अभी हाल ही में अनवर के हाथों आराधना की प्रताड़ना और आत्महत्या की कहानी हम सभी ने पढी, परन्तु उससे कुछेक दिन पहले उत्तर प्रदेश में ही मऊ में ऐसी ही एक और घटना घटी, जिसमें विधवा चंदा सिंह की दोस्ती सोशल मीडिया पर गुड्डू राजपूत उर्फ़ आरिफ से हुई और वह अपनी सारी संपत्ति आदि बेचकर उसके साथ कौशाम्बी आ गयी।
चंदा सिंह के पति का निधन सात वर्ष पहले बीमारी से हो गया था। यह भी बहुत हैरानी वाली बात है कि चंदा सिंह जिसकी दो बेटियाँ थीं, वह किसी जाल में फंसकर लिव इन में चली गयी! कैसे कोई महिला जिसकी अपनी ही दो बेटियाँ हों, वह बिना जाँच पड़ताल किए किसी भी अनजान के साथ लिव इन में रह सकती है।
मगर न जाने क्यों महिलाओं को यह बात समझ नहीं आ पा रही है कि लिव इन का परिणाम क्या होगा? लिव इन के चलते महिलाओं की हत्या या आत्महत्या के मामले लगातार आ रहे हैं। निक्की यादव का मामला हालांकि आर्यसमाज में शादी का था, परन्तु उसे भी शादी के रूप में कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है।
चंदा सिंह के दिवंगत पति की वह सम्पत्ति जो उसकी बेटियों के लिए थी, वह बेचकर वह गुड्डू उर्फ़ आरिफ के साथ लिव इन में रहने के लिए चली आई। गुड्डू उर्फ़ आरिफ 108 सेवा में एम्बुलेंस चालाक का कार्य करता है।
आरिफ ने चंदा को व्यापार करने का लालच दिया और फिर चंदा ने इसी जाल में फंसकर अपनी सारी संपत्ति बेच दी, जिसकी कुल कीमत एक करोड़ थी। और फिर वह अपनी दोनों बेटियों के साथ कौशाम्बी आ गयी। उसने वहीं पर जमीन खरीदकर मकान बनवाना शुरू कर दिया। और वह वहीं पर किराए पर मकान लेकर रहती थी।
मगर उसे पता चल गया कि गुड्डू दरअसल आरिफ है और फिर उस पर मजहबीकरण का दबाव डाला जाने लगा। वह उसे अपने गाँव मीरदहन का पूरा ले गया और वहां पर 100 के करीब लोगों ने चंदा पर मजहबीकरण का दबाव डाला। और जब उसने इंकार किया तो उसकी उन लोगों ने बहुत पिटाई की।
मीडिया के अनुसार चंदा की बेटियों ने कहा कि 11 फरवरी को आरिफ ने उनकी माँ से बात कराई और फिर कहा कि चंदा की तबियत खराब है और वह इलाज के लिए ले जा रहा है, कुछ ही देर बाद उसकी मौत की सूचना आई और फिर मंगलवार की रात को लगभग आठ बजे उसकी लाश को घर पर छोड़कर भाग गया।
इस मामले में पुलिस सक्रिय हुई और पुलिस ने उसकी तलाश में टीमें लगाईं और फिर उसे पकड़ लिया गया। कौशाम्बी पुलिस द्वारा दी गयी वीडियो बाईट में यह पता चल रहा है कि आरिफ जो अपनी लिव इन साथी को छोड़कर भाग गया था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। इतना ही नहीं जब आरिफ को पकड़ने के लिए पुलिस पहुँची तो उसने पुलिस पर भी गोली चलाई।
जब पुलिस ने इसका विरोध करते हुए गोली चलाई तो उसके पैर में गोली लगी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
आरिफ को जो सजा मिलेगी वह मिलेगी, परन्तु कथित रहने की आजादी वाला सिद्धांत या लिव इन वाली बात कितनी ही बच्चियों के सिर से उनके मातापिता का साया छीनती जा रही है, विमर्श इस बात पर होना ही चाहिए।
विधवा विवाह अब इस समाज में टैबू नहीं है और कई लोग हैं जो विधवाओं के साथ विवाह करने के लिए तैयार हो जाते हैं, फिर ऐसे में बिना शादी के लिव इन में रहना और वह भी अपनी सारी संपत्ति को बेचकर, यह हैरान करने वाला मामला है।
ऐसे में बार-बार यह प्रश्न उठता है और उठना ही चाहिए कि अंतत: लिव इन को ग्लैमराइज़ और उसका सामान्यीकरण करके लाभ किसे हो रहा है? विधवा महिलाओं के लिए विवाह के स्थान पर मात्र दैहिक संतुष्टि के लिए लिव इन को सामान्य बताने से विधवा महिलाओं को किस प्रकार अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है, इस पर बात होनी ही चाहिए!
चंदा जैसी महिलाएं जो क्षणिक लाभ या क्षणिक सुख के लिए अपनी बेटियों का सारा भविष्य दांव पर लगा देती हैं, तो ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि उनके मस्तिष्क एवं उनकी सोच को इस सीमा तक खतरे के बोध से रिक्त कौन कर देता है कि वह परिवार से कहीं अधिक बढ़कर अनजान आदमियों के साथ चली जाती हैं और वह भी अपनी बेटियों के साथ?
समय आ गया है कि लिव-इन और कथित रहने और प्यार करने की आजादी पर बात हो, लगातार बात हो, बात हो कि कैसे आराधना और चंदा जैसी महिलाएं जिहादियों के जाल में फंसकर सब कुछ गँवा बैठती हैं और बात इस पर भी हो अंतत: वह कौन से कारक हैं, जो इस खतरे के प्रति आकर्षण उत्पन्न कर रहे हैं!
समझना तो होगा ही, नहीं तो चंदा, आराधना आदि महिलाएं असमय अपने प्राण गंवाती रहेंगी!