हिन्दुओं के पर्वों के साथ ब्रांड्स की छेड़खानी जारी है। हिन्दू पर्वों को सेक्युलर बनाने के तो कई कुप्रयास हो रहे हैं, और कथित बड़े ब्रांड्स इन पर्वों में से हिन्दूपन ही गायब कर देते हैं।अब फैब इंडिया ने दीपावली के अवसर पर प्रेम और रोशनी के त्यौहार का स्वागत करते हुए, अपने जश्न ए रिवाज कलेक्शन को प्रस्तुत किया है।
दीपावली प्रेम और रोशनी का पर्व है, यह ठीक है, परन्तु यह हिन्दू पर्व है और प्रभु श्री राम जी के अयोध्या आगमन का पर्व है।इस पर्व पर दीप जलाने वाला हिन्दू प्रसन्न होता है, इसलिए वह प्रकाश करता है।इसे “जश्न-ए-रिवाज” कहने का अधिकार किसने दे दिया? तेजस्वी सूर्या ने फैब इंडिया का ट्वीट कोट करते हुए कहा कि
दीपावली जश्न ए रिवाज नहीं है.
तेजस्वी सूर्या ने जो कहा, वह एकदम सत्य कहा है कि यह दीपावली को अब्राह्मीकरण करने का कुकृत्य है।मगर जो उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण रूप से कहा है वह है मॉडल्स को बिना परम्परागत हिन्दू वेश भूषा के दिखाना, और इसे वापस लेना चाहिए।
हालांकि फैब इंडिया ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है, परन्तु मामला वही है कि यह विदेशी या कहीं दूसरे धर्मों के ब्रांड हमेशा हिन्दू त्योहारों को गैर हिन्दू बनाने के लिए सांस्कृतिक हमला क्यों करते हैं? वह हिन्दुओं के समस्त प्रतीक मिटा देते हैं, जैसे हिन्दू स्त्रियों को बिंदी विहीन दिखाते हैं, जैसा अभी तनिष्क ने भी किया है।
फैब इंडिया के इस जश्न ए रिवाज पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।यह अब्राहमिक रिलिजन वालों का सबसे मनपसन्द काम है कि वह जहां जाते हैं, वहां की सभ्यता को हर प्रकार से निगलने का कुप्रयास करते हैं।नाम बदलते हैं, जैसे उन्होंने हिन्दुओं के नगरों के नाम बदल दिए।हिन्दुओं के प्रयागराज को अल्लाहाबाद कर दिया और मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बना लीं।अब वह त्यौहार तोड़ रहे हैं।इसलिए अब उन्होंने हिन्दुओं के पर्वों की पहचान पर आक्रमण किया है और पहले उन्हें सेक्युलर और फिर अब्राह्मिक बनाने का कार्य आरम्भ किया है।
“राम और दीपावली धर्म नहीं संस्कृति है” का सेक्युलर शोर!
प्राय: यह कहा जाता है कि राम एवं कृष्ण इस देश की संस्कृति हैं, धर्म से इनका कोई लेना देना नहीं है, यह प्राय: सेक्युलर और प्रगतिशील तर्क होता है।इस आड़ में वह अपने सारे एजेंडे सेट करते हैं, और इन्हीं की आड़ में ऐसे ब्रांड भी दीपावली जैसे विशुद्ध हिन्दू पर्व को रोशनी का फेस्टिवल मानकर कलेक्शन को जश्न ए रिवाज बनाकर प्रस्तुत कर देते हैं।
राम और कृष्ण भारत की ही नहीं पूरे विश्व की संस्कृति हैं, परन्तु इन संस्कृति में अतिक्रमण का अधिकार किसी को भी नहीं हो जाता है।जो भी राम और कृष्ण की संस्कृति को अपना मानेगा वह कभी भी पर्व के साथ इस प्रकार की अश्लील छेड़छाड़ नहीं करेगा।पर चूंकि फैब इंडिया जैसे ब्रांड्स जो केवल अपने उत्पादों को बेचने के लिए ही त्यौहार का प्रयोग करते हैं, वह हिन्दुओं के त्योहारों को ही अब्राह्मिक बनाने का प्रयास करते हैं।
हिन्दू चेतना के कारण समस्या
पर अब समस्या हो गयी है।आज से कुछ वर्ष पूर्व का वातावरण नहीं रहा है।अब हिन्दू खुलकर प्रश्न करता है, विरोध करता है।अब वह ब्रांड की परवाह नहीं करता है।अब आम लोग भी खुलकर प्रश्न करते हैं कि भाई आप किस त्यौहार की बात कर रहे हैं।आखिर यह किस धर्म का त्यौहार है?
पर दुःख की बात है कि प्रभु श्री राम और दीपावली को संस्कृति बताने वाले लोग इस सांस्कृतिक विरूपीकरण पर बात नहीं करते हैं।वह यह देखने का भी नहीं प्रयास नहीं करते कि क्या इससे मूल हिन्दू संस्कृति शेष भी रहेगी या नहीं, बस वह हिन्दू त्योहारों को विरूपित करने के लिए तत्पर हो जाते हैं।
फैब इंडिया और फोर्ड फाउंडेशन:
हिन्दुओं के इस पावन पर्व को इस्लामी रंग में रंगने वाले फैब इंडिया का मालिक कौन है? फैब इंडिया की यात्रा का आरम्भ वर्ष 1960 में अमेरिका में एक ऐसे कारपोरेशन के रूप में हुआ था, जिसका उद्देश्य था भारत में बने हैंडलूम और हस्तशिल्प के वस्त्रों को अमेरिका और अन्य निर्यातक बाजारों में निर्यात करना” और इसकी शुरुआत की थी जॉन रसेल ने और जॉन रसेल भारत में कॉटेज इंडस्ट्रीज इम्पोरियम के लिए सलाहकार के रूप में फोर्ड फाउंडेशन की ग्रान्ट पर भारत आया था।
अर्थात यह एक ऐसे व्यक्ति की कंपनी है, जो मूलत: भारत का नहीं है और जिसके मूल में धार्मिक मूल्य न होकर केवल बाजार के रूप में भारत है।परन्तु चूंकि एथेनिक वियर अर्थात परम्परागत वस्त्रों के क्षेत्र में यह कार्य करता है, तो हिन्दू संस्कृति से न चाहते हुए भी जुड़ गया है और ऐसे में उसने यह नाम परिवर्तन का यह खेल लिया.
हरम के प्रति आकर्षित पश्चिम समाज मुस्लिमों में मसीहा खोजता है
चूंकि पश्चिम मुगलों के प्रति बहुत आकर्षित है, जैसा हमने बार बार लिखा है कि पश्चिम जगत मुगलों के हरम से बहुत प्रभावित और आकर्षित है, और हरम के कारण ही वह मुगल इतिहास से ही भारत का आरम्भ मानता है, वह अपनी औपनिवेशिक सोच में यह सोच ही नहीं सकता है कि हिन्दुओं का इतना समृद्ध इतिहास और संस्कृति है।
पश्चिम की यह आत्महीनता और दयनीयता उन्हें मुगलों का गुलाम बनाती है और फिर वह अपनी वैचारिक गुलामी हिन्दुओं पर थोपते हुए इस प्रकार जश्न ए रिवाज जैसे नाम देते हैं।पर अब वह यह भूल गए हैं कि हिन्दू चेतना पर अपनी वैचारिक दरिद्रता और गुलामी थोपना संभव नहीं है, तभी आज फैब इंडिया को अपना ट्वीट डिलीट करना पड़ा,
और ट्विटर पर ट्रेंड हो रहा है, #BoycottFabIndia