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Friday, April 19, 2024

हिन्दुओं पर तो अत्याचार किए ही, पर सगे भाई दारा का सिर काटकर अब्बा को भेजा औरंगजेब ने और फिर दारा की हिन्दू पत्नी को लाना चाहा हरम में! एक कहानी यह भी है!

इन दिनों पूरी दुनिया सहित उस भारत में भी औरंगजेब को प्यार का मसीहा बनाने का अभियान चल रहा है, जिस भूमि पर उसने असंख्य अत्याचार किए। मंदिर तोड़े, लोगों को मरवाया और गैर मुस्लिमों पर जजिया कर लगाया था। हम कुछ दिनों से पढ़ रहे हैं कि औरंगजेब ने आर्थिक कारणों से जजिया लगाया था। खैर यदुनाथ सरकार हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब-वोल्यूम III में इस सम्बन्ध में औरंगजेब दरबार के इतिहासकार के अभिलेखों के हवाले से लिखते हैं कि औरंगजेब ने 2 अप्रेल 1679 को जजिया दोबारा लागू करने का निर्णय लिया था, उसका कारण था कि “इस्लाम का विस्तार हो और काफिरों की पूजापाठ बंद हो जाए” और आईएएस बनाने वाली कुछ कोचिंग संस्थाएं क्या पढ़ा रही हैं कि

“जजिया आर्थिक कारणों से लगाया गया था” और एतिहासिक रिकार्ड्स क्या कहते हैं कि जजिया विशुद्ध मजहबी आधार पर लगाया गया था!

हिन्दुओं से उसकी घृणा किस हद तक थी वह उसकी जजिया को कठोरता से लागू करने से दिखाई देती है। उसने हिन्दुओं पर इतना अधिक जजिया कर लगाया कि लोगों की कमर टूट गयी और जब उससे कुछ लोगों ने कुछ उदारता दिखाने का अनुरोध किया तो उसने कहा कि “हर कर को माफ़ किया जा सकता है, मगर यदि तुम किसी भी आदमी का जजिया माफ़ करने का फैसला करते हो, जो मैंने बहुत ही मुश्किल से काफिरों पर लगाया है तो यह एक नापाक बदलाव (बिदत) होगा और इससे कर इकट्ठा करने का पूरा तंत्र ही बेकार हो जाएगा!”

फिर वह कहते हैं कि जब जजिया के कारण दक्कन में हिन्दू व्यापारी मुग़ल सीमा से बाहर चले गए और उसके सैनिकों के पास खाने के लिए अन्न नहीं बचा तो उसने अपने वजीर के इस प्रस्ताव पर प्रश्न उठाया कि क्या करों को कुछ समय के लिए टाल दिया जाना चाहिए, परन्तु जो दस्तावेज़ प्राप्त होते हैं, उनके अनुसार यदि राहत दी भी गयी थी तो वह अस्थाई थी और केवल युद्ध को ध्यान में रखकर ही यह निर्णय लिया गया था।

उसका मानना था कि उसके सैनिक भूखे रह सकते हैं, परन्तु क्या वह काफिरों से जजिया लेने की कुरानी अवधारणा के उल्लंघन से अपनी रूह को पापी बना सकता है?”

तो जो भी यह पढ़ाते हैं कि यह धार्मिक नहीं आर्थिक था, उन्हें एक बार समग्र अध्ययन किया जाना चाहिए।

उसने अपने तीनों भाइयों का खून किया था, उसने अपने अब्बा को मानसिक प्रताड़ना के बाद ही मारा था। यह सभी जानते हैं कि उसने अपने भाई का सिर दारा का सिर काटकर अपने अब्बा के पास भेजा था। और अपने अब्बा को पूरे सात साल तक कैद रखा था।

शिवाजी द ग्रांड रेबेल में डेनिस किनकैड इस बात का बहुत ही रोचक वर्णन करते हैं कि आखिर क्या हुआ था। औरंगजेब ने किस तरह से अपने अब्बा को तड़पा कर मारा था। वह लिखते हैं कि औरंगजेब अपने अब्बा को धीमे धीमे मारने के लिए कई तरह के जतन करता था! वह उस बुर्ज के बाहर खूब ढोल बजाता, हर प्रकार के युद्ध अभ्यास उसी बुर्ज के बाहर किये जाते, जिससे शाहजहाँ और परेशान हो!

वह अपने अब्बा को प्यासा रखता, और कभी कभी शाहजहाँ के पास हुस्न और शराब दोनों ही भेज दी जाती! कभी भोजन दिया जाता तो कभी नहीं! और यहाँ तक कि उसे जहर भी दिया गया था, परन्तु शाहजहाँ नहीं मरा था। जो दरबार की अफवाहें थीं उसके अनुसार शाहजहाँ की मौत अपनी यौन शर्मिंदगी के कारण हुई थी! एक दिन जब वह आईने के सामने खड़े होकर अपनी मूंछों पर कंघी कर रहा था तो उसने दो ऐसी कनीजों को अपनी यौन मुद्राओं की नक़ल बनाते हुए देखा, और उसने देखा कि कैसे वह लोग उसकी शारीरिक कमजोरी का मजाक उड़ा रही हैं, और शर्मिन्दगी के कारण उसने कामोत्तेजक दवाइयां खा लीं, जिसके कारण वह एक लम्बी बेहोशी में चला गया। और मनुक्की के अनुसार “उसे किसी सेव की भी खुशबू नहीं आई और उसे कभी चेतना नहीं आई!”

भाई दारा का सिर काटने के बाद उसने दारा की हिन्दू पत्नी राना-ए-दिल को अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की थी

दारा से औरंगजेब को बहुत नफरत थी। शाहजहाँ से भी उसकी नफरत इसीलिए अधिक थी क्योंकि वह दारा से बहुत प्यार करता था। मरे हुए राजकुमार का अपमान करने के लिए औरंगजेब ने उसकी हिन्दू पत्नी राना-दिल को अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की। राना-दिल हिन्दू दरबारी थीं, और दारा इस हद तक उससे प्यार करता था कि उसने उससे शादी कर ली थी। और जब औरंगजेब ने उसे अपने हरम में बुलाया तो राना-दिल ने उसके पास यह संदेसा भेजा कि “वह जिस सुन्दरता पर फ़िदा हुआ है, वह उसे कभी नहीं मिलेगी, क्योंकि वह अब है ही नहीं!”

और फिर उसने खंजर लेकर अपने चेहरे को लहूलुहान कर लिया और चेहरा बर्बाद कर दिया।

बाप को तड़पा तड़पा कर मारने वाले, दारा, मुराद और शुजा अपने तीनों भाइयों को बहुत ही निर्दयता से मारने वाले, हिन्दुओं पर जजिया लगाने वाले और मंदिरों को गिराने सहित हिन्दुओं पर असंख्य अत्याचार करने वाले औरंगजेब के विषय में यह कहा जा रहा है कि “क्या वह वास्तव में हिन्दू विरोधी था?”

प्रश्न यह होना चाहिए “क्या वह इंसान भी कहलाने लायक था?” परन्तु फेमिनिस्ट मादाओं का पहला इश्क बना हुआ है खूनी और क्रूर औरंगजेब!  

*pictures in featured image are taken from internet

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