दो दिन पहले ही फ़रमानी नाज की कहानी ऋचा अनिरुद्ध ने अपने शो में बताई थी और एक बार फिर से फ़रमानी नाज को ही उस भजन का श्रेय दे दिया था जो दरअसल अभिलिप्सा पंडा और जीतू शर्मा की मेहनत का परिणाम था। परन्तु फ़रमानी नाज आज फिर से चर्चा में है। फ़रमानी इसलिए चर्चा में है क्योंकि उन्होंने जिस प्रकार से अभिलिप्सा पंडा और जीतू शर्मा का गाना चुराया था और उसे अपना बताया था, पुलिस के अनुसार फ़रमानी के अब्बा, जीजा और भाई ने सरकारी सरिया चुराया है।
जी हाँ, फ़रमानी नाज के अब्बा और जीजा अभी फरार हैं जबकि भाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
यह बहुत ही हैरानी की बात है कि फ़रमानी नाज जिसे मीडिया ने इतना सिर पर चढाया और एक प्रकार से शताब्दी की सबसे महान गायिका घोषित करना ही शेष रह गया था, क्या उसी मीडिया ने कभी भी उस परिवार के विषय में पता लगाना उचित नहीं समझा था? यह बात जब पूरी तरह से प्रमाणित थी कि “हर-हर शम्भु” भजन अभिलिप्सा पंडा और जीतू शर्मा ने गाया था और यह मूलत: उन्हीं का भजन था, फिर भी मीडिया का एक बहुत बड़ा वर्ग फरमानी नाज को मूल गायिका क्यों लगातार बताता जा रहा था?
जो मीडिया की टीमें दिन और रात वहां पर फ़रमानी की गरीबी की कहानी बताया करती थीं, एक बार भी उन्होंने यह तक नहीं पता लगाने का प्रयास किया कि फ़रमानी के परिवार के लोग क्या करते हैं? आज जब यह समाचार सामने आया है कि फ़रमानी के अब्बा और जीजा सरिया चुराने वाले गिरोह के सरगना हैं, तो यह उस मीडिया ही नहीं एक बहुत बड़े उस राष्ट्रवादी समूह के चेहरे पर भी तमाचा है, जो बिना कारण के ही अभिलिप्सा पंडा के भजन को फ़रमानी नाज के हवाले किए दे रहा था।
वहीं कई ऐसे भी वीडियो सामने आए थे, जिनमें उसके शौहर का यह भी पक्ष दिखाया था कि फ़रमानी उसके साथ नहीं आ रही है क्योंकि वह उसकी हैसियत का नहीं है:
परन्तु हिन्दुओं का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा था जो फ़रमानी नाज के आगे कुछ देखना ही नहीं चाहता था! उसके अनुसार फ़रमानी गलत नहीं है, अभिलिप्सा चोर है, फ़रमानी का शौहर राक्षस है, आदि आदि, परन्तु फरमानी हर प्रश्न से परे है! वह वर्ग ऐसा क्यों कर रहा था, इस पर अब गंभीरता से शोध की आवश्यकता है। क्या कोई भजन तभी सफल माना जाएगा जब उसे कोई फ़रमानी गाएगी? क्या महादेव की “स्वीकृति” के लिए किसी फ़रमानी का गाना आवश्यक है? इतनी आत्महीनता क्यों है? कुछ लोगों ने तो अभिलिप्सा पंडा पर ही प्रश्न खड़े कर दिए थे!
खैर, अभी जो मामला निकल कर आ रहा है, वह मीडिया के साथ-साथ उस आकुल प्रमाणपत्र चाहने वाले हिन्दुओं के वर्ग पर भी प्रश्न खड़े करता है, जो अपने ही भजन, अपनी ही पहचान के प्रति प्रश्न सशंकित रहा करते हैं। उन्हें इतनी आत्महीनता क्यों है?
इतना ही नहीं, फ़रमानी नाज को मौक़ा देने वाले आशु बच्चन सिंगर का चैनल ही फ़रमानी नाज का कर दिया गया था और सिंगर आशु बच्चन ने एक वीडियो में आकर यह कहा था कि उन पर कैमरा चोरी का आरोप लगाया गया था।
आशू बच्चन की मानें तो राहुल और फ़रमानी ने मिलकर उन्हें धोखा दिया था। इस वीडियो को देखकर आप तनिक अनुमान लगाइए कि हमारा मीडिया और हमारे कुछ राष्ट्रवादी हिन्दू लोग कैसे लोगों को एक ऐसी बच्ची के श्रम का श्रेय दे रहे थे, जो बचपन से ही भक्ति में डूबी हुई है, अर्थात अभिलिप्सा पंडा, जिसमें संगीत संस्कार के रूप में प्रवाहित हो रहा है। कैसे कोई इस प्रकार ही आत्महीनता की कल्पना भी कर सकता है? परन्तु यह हुआ! यह क्यों किया गया, यह कल्पना से परे है!
और इतना ही नहीं, फ़रमानी नाज को भाजपा के लिए भी गाने गाते देखा गया! क्या स्थानीय नेताओं ने तनिक भी जांच की आवश्यकता नहीं समझी? क्या हमारे राजनीतिक दल बिना जांच के ही लोगों को अपना मंच प्रदान कर देते हैं? या वह भी केवल चमक दमक में आ गए?
अभी क्या है मामला?
आज अचानक से ही फरमानी नाज ट्रेंडिंग में क्यों हैं? जागरण के अनुसार
“इंडियन आइडल और हर-हर शंभू भजन गाने से सुर्खियों में आई गायिका फरमानी नाज (youtube singer farmani naaz) का पिता आरिफ गैंग बनाकर सरिया लूटता था। इसका राजफाश पुलिस ने सोमवार को किया। इस गैंग ने टेहरकी के जंगल से गार्डों को बंधक बनाकर 25 कुंतल सरिया लूटा था। फरमानी के भाई अरमान समेत आठ बदमाशों को पुलिस ने पकड़ लिया। उसका पिता और जीजा समेत सात आरोपित फरार हैं। आरोपितों के कब्जे से दो सौ कुंतल सरिया और पिकअप बरामद किया गया है।“
यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है और सहज गले उतर ही नहीं सकती है। जो गायिका न केवल “हर हर शम्भु” गाती है, बल्कि वह नबी की शान में भी गाती हैं, और योगी जी की शान में गाती हैं, उनके अब्बा और जीजा सरिया चुराने वाले गिरोह के सरगना हैं।
पुलिस के अनुसार फ़रमानी नाज का भाई अरमान इस पूरे ग्रुप का सक्रिय सदस्य है। और उसके अब्बा और जीजा लूट के माल को ठिकाने लगाने का काम करते हैं। जरा सोचिये कि जिस फ़रमानी नाज को लोगों ने इतना प्यार दिया, और जिस फरमानी नाज ने कहीं न कहीं अभिलिप्सा पंडा को ही चोर तक प्रमाणित करवा दिया था, उसका परिवार यह कुकृत्य करता था और मीडिया ऐसी औरत “गंगा जमुना” तहजीब की सच्ची मसीहा के रूप में प्रस्तुत कर दिया था।
एसएसपी रोहित सिंह सजवाण के अनुसार
“करीब एक महीने पहले टेहरकी गांव में बन रही पानी की टंकी पर चौकीदार को बंधक बनाकर सरिया लूटा गया था। बदमाश चौकीदार का मोबाइल भी लूटकर ले गए थे। सरधना पुलिस ने जांच की तो कुछ लोगों के नाम सामने आए।
रविवार रात सूचना मिली कि सरिया लूट गिरोह के सदस्य खिर्वा जलालपुर में वारदात करने जा रहे हैं। तभी पुलिस ने घेराबंदी करके कंकरखेड़ा निवासी अनुज, मोनू, शाकिर, इरशाद, शाहरुख, टेहरकी गांव सरधना निवासी फिरोज और मोहम्मदपुर लोहड्डा मुजफ्फरनगर निवासी अरमान को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की निशानदेही पर लूटा गया सरिया भी बरामद किया गया।“
प्रश्न यह भी है कि क्या अब मीडिया अपने उत्तरदायित्व को समझेगा या फिर वह इसी प्रकार असली प्रतिभाओं को मारकर एजेंडे वाली फ़रमानी को नायिका बनाने का कुप्रयास जारी रखेगा? क्या मीडिया कभी उस एजेंडे के लिए क्षमा मांगेगा जो उसने अभिलिप्सा पंडा के विरुद्ध रचा? क्या कभी जीतू शर्मा की कहानी को उसी प्रकार दिखाएगा जैसे उसने फ़रमानी नाज की कहानी को दिखाया?
हिन्दूपोस्ट ने आरम्भ से ही इस सांस्कृतिक छल का विरोध किया था! इस विवाद के आरम्भ होने के पहले दिन से ही हमने यही कहा था कि “हर-हर शम्भु” की पहचान अभिलिप्सा पंडा और जीतू शर्मा है, फ़रमानी नाज नहीं!