असम में इन दिनों मदरसों पर बुलडोज़र चलाया जा रहा है। पिछले दिनों असम सरकार द्वारा एक जांच अभियान चलाये जाने के पश्चात कई मदरसों के आतंकी संगठनों से सम्बन्ध सामने आने के बाद उनके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जोरों पर है। इसी बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा दिल्ली आये और मीडिया से बात करते हुए उन्होंने एक वक्तव्य दिया है, जो छद्म सेकुलरों और कट्टर इस्लामिक तत्वों के लिए कर्णभेदी होगा।
मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा का कहना है कि जिन मदरसों को गिराया गया है, वे शिक्षा केंद्र नहीं थे, बल्कि आतंकियों के ठिकाने थे। वहां बच्चों का भविष्य नहीं बनाया जा रहा था, बल्कि वहां आतंकी संगठनों से जुड़े कट्टर लोग शिक्षक बनकर बच्चों को उनके रास्ते से भटकाने और उनको अपने साथ जोड़ने के काम में लगे थे।
मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने दिल्ली में मीडिया से कहा, “सभी ध्वस्त मदरसे मदरसे नहीं बल्कि अल कायदा के दफ्तर थे। हमने 2-3 को गिराया और अब जनता बाकी को गिराने आ रही है। मुस्लिम समुदाय यह कहकर ध्वस्त करने आ रहा है कि उन्हें ऐसा मदरसा नहीं चाहिए, जहां अल कायदा का काम हो, इससे मदरसे का चरित्र बदल जाता है।”
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कुछ ही दिनों पहले असम के बंगाईगांव के कबाईटरी पार्ट- IV गांव में स्थित मरकजुल-मा-आरिफ-क्वारियाना मदरसे को बुलडोजर से गिरवा दिया था। सरकारी सूत्रों के अनुसार इस मदरसा परिसर में आतंकी गतिविधियां चलने की कई शिकायतें मिली थीं, और इसका संबध अलकायदा से था। पिछले 26 अगस्त को असम पुलिस ने एक्यूआईएस और अंसार उल बांग्ला टीम के आतंकवादी हफीजुर रहमान को गिरफ्तार किया था। इससे पहले असम के बारपेटा जिले में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के दो बांग्लादेशी आतंकवादियों को संरक्षण देने वाले एक मदरसे को जिला प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया था।
अब जनता स्वयं ध्वस्त कर रही है कट्टर इस्लामिक मदरसों को
पिछले मंगलवार, 6 सितम्बर को असम के गोलपारा जिले में में एक मदरसे को स्थानीय लोगों ने जाकर ढहा दिया। जिले के एसपी वीवी राकेश रेड्डी के अनुसार, “स्थानीय लोगों ने स्वयं इस मदरसे को ध्वस्त करने की पहल की, इसमें सरकार का कोई योगदान नहीं था। स्थानीय लोग इस बात से क्रुद्ध थे कि मदरसे से एक जिहादी को पकड़ा गया, जो वहां बच्चों को गलत शिक्षा दे रहा था, उन्हें कट्टर इस्लामिक सीख दे रहा था।। इससे यह साबित हो गया है स्थानीय लोग अब इस तरह की जिहादी गतिविधियों का समर्थन नहीं करते हैं।”
हेमंत बिस्व सरमा ने केजरीवाल और सिसोदिया को असम आने का न्यौता दिया
पिछले कुछ समय से असम के मुख्यमंत्री सरमा और दिल्ली की सरकार के बीच विभिन्न विषयों पर बहस हो रही है। जहां एक तरफ सरमा दिल्ली के शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल के बारे में बोले गए झूठ को उजागर कर रहे हैं, वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री सिसोदिया असम के शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को लचर बता रहे हैं।
इसी विषय पर बात करते हुए जब पत्रकार ने मुख्यमंत्री सरमा से पूछा कि क्या वह दिल्ली क्यों आये हैं? क्या वह दिल्ली सरकार का स्कूल मॉडल या मोहल्ला क्लिनिक मॉडल देखने आये हैं। इसका उत्तर देते हुए सरमा ने कहा कि केजरीवाल एक नगर निगम के मुखिया हैं, और वह मोहल्ला क्लिनिक बना रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री मोदी एम्स बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर 2022 में हमारे देश की राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था का स्तर मोहल्ला क्लिनिक होगा, तो यह देश के लिए अपमान की बात होगी। उन्होंने कहा कि असम के लिया अगर यह बात होती तो ठीक था, लेकिन दिल्ली जो दुनिया के पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश की राजधानी है, उसके लिए मोहल्ला क्लिनिक स्तरहीन व्यवस्था है।
पत्रकार ने उनसे पूछा कि आप दिल्ली के मुख्यमंत्री को असम आने के लिए क्यों नहीं बुला रहे हैं। इस पर हेमंत बिस्व सरमा ने जवाब दिया कि उन्होंने केजरीवाल को असम आने का न्यौता दिया है, वहीं उपमुख़्यमंत्री मनीष सिसोदिया को तो बायदा कानूनी नोटिस भेजा है। आपको ज्ञात होगा कि मनीष सिसोदिया ने हेमंत बिस्व सरमा की पत्नी पर कोरोना के समय दवाई खरीद में घोटाला करने का आरोप लगाया था। उसके विरोध में सरमा दंपत्ति ने उन पर मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था, और मनीष सिसोदिया को असम उच्च न्यायालय में प्रस्तुत होने का नोटिस दिया जा चुका है।