पाकिस्तान में श्रीलंका के नागरिक की जिस प्रकार से घेर कर लिंचिंग करके हत्या की गयी है, उससे हर कोई स्तब्ध है, हर कोई हैरान है। यहाँ तक कि वहां के आम नागरिक भी विरोध में आ गए हैं। परन्तु अब एक बहुत ही शर्मनाक बयान पाकिस्तान के रक्षामंत्री की ओर से आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि नौजवान हैं, और जज्बे ,में ऐसा हो ही जाता है।
लड़के इकट्ठे हुए और अचानक से जज्बे में काम हो गया
प्रियांथा कुमारा की हत्या में अभी पाकिस्तान सरकार की ओर से लीलापोती या कहा जाए कथित कार्यवाही की बात ही हो रही है, तो वहीं पाकिस्तान सरकार की ओर से ही अब ऐसा बयान आया है जिसने सरकार की गंभीरता और उसके द्वारा उठाए जा रहे क़दमों पर प्रश्नचिंह लगा दिया है।
पाकिस्तान के रक्षामंत्री ने कहा कि “बच्चे हैं, बड़े होते हैं, इस्लामी दीन है, सोच ज्यादा है, जोश में आ जाते हैं, जज्बे में वो काम कर देते हैं, इसका ये मतलब नहीं कि ‘ये’ किया तो ‘ये’ हो गया। ये हर किसी की अपनी सोच है। वहाँ पर लड़के इकट्ठा हुए। उन्होंने इस्लाम का नारा लगाया कि ये इस्लाम के ख़िलाफ़ काम है। जज्बे में आ गए। काम हो गया अचानक। इसका ये मतलब नहीं है सब कुछ बिगड़ गया है।”
इतना ही नहीं उन्होंने मीडिया से भी अपील की कि वह भी लोगों को समझाएं। नौजवान हैं, जज्बे में आते हैं। दीन में मैं भी जज्बे में आऊँगा तो मैं भी गलत करूँगा। इसका मतलब ये नहीं है कि पाकिस्तान तबाही की तरफ जा रहा है।”
यह बेहद ही हैरान करने वाला वक्तव्य है क्योंकि इसमें सरे आम प्रियांथा कुमार की हत्या को सही ठहराया गया है
क्या कहती है आतंरिक रिपोर्ट
जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री इमरान खान इस मामले में न्याय की बात कर रहे हैं और रक्षामंत्री इसे सही ठहरा रहे हैं, तो उसी समय इस लिंचिंग के विषय में आतंरिक रिपोर्ट क्या कहती हैं, उस पर भी ध्यान देना होगा! मीडिया के अनुसार जो रिपोर्ट प्रधानमंत्री इमरान खान और मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार को सौंपी गयी हैं, उसके अनुसार विदेशी कंपनियों से एक प्रतिनिधि मंडल फैक्ट्री में आने वाला था, जिसके कारण मैनेजर ने सभी वर्कर्स को यह निर्देश दिया कि वह सभी मशीनों को साफ़ करें और उन पर से स्टीकर हटा दें।
उन स्टिकर्स में कुछ मजहबी आयतें थीं, जैसा कि फैक्ट्री के मजदूर दावा कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार मैनेजर पर हमला इन स्टिकर्स की आड़ में किया गया। रिपोर्ट के अनुसार “जो मजदूर थे, वह मैनेजर द्वारा थोपे जा रहे कड़े अनुशासन से गुस्से में थे और कुछ लोगों को तो अनुशासनहीनता के आरोप में बाहर भी निकाल दिया था।
कहा जा सकता है कि जो दिख रहा है वह नहीं है!
फिर भी यह कैसा कानून है जो व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है।
अल्पसंख्यकों के विरुद्ध कारगर हथियार है
पाकिस्तान में इस ब्लेसफेमी का प्रयोग सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों के खिलाफ होता है। नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस की एक रिपोर्ट के अनुसार 1987 से 2018 के बीच मुसलमानों के खिलाफ 776, अहमदिया समुदाय के खिलाफ 505, ईसाइयों के खिलाफ 226 और हिंदुओं के खिलाफ 30 ब्लेसफेमी के मामले आए थे। इनमें से किसी को भी कानून से सजा नहीं मिली है, मगर उसके बाद भी कोर्ट से बाहर ही बाहर अब तक 78 लोगों की हत्या की जा चुकी है।
हालांकि ब्लेसफेमी के अधिकाँश मामले फर्जी या कहें झूठे होते हैं, किसी को फंसाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, मगर फिर भी कट्टरपंथी माफ़ नहीं करते, जिसे हाल ही में आठ साल के बच्चे पर दर्ज हुई शिकायत के परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।
रक्षामंत्री के बयान पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के रक्षामंत्री के इस बयान के आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के भीतर गुस्सा है और वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं।
यास्मीन नामक यूजर ने ताहिस नसीम का उदाहरण याद दिलाते हुए लिखा कि ताहिर नसीम की हत्या तो ब्लेसफेमी में कोर्ट के भीतर ही हो गयी थी, और भी कई मामले हैं, इसलिए बच्चों का बहाना देना बंद करें, यह अपराधी बच्चे नहीं हैं
एक यूजर नमिता लियंगे ने कहा कि “कैबिनेट की सामूहिक जिम्मेदारी” भी एक अवधारणा होती है। और हर मंत्रालय का हर व्यक्ति मंत्रालय ककी ओर से ही जनता से बात करता है। जब तक इस वक्तव्य को कैबिनेट वापस नहीं लेटा, तब तक इसे कैबिनेट की आवाज़ माना जाएगा
एक यूजर ने परवेज़ खटक के दो ट्वीट साझा करते हुए, उनके दोहरेपन को प्रकट किया, कि ट्वीट में क्या है और असलियत में क्या है:
लड़के हैं, बहक गए
स्पष्ट है कि लड़के हैं, बहक गए कहकर निकलना आसान नहीं है और अब जब यह मामला अंतर्राष्ट्रीय है तो ऐसे में तो यह कह कर बचा नहीं जा सकता है कि लड़के हैं, इस्लाम के नाम पर बहक गए! कई मामलों में देखा गया है कि ब्लेसफेमी कानून का प्रयोग व्यक्तिगत विद्वेष के लिए किया जाता है। पर ब्लेसफेमी अर्थात पैगम्बर की बुराई के नाम पर उन्हें हिंसा करने की या जिससे दुश्मनी है उसे मारने की छूट मिल जाती है। जैसा पिछले कई मामलों में देखा गया है!