लड़कियों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़नों की कहानियों को साझा किया था।

वारिस पठान ने लड़कियों को मोबाइल की संज्ञा दे दी

जहाँ कांग्रेस के नेता ने पर्दे को बलात्कार से बचाने के लिए सही बताया तो वहीं एआईएमआईएम के वारिस पठान, जो अभी तक हिन्दुओं के खिलाफ ही उलटे सीधे बयान देते रहे थे, उन्होंने आज एक कदम आगे जाकर कहा कि “मोबाइल को कवर में क्यों रखते हो ?सम्भालने के लिये,बचाने के लिये।।स्क्रीनगार्ड क्यों लगाते हो ? ताकि ख़राब ना हो

इसीलिये हम महिलाओं को हिजाब और बुरक़ा पहनाते हैं

मेजर सुरेंदर पुनिया ने सही सवाल किया है कि इनके लिए इनकी औरतों की हैसियत केवल मोबाइल जितनी ही है!

वहीं कांग्रेस के नेता और हिजाब मामलों के वकील कामत ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में हिजाब का पक्ष रखते हुए भारत में मलेशिया की अदालत का उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसपर न्यायालय ने प्रश्न किया कि क्या मलेशिया एक धर्मनिरपेक्ष देश है?

इस पर कामत ने कहा कि वह एक धर्मनिरपेक्ष देश नहीं है।

आज कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कामत से यह भी पूछा कि जो भी कुरआन में लिखा है क्या उसका उल्लंघन कभी नहीं किया जा सकता?

इस पर कामत ने कहा कि वह लार्डशिप से अनुरोध करेंगे कि इसके वृहद पक्ष में न प्रवेश किया जाए!

इस मामले में कांग्रेस द्वारा इस बात के सारे प्रयास किए जा रहे हैं, कि कैसे भी मुस्लिम समुदाय को भड़काकर उसी पिछड़ेपन की ओर धकेला जाए, जिससे बाहर निकलने के लिए पूरी दुनिया की मुस्लिम महिलाओं ने अपनी जान की बाजी तक लगा दी है। कर्नाटक में चल रहे इस पूरे विवाद पर पाकिस्तान की पत्रकार आरज़ू काजमी ने भी अपनी बात रखी है और कहा है कि उन्हें पहले ही दिन से यह बात अजीब लग रही है। उन्होंने बहुत ही निडरता से अपनी बात रखी है और कहा है कि पाकिस्तान में यदि जय श्री राम या कोई हिन्दू नारा किसी हिन्दू लड़की ने लगाया होता तो क्या हमारे यहाँ के लोग उसे छोड़ देते?

यह मामला जितना जितना आगे बढ़ रहा है, उतना उतना ही पिछड़े वामपंथी लेखकों और कट्टर इस्लाम समर्थक वाम फेमिनिस्ट का असली चेहरा दिखाता जा रहा है, राजनेता तो खैर राजनीति करने के लिए ही होते हैं, जैसा इस मामले में कांग्रेस और अन्य दलों के नेता कर रहे हैं, परन्तु सबसे अधिक दुःख इस बात का है कि आगे बढ़कर यह नेता लड़कियों को चीज़, मोबाइल आदि बता रहे हैं और कथित रूप से औरतों का साथ देने वाली सभी फेमिनिस्ट लेखिकाएँ इस्लामी कट्टरपंथी नेताओं के आगे घुटने टेक कर बैठ गयी हैं!  

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.