मलाला को इस बात का बहुत मलाल है कि भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन होता जा रहा है और मलाला ने भारत में उन लड़कियों का समर्थन करते हुए भावुक होकर लिखा है कि उन्हें शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। मगर जब मलाला यह सब लिखती हैं तो अपने देश पर दृष्टि डालना भूल जाती हैं, वह यह भूल जाती हैं, कि उनके मुल्क में तो अल्पसंख्यकों से जीने का अधिकार ही छीन लिया जाता है।
अल्पसंख्यक तो छोड़ दीजिये, वहां पर तो शिया, अहमदियों को भी निशाना बनाया जा रहा है। खैर, मलाला कभी भी उन हिन्दू लड़कियों के लिए नहीं बोलती हैं, जो इस्लामी कट्टरता का शिकार दिनप्रतिदिन पाकिस्तान में हो रही हैं और न ही वह उन मुस्लिम लड़कियों के लिए ही आवाज उठाती हैं, जो कट्टरपंथ का शिकार हो रही हैं।
पाकिस्तान में लगभग हर महीने ही कथित “ब्लेसफेमी” के कारण लोगों को घेरकर मारने की घटनाएं होती रहती हैं। पिछले कुछ दिनों में एक मुस्लिम महिला को जहाँ कुछ व्हाट्सएप मेसेज के आधार पर ब्लेसफेमी का आरोपी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है तो वहीं पिछले ही सप्ताह एक हिन्दू शिक्षक को ब्लेसफेमी का दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुना दी है।
पाकिस्तान में ब्लेसफेमी कानून के शिकार केवल हिन्दू ही होते हैं, ऐसा नहीं है, बल्कि श्रीलंका के एक नागरिक को भी घेर घेर कर मार डाला था और आग के हवाले कर दिया था। मीडिया के अनुसार इस क़ानून का दुरूपयोग किया जा रहा है और निजी दुश्मनी निकालने के लिए इस क़ानून का प्रयोग किया जाता रहा है।
जैसा उस लड़की के मामले में देखा जा रहा है जिसे हाल ही में मौत की सजा सुनाई गयी है।
मीडिया के अनुसार जिस लड़के ने अनिका के खिलाफ यह शिकायत दर्ज कराई थी, वह उसके साथ दोस्ती में कुछ अधिक चाहता था, और जब उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो फारुक ने उसे पैगम्बर की बुराई की मामले में फंसाने की चाल चली।
मीडिया के अनुसार अनिका को इस मुक़दमे के दौरान कोई भी विशेष कानूनी मदद नहीं दी गयी। ईसाई महिला आसिया बीबी का मुकदमा लड़ने वाले सैफुल मालूक ने कहा कि “डिफेन्स के वकील ने पूरे मुक़दमे के दौरान उसे सही से डिफेंड नहीं किया और यहाँ तक कि जब अदालत की कार्यवाही हो रही थी, तो उसके कथित अपराध को स्वीकार भी कर लिया, इसलिए उसे सजा दी गयी।”
परन्तु मलाला सहित उन लोगों की एक भी आवाज अनिका के लिए नहीं आई जो भारत में लड़कियों को पर्दे में बंद करने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं।
हिन्दू शिक्षक नौतन लाल को भी इस काले क़ानून का शिकार बनाया गया,
उन पर जुर्माना भी लगाया गया है। अब उन्हें इस काले क़ानून में पूरा जीवन भर जेल में रहना पड़ेगा।
परन्तु मलाला सहित उन में से किसी को भी इस काले क़ानून पर मलाल नहीं होता!
मलाला अभी भारत में लड़कियों को हिजाब न पहनने देने पर मलाल जता रही हैं, तो वहीं परसों ही उनके अपने मुल्क पाकिस्तान में एक आदमी को कथित रूप से कुरआन के अपमान में पत्थरों से पीट पीट कर मार डाला गया।
इसी घटना पर मेजर गौरव आर्या ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मुहम्मद कुरैशी को घेरते हुए कहा कि आप लोग भारत में hijab और लड़कियों की शिक्षा को लेकर चिंतित हैं, क्या आप अब झूठे ब्लेसफेमी के आरोप में मारे गए मानसिक विकलांग आदमी के बारे में ट्वीट करेंगे?
तारेक फ़तेह ने लिखा कि पाकिस्तानी भीड़ ने एक मानसिक रूप से बीमार इंसान को मस्जिद में कुरआन जलाने के आरोप में मार डाला। परिवार वालों के अनुसार वह आदमी पिछले पंद्रह सालो से बीमार था और कहीं भी खाने और पीने की आस में चला जाता था।
नुरियन खान ने कहा कि एक इंसान पर आरोप लगाया गया, उस पर जुल्म किया गया और फिर मार दिया गया। परन्तु अधिकारियों की ओर से पूरी तरह से शांति है,। पाकिस्तान को शर्म आनी चाहिए। यह बर्बर ब्लेसफेमी क़ानून पाकिस्तान को घुटने पर ला देगा,
यह दुखद है कि तुम ऐसे देश में रहते थे जिसमें इतनी नफरत वाली मानसिकता है
अल ज़जीरा के पत्रकार असद हाशिम ने कहा कि अल ज़जीरा के अनुसार वर्ष 1990 से पाकिस्तान में लगभग 81 लोगों को ब्लेसफेमी के आरोप में मारा जा चुका है। शनिवार को जो मोबलिंचिंग हुई है, वह दो महीने में हुई दूसरी घटना है, रविवार को ही ऐसी एक घटना फैसलाबाद में होने वाली थी, परन्तु उसे बचा लिया गया
प्रश्न यही है कि भारत के मामले में जहाँ पर इसी कट्टरपंथ और पागलपन से बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं, वहां पर पाकिस्तान के कट्टरपंथी लोग आग लगाने के लिए लगातार आगे आ रहे हैं और उनके कट्टरपंथ के कारण हिन्दू और मुसलमान दोनों ही लगातार पीड़ित हो रहे हैं, मारे जा रहे हैं, परन्तु दुःख है कि डियर मलाला को अपने मुल्क में हो रही इन घटनाओं पर मलाल नहीं होता!
What a horrible scenario! A man is thrashed to death because of fake blasphemy charge! Horrendous! It is very sickening to learn that a man is brutally killed by Muslims on relgious belief! Even they didn’t spare the mentally handicapped person. The big question is: What did they gain ultimately? Certainly the wrath and global hatred. Such kind of brutal and inhuman activities bring disgrace to pan-Islamic world.
When the Imams will learn to teach their people to eschew violence which is anti-Islamic? When they’ll educate mass to be patient & tolerant to people of other religions? When they will preach non-violence, be tolerant and respectful to other religions so that Muslim societies can peacefully co-exist with non-Muslim communities?