HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
34.9 C
Sringeri
Thursday, March 23, 2023

ब्रिटेन में मचा है लेडी ऑफ हेवेन फिल्म पर हंगामा- सुन्नी-शिया भी है मामला!

भारत में जहाँ एक ओर नुपुर शर्मा को लेकर हंगामा मचा हुआ है तो वहीं ब्रिटेन में भी कुछ ऐसी ही स्थितियां हैं। वहां भी कट्टर इस्लामी तत्व इन दिनों देश का वातावरण बिगाड़ रहे हैं। एक मूवी बनाई गयी है, जिसका नाम है लेडी ऑफ हेवेन। इस फिल्म को लेकर ब्रिटेन और साथ ही इस्लामी देशों में तनाव है।

किसके विषय में यह फिल्म है?

प्रश्न उठता है कि आखिर यह फिल्म किसके विषय में है? यह फिल्म इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद की बेटी फातिमा के जीवन पर आधारित है!

फिर विवादास्पद क्या है?

इस फिल्म पर विवाद सुन्नी और शिया समुदाय को लेकर है। यह बहुत ही हैरानी की बात है कि इस्लाम में भेदभाव नहीं होता कहने वाले, सुन्नी और शिया जैसे भेदभाव नहीं दिखाते हैं। इस फिल्म को लेकर सुन्नी वर्ग बहुत ही आक्रोश में है और सुन्नी मुसलमानों के अनुसार वह मोहम्मद और खदीजा के बच्चों में सबसे छोटी थी तो वहीं शिया मुसलमानों का यह मानना है कि फातिमा इस दंपत्ति की एकमात्र सन्तान थी।

फातिमा को शिया मुस्लिमों में मुख्यत: जीसस की माँ मैरी के समान माना जाता है। इस फिल्म का लेखन शिया समुदाय के लोगों ने ही किया है, जिसमें फातिमा को शिया दृष्टिकोण से चित्रित किया गया है!

सुन्नी मुस्लिमों में इस बात को लेकर क्रोध है क्योंकि मोहम्मद की तस्वीरों की अनुमति कुरआन में नहीं है। और साथ ही इस्लामिक जगत में इस बात को लेकर भी गुस्सा है कि फिल्म में शोध नहीं किया गया है और भड़काऊ तत्व सम्मिलित है।

ईरान की सरकार ने लेडी ऑफ हेवेन को प्रतिबंधित कर दिया है और यह कहा है कि मुस्लिमों को विभाजित करने के लिए यह फिल्म बनाई गयी है। यूके में भी इस फिल्म को लेकर विवाद हो रहे हैं और शो कैंसल किए जा रहे हैं। इस बात को लेकर वहां पर भी लोगों के बीच विवाद मचा हुआ है कि सिनेवर्ल्ड ऐसे कैसे लेडी ऑफ हेवेन को प्रतिबंधित कर सकता है। और लोग कह रहे हैं कि आखिर कैसे पढ़ा लिखा शिक्षित वर्ग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन पर चुप है!

सिनेवर्ल्ड के बाहर खड़े होकर नारे लगाए गए और फिल्म को हटाए जाने की बात की गयी

मजे की बात यही है कि इस फिल्म को मुस्लिमों ने ही बनाया है। फिल्म निर्माता का यह कहना है कि हमने ही वह फिल्म बनाई है, तो यहाँ आकर विरोध प्रदर्शन करें,

अब वहां पर भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा आरम्भ हो गयी है कि क्या अब हम मजहबी विचारों के अनुसार फिल्म आदि देखेंगे? ब्रिटेन में अब इस फिल्म के विरोध का समर्थन करने पर एक मस्जिद के इमाम को ब्रिटिश सरकार ने नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

कारी आसिम सरकार के साथ इस्लामोफोबिया विरोधी सलाहकार के रूप में कार्य कर रहा था। कारी आसिम ने शनिवार को यह कहा था कि लेडी ऑफ हेवेन को सिनेमा हॉल से वापस ले लेना चाहिए। उसने यह भी वक्तव्य दिया था कि यह एक ऐसी मूवी है जो मुस्लिमों के लिए दर्द देती है।

इस वक्तव्य पर सरकार ने यह कहते हुए कारी आसिम को नौकरी से निकाल दिया है कि उसने एक ऐसे अभियान को समर्थन दिया है, जो मुक्त अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करता है। और अब आप उन भूमिकाओं में काम नहीं कर सकते हैं, जो सामुदायिक सौहार्द को बढ़ाने के लिए बनाई गयी है।

इस फिल्म को लेकर असहिष्णुता अब सामने दिखाई दे रही है। लोग इस बात को लेकर विरोध में आ रहे हैं कि क्या मुट्ठी भर लोग यह निर्धारित करेंगे कि हम क्या देखें या क्या नहीं? परन्तु प्रश्न यह है कि हर समय अपने मजहब के अपमान को लेकर इतने भावुक रहने वाले कट्टरपंथी इस्लामिस्ट तत्व कभी भी इस बात को लेकर जागरूक नहीं हो पाते हैं कि दूसरों के भी धार्मिक अधिकार होते हैं। जैसे इस फिल्म का विरोध करते हुए भी “शिया काफ़िर” के नारे भी सुने गए थे।

लोग कहने लगे हैं कि इस्लाम आलोचना से परे नहीं है, इस्लाम फिल्मों में दिखाए जाने से परे नहीं है, इस्लाम मजाक उड़ाए जाने से परे नहीं है, और लेडी ऑफ हेवेन फिल्म मुस्लिमों ने ही बनाई है,। मैं यह बात उन कई शो के बारे में नहीं कह सकती जो ईसाइयों का मजाक उड़ाते हैं

भारत में भी जहां मुस्लिमों ने कलात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिन्दुओं को बार-बार अपमानित किया है तो वहीं अपने लिए आलोचना के दरवाजे बंद कर रखे हैं। हाल ही में नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल वाले प्रकरण से यह समझा जा सकता है कि कट्टरपंथी इस्लामिस्ट अपनी ही किताब के सत्य सामने लाने से कितना डरते हैं।

उन्हें हर स्थिति में नुपुर शर्मा का सिर चाहिए, जैसे वहां पर भी लोगों के सिर चाहिए,

भारत में आमिर खान पीके बना सकते हैं, कबीर खान राजनीतिक दृष्टिकोण रखते हुए हिन्दू धर्म को अपमानित करते हुए बजरंगी भाईजान बना सकते हैं, तब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम देकर इसका समर्थन करने वाले अपने मजहब के लिए इतने भावुक क्यों हो जाते हैं? भारत में तो स्टैंडअप कॉमेडियन भी हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाकर ही अपनी कॉमेडी चमकाते हैं!

हर धर्म की अपनी आस्था और विश्वास होता है, परन्तु अब्राह्मिक कल्ट में संभवतया दूसरों की आस्था का क्या स्तर है, इसे काफ़िर शब्द से ही जाना जा सकता है!  

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

1 COMMENT

  1. These people are blunt headed. They do not delve into the depth. Do not tolerate criticism. Too much biased.
    Britain is now bearing the brunt of Islamist violence.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.