उदारवादियों की दृष्टि में गांधीवादी “यासीन मलिक” जिसने कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या की थी और जिस पर आतंकियों की फंडिंग का आरोप ही नहीं है, बल्कि उसे आतंकियों की फंडिंग को लेकर दोषी ठहराया गया था, उसे अब दिल्ली के एक न्यायालय द्वारा उम्र कैद की सजा सुनाई गयी है। यह सजा हालांकि स्वयं में बहुत ही हैरान करने योग्य है क्योंकि जनता मृत्यु दंड की अपेक्षा कर रही थी। हालांकि उसने अपने आप ही कश्मीरी हिन्दुओं की हत्याओं को स्वीकार किया था
यासीन मलिक के अपराध हैं ही उस श्रेणी के कि जिसमें मृत्यु दंड ही पर्याप्त है। यदि आतंकी फंडिंग के लिए भी उम्रकैद है, तो यह भी तो पता होगा कि आतंकियों की फंडिंग का परिणाम निर्दोष कश्मीरी पंडितों की ह्त्या ही थी। फिर भी उम्र कैद की ही सजा दी गयी। सोशल मीडिया पर लोग अब कह रहे हैं कि यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा, जिसने स्क्वैड्रन लीडर रवि खन्ना की हत्या की थी।
वहीं इससे पहले पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी शाहिद आफरीदी ने यासीन मलिक के पक्ष में ट्वीट करते हुए कहा था कि भारत लगातार ही अपने विरोधियों की आवाज को चुप करा रहा है, जो बहुत खतरनाक है। यासीन मलिक के खिलाफ लगाए गए झूठे आरोप कश्मीर की आजादी की लड़ाई की आवाज को शांत नहीं कर सकते। मैं यूएन केनेताओं से अनुरोध करता हूँ कि वह कश्मीर के नेताओं के खिलाफ भेदभाव परक एवं गैर कानूनी कार्यों का संज्ञान लें।
इस बात के उत्तर में शाहिद आफरीदी को कई लोगों ने यासीन मलिक के किए गए अपराधों की सूची ट्वीट की। और एक ने ट्वीट किया कि भारत के तत्कालीन गृह मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबीना सईद को आतंकवादियों को रिलीज कराने के लिए किडनैप कर लिया था। और इतना ही नहीं उसने कश्मीर घाटी में असंख्य कश्मीरी पंडितों की हत्या की थी
वहीं शाहिद अफरीदी का उत्तर देते हुए क्रिकेटर अमित मिश्रा ने ट्वीट किया कि प्रिय शाहिद अफरीदी, उसने खुद ही न्यायालय में ऑन रिकॉर्ड अपराध स्वीकार किया है, हर कोई आपकी जन्मतिथि की तरह भ्रामक नहीं होता:
अमित मिश्रा पहले भी अपनी हाजिर जबावी के कारण चर्चा में आए थे, जब उन्होंने इरफ़ान पठान के झूठे नैरेटिव का उत्तर दिया था। पाठकों को ज्ञात होगा कि क्रिकेटर इरफान पठान निजी जीवन में बहुत ही कट्टर मुस्लिम हैं और अपनी बीवी को परदे में रखते हैं। और समय समय पर भारत के विषय में भी अपनी कट्टरपंथी सोच का प्रदर्शन करते रहते हैं। उन्होंने 22 अप्रेल को ट्वीट किया कि
मेरे सुन्दर देश में महान देश होने की संभावना है, परन्तु?
इस पर अमित मिश्रा ने ट्वीट किया था कि मेरा देश, मेरा खूबसूरत देश, पृथ्वी पर सबसे महान देश बनने की क्षमता रखता है, मगर तभी जब कुछ लोगों को यह एहसास हो कि संविधान का ही पालन किया जाए!
हालांकि इस बात पर बहुत विवाद हुआ था और आज की ही भांति अमित मिश्रा की सोशल मीडिया पर लोगों ने बहुत वाहवाही की थी।
यह बात ठीक है कि अमित मिश्रा ने जबाव दिया, या फिर सोशल मीडिया पर इन लोगों को उचित जबाव मिलता है, समस्या और प्रश्न यह है कि आखिर ऐसी सोच, ऐसी अलगाव वादी सोच आती कहाँ से है और साथ ही शाहिद आफरीदी तो चलिए पाकिस्तान का है, परन्तु शाहिद अफरीदी जैसी सोच वाले भारत में भी कई है, जैसा कि कश्मीर फाइल्स में भी दिखाया गया था कि कैसे आतंकियों की फंडिंग करने वाले और आतंकियों का समर्थन करने वाले खुले घूम ही नहीं रहे हैं, बल्कि उनके पास एक बड़े वर्ग का समर्थन भी है।
यही कारण है कि कश्मीर फाइल्स का विरोध भी इन्हीं लोगों ने सबसे अधिक किया था। अब जब यासीन मलिक को सजा सुनाई जा चुकी है तो क्या वह लोग, जिनसे मिलने वह दिल्ली आया करता था, उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ भी उसकी तस्वीर है, देश की जनता से क्षमा मांगेगे?
क्या वह मीडिया पोर्टल्स जो यासीन मलिक को गांधीवादी ठहराते थे, वह देश की जनता से क्षमा मांगेगे कि उन्होंने आखिर यह क्या किया था? क्या पाकिस्तान का झूठ यहाँ फैलाने के लिए और कश्मीरी पंडितों की ह्त्या करने वालों के प्रति आम जनता में झूठ और सहानुभूति पैदा करने के लिए क्षमा मांगेगे?
क्या उन सभी लोगों पर भी कानूनी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए, जो एक दुर्दांत आतंकवादी को गांधीवादी ठहराने का कुकृत्य कर रहे थे? आज की इस सजा के साथ के प्रश्न उत्पन्न हो रहे हैं, परन्तु समस्या यही है कि उत्तर किसी के पास नहीं है! क्योंकि कथित बुद्धिजीवी एवं कथित सेक्युलर राजनीति तो इस्लामी अलगाववाद को फैला ही रहे हैं!