जब भी हम हिन्दुफोबिया की बात करते हैं तो प्राय: इसे इस्लामिस्ट या फिर ईसाइयों के साथ ही जोड़ लेते हैं, परन्तु एक बहुत ही बड़ा वर्ग है, जिसे अपनी हिन्दू पहचान से घृणा है, जिसे अपने हिदू होने से चिढ है और जो इस बात पर बार बार लज्जित होता है कि क्यों आखिर वह जन्म से हिन्दू है? क्योंकि कर्म से तो वह हिन्दू है ही नहीं, परन्तु उन्हें जन्मना हिन्दू होने की पहचान को ढोना पड़ता है, इसलिए वह बार बार यह प्रमाणित करने का प्रयास करते हैं कि दरअसल वह हिन्दू नहीं हैं।
ऐसे लोग हिन्दुओं से और अपनी हिन्दू पहचान से कितनी घृणा करते हैं, वह लोगों को वर्ष 2014 से पहले इतना नहीं पता था, क्योंकि सब एक छद्म आवरण में था। सब कुछ ठीक चल रहा था, परन्तु समस्या यह हुई कि कुछ हिन्दुओं के भीतर अपने धर्म को लेकर चेतना आ गयी, जागरण आ गया। और वह इस भाईचारे की वास्तविकता समझने लगे और उसे सेक्युलरिज्म की वास्तविकता समझने लगे, जो इन कुलीन लोगों द्वारा कई रचनाओं में, कई फिल्मों आदि में दिखाया जा रहा था, और जैसे ही हिन्दुओ ने अपनी पहचान को समझकर कार्य करना आरम्भ किया, वैसे ही वह भड़क गए और हिन्दू घृणा को खुलकर व्यक्त करने लगे।
ऐसे कथित कुलीनों की हिन्दू विरोधी पहचान सामने लाने के लिए सोशल मीडिया ने एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई है क्योंकि यहाँ पर वह अपने असली रूप में आए और फिर उन्होंने यहाँ पर कोई पर्दा नहीं किया। ऐसी ही एक कथित एलीट हैं, हिन्दुस्तान टाइम्स की पूर्व पत्रकार एवं वर्तमान में कथित रूप से महिलाओं की वेबसाईट चलाने वाली अवन्तिका मेहता! इनकी उस The Ladies Compartment पर सेक्स टॉय भी मिलते हैं! इन्हें अपनी हिन्दू पहचान से इस हद तक घृणा है कि वह चाहती हैं कि हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाए और उनके साथ हिंसा और घृणा का व्यवहार हो, जो वह पिछले हजारों वर्षों से सबके साथ करते आ रहे हैं और मैं यह डिस्गस्टेड हिन्दू के रूप में कह रही हूँ! हम एक वायरस हैं!
वैसे अवन्तिका का यह सपना कोई नया नहीं है। ऐसे कई कुलीन हिन्दू इसी कल्पना को सोच सोचकर रोमांचित हो जाते हैं, कि कब मुस्लिम बहुसंख्यक होंगे! कथित निष्पक्ष पत्रकार रविश कुमार भी यह पूछ चुके हैं कि क्या हो जाएगा अगर मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाएंगे तो?
एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो बार बार बहुसंख्यक समाज से यही प्रश्न करता है। परन्तु वह उन स्थानों पर जाकर प्रश्न नहीं करता है जहाँ पर वास्तव में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं एवं पीड़ित होकर आए हैं। वह मुस्लिमों के अत्याचार से पीड़ित होकर पलायन करके आए हैं। दरअसल जो अवन्तिका ने लिखा है कि एक हजार सालों से जो हिन्दुओं ने किया है? क्या किया है? इस विषय में सब मौन हैं! इस विषय में एक बहुत ही रोचक तथ्य यह है कि यह कहा जाता है कि ब्राह्मणों ने शूद्रों पर ऐसे अत्याचार किये कि जितने कोई किसी पर नहीं कर सकेगा और यदि वेदों की ध्वनि भी शूद्रों के कान में चली जाती थी, तो उनके कानों में पिघला सीसा डाल दिया जाता था।
अब आते हैं हाल के दिनों में! और यह जानने का प्रयास करते हैं कि यह कितना बड़ा झूठ है।
2 अप्रेल को फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी का शीशा उद्योग अब चौपट होने के कगार पर है क्योंकि रूस और यूक्रेन के युद्ध के समय उस उद्योग को पर्याप्त ऊर्जा अर्थात गैस नहीं मिल रही है। अब एक बात गौर करने योग्य है कि जहाँ एक ओर यह भी कहा जाता है कि ब्राहमणों अर्थात हिन्दुओं के पास ज्ञान नहीं था, समस्त ज्ञान उन्हें पश्चिम या मुगलों ने दिया तो उस समय ऐसी क्या तकनीक थी कि ज़रा सा संकट आने पर जहां आज कथित विकसित जगत के देशों के ग्लास उद्योग चौपट होने के कगार पर हैं क्योंकि पर्याप्त ऊर्जा नहीं है तो फिर इतने वर्षों पहले भी ऐसी कौनसी तकनीक होती थी कि शीशे को पिघलाकर कान में डाल दिया जाए!
दरअसल संस्कृत ग्रंथों का जो मनचाहा अनुवाद किया गया, और जिस प्रकार शूद्र अर्थात एक अत्यंत महत्वपूर्ण वर्ग को दलित या पिछड़ा घोषित किया गया, और जानबूझकर ब्राह्मणों को ऐसा खलनायक घोषित किया गया, जिनके कारण ही समस्याएं उत्पन्न हुईं और भारत पर इतनी आपदाएं आईं।
जिन ब्राह्मणों ने मंदिरों को बचाने के लिए, जिन ब्राह्मणों ने हिन्दू धर्म को बचाने के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की और मुस्लिम शासक पंडितों के जनेऊ ही गिनते थे कि कितने खून से सने जनेऊ तौले गए। कश्मीर में जब सिकंदर बुतशिकन द्वारा हिन्दुओं का कत्लेआम चल रहा था तो उसने जनेऊ तुलवाए थे और फिर उन्हें आग में फेंक दिया जाता था। हिन्दुओं पर मुगलों द्वारा किये गए अत्याचारों को एक सिरे से साहित्य एवं वामपंथियो द्वारा लिखे गए इतिहास में नकार दिया गया है। जबकि अकबर से जहाँगीर के समय में ही पांच से छह लाख लोगों को मार डाला गया था
इस्लामिक जिहाद, अ लीगेसी ऑफ फोर्स्ड कन्वर्शन, इम्पीरियलिज्म एंड स्लेवरी में (Islamic Jihad A Legacy of Forced Conversion‚ Imperialism‚ and Slavery) में एम ए खान अकबर के विषय में लिखते हैं “बादशाह जहांगीर ने लिखा है कि मेरे पिता और मेरे दोनों के शासन में 500,000 से 6,00,000 लोगों को मारा गया था। (पृष्ठ 200)
परन्तु यह सब इन कथित एलीट हिन्दुओं को जानते हुए भी स्वीकारना नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से उन्हें उस सर्किल में मान्यता नहीं मिलेगी जिस सर्किल में मान्यता का प्रथम चरण ही या तो जीसस या अल्लाह की प्रशंसा एवं हिन्दू धर्म की बुराई होती है। तभी यह लोग पूरे विश्व में हो रहे तमाम शिया, सुन्नी, अहमदिया, आदि के बीच खूनी संघर्षों पर बात नहीं करती हैं। चर्च में हुए सेक्स स्कैंडल्स पर बात नहीं करती हैं, वह दिल्ली में ही मजनू का टीला पर जाकर पाकिस्तान से आए हिन्दुओं से बात करना नहीं चाहती हैं और फिर कहती हैं कि हिन्दू वायरस हैं! और साथ ही वह यह भी कहती हैं कि शाकाहारी दरअसल हिंसक होते हैं, परन्तु वह हिंसक देश पाकिस्तान और बांग्लादेश भूल जाती हैं जहाँ पर जमकर नॉनवेज भी खाया जाता है और साथ ही हिन्दुओं सहित सिखों के साथ जमकर अत्याचार भी होते हैं:
यही हिन्दूफोबिया है, और कथित कुलीन और पढ़े लिखे और दुर्भाग्य से जन्मने हिन्दुओं में यह बहुत अधिक होता है!