29 नवम्बर को चेन्नई के एक मदरसे से बिहार के 12 अवयस्क लड़कों को छुड़ाया गया था, उन्हें 18 दिसंबर को वापस बिहार भेज दिया गया है। पुलिस के अनुसार चाइल्ड लाइन एंड चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की सदस्य एडवोकेट एन ललिता ने शिकायत की थी कि माधवरम इलाके में एक कुरान अध्ययन केंद्र कुछ अवयस्क बच्चों को अवैध रूप से रखा गया है। स्थानीय पुलिस ने तत्काल कार्यवाही करते हुए इस कथित कुरान अध्ययन केंद्र, जो एक मदरसा था, पर छापा मारा और इन लड़कों को छुड़ाया।
कोलाथुर पुलिस ने इन अवयस्क लड़कों को उपहार, कपड़े, कलाई-घड़ी बैग आदि प्रदान किये। इस मदरसे में इन लड़कों का शोषण होता था और इनके साथ मारपीट भी की जाती थी। पुलिस ने इस मदरसे को चलाने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। माधवराम पुलिस के अनुसार, आरोपियों की पहचान मोहम्मद अख्तर और अब्दुल्ला के रूप में हुई है, जो बिहार के रहने वाले हैं।
पुलिस ने कहा कि दोनों आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 342 (गलत कारावास), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 324 (खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाना) और किशोर न्याय की धारा 75 (बच्चे के प्रति क्रूरता) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने इन गंभीर रूप से घायल बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां दो बच्चों की शल्य चिकित्सा भी की गई क्योंकि उन्हें शारीरिक चोट पहुंची थी, उनके पीठ, छाती और चेहरे पर गहरी चोट लगी थी।
रेलवे स्टेशन पर मीडिया से बात करते हुए, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के पास मदरसा चलाने के लिए ‘जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड’ की आज्ञा भी नहीं थी। पुलिस ने बच्चों को पहले एग्मोर चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में भर्ती क़िया, उसके पश्चात उन्हें रॉयपुरम बॉयज होम भेज दिया गया। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि सभी बच्चे गरीब परिवारों से हैं, और इनके माता-पिता को भ्रमित कर इन्हे चेन्नई लाया गया था।
पिछले ही दिनों दिल्ली में एक मदरसे में भी ऐसी ही घटना देखने को मिली थी। यहाँ रहने वाले एक 12 वर्षीय लड़के को नशीला पदार्थ दिया गया और उलेमा ने उसके साथ बार-बार बलात्कार किया। देश भर के मदरसों से इस तरह के कई अपराध सामने आ चुके हैं, और कहीं ना कहीं इन्हे मजहबी और राजनीतिक संरक्षण दिया जाता है, ताकि इस प्रकार की अवैध गतिविधियां चलती रहे।