भारत में कथित रूप से निष्पक्ष एक्टिविस्ट कहने वाली कई मुस्लिम एक्विटिस्ट और कोई नहीं बल्कि झूठ फैलाने वाली कट्टरपंथी मुस्लिम हैं, जिनका असली चेहरा अभी तक कला, संस्कृति, पत्रकार, या फिर रेडियो जॉकी आदि के चेहरे के नीचे दबा होता था।
परन्तु वर्ष 2014 के उपरान्त इन्होनें अपना वह खोल उतार कर फेंक दिया है और साथ ही नागरिकता संशोधन अधिनियम के समय से ही यह लोग खुलकर मैदान में आ गयी हैं, और अपनी कट्टरपंथी बात रखने के लिए वह झूठ का भी सहारा लेती हैं, और जब झूठ पकड़ा जाता है, तो ट्वीट तो डिलीट होता है, परन्तु झूठ फैलाने को लेकर कोई माफी आदि नहीं होती है। परन्तु एक बात समझ में नहीं आती है कि आखिर झूठी खबरों को प्रसारित करने की इतनी जल्दी क्यों होती है?
ताजा मामला है लखनऊ में नए खुले लूलू मॉल में पढी गयी नमाज का! जिसमें नमाज पढ़ी गयी और उसके बाद वहां पर हंगामा होने के बाद हनुमानचालीसा का भी पाठ किया गया। और उसके बाद लूलू मॉल का प्रबंधक भी यह कहने के लिए सामने आया कि मॉल में किसी भी प्रकार की मजहबी गतिविधियों की अनुमति नहीं है!
परन्तु इस शोर में एक बार फिर से झूठ फैलाने वाली और हिन्दुओं को अपमानित करने वाली लॉबी सक्रिय हुई और पकड़ी गयी। मॉल में हनुमान चालीसा पढने वाले लड़कों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और उनके नाम जारी किए गए। जो थे सरोज, कृष्ण एवं गौरव!
मगर जैसे ही यह नाम मीडिया में आए वैसे ही इन नामों के आधार पर हिन्दुओं को बदनाम करने वाली लौबी सक्रिय हुई और उसने तुरंत ही यह कहते हुए ट्वीट करने आरम्भ कर दिए कि हिन्दुओं ने ही यह सब किया था। उन्हें मुसलमानों को बदनाम करना था आदि आदि!
साइमा और आरफा जैसे लोग इसलिए खतरनाक हैं क्योंकि वर्ष 2014 से पहले लोग इन्हें पत्रकार या रेडियो जॉकी के रूप में जानते थे। साइमा की आवाज के लोग दीवाने थे। उसके कार्यक्रम की लोग प्रतीक्षा करते थे। जब लोग उनकी आवाज को सराहते थे, तो ऐसा नहीं था कि उसमें हिन्दू उस मखमली आवाज के दीवाने नहीं रहे होंगे? वह थे, परन्तु साइमा ने भी अपने मन की सरकार न आने पर गुस्सा आम हिन्दुओं पर निकाला,
और वह सीएए आन्दोलन के दौरान पुलिस के खिलाफ भी लोगों को इकट्ठा करने के लिए उकसाती हुई पाई गयी थीं। वही साइमा जो दीपावली पर महंगाई के बहाने हिन्दू त्योहारों का उपहास उड़ाती पाई गयी थीं, और वही साइमा जिसे नुपुर शर्मा के खिलाफ “सिर तन से जुदा” के नारे में कुछ गलत नहीं दिखा था, उसी साइमा ने एक बार फिर से झूठ फैलाया। इस विषय में वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने लिखा कि
पुरानी जींस और फटी जींस दोनो फिर एक बार फेक न्यूज फैलाते हुए पकड़ी गईं।
आरफा खानम तो रह रहकर जहर उगलती ही रहती हैं, तो उसमें कोई विशेष बात नहीं है। जब इन हिन्दू युवकों के नाम नमाज पढने वालों के रूप में प्रचारित होने लगे तो उत्तर प्रदेश पुलिस ने खंडन करते हुए लिखा कि “यह सभी भ्रामक हैं, इन्हें साझा न किया जाए!”
परन्तु ऐसा नहीं था कि यह सिलसिला यही पर रुका था। यह सिलसिला तो अभी और आगे जाना था। इसमें अभी रोहिणी सिंह और तहसीन पूनावाला को भी कूदना था।
रोहिणी सिंह ने लिखा कि ऐसा लग रहा है कि लूलू मॉल में आने वाले लोग सामाजिक रूप से अशांति पैदा करने आए थे।
देखते ही देखते ऐसा लगा जैसे कि इस पूरी लॉबी के हाथ में सोने की खान लग गयी है और हिन्दुओं को गाली देने के लिए यह सब सक्रिय हो गईं। यहाँ तक कि झूठी खबरों की चैम्पियन राना अयूब ने भी झूठी खबर को रीट्वीट किया, इस पर लोगों ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस को कदम उठाने चाहिए:
एक यूजर ने अलका लाम्बा के ट्वीट का स्क्रीन शॉट साझा किया, क्योंकि वह भी अलका लाम्बा द्वारा डिलीट किया जा चुका था।
और आज जब ‘नमाज” घटना के आरोपी पकडे गए हैं, और उत्तरप्रदेश पुलिस ने उनके नाम भी बता दिए हैं। वह हैं:
रिहान, नोमान, लुकमान और आतिफ!
वहीं अब इस बात को लेकर लोग मांग कर रहे हैं, कि झूठी और भड़काऊ ख़बरें फैलाने वाले लोगों पर अब कार्यवाही की जानी चाहिए। नावीद ने ट्वीट किया कि
उत्तरप्रदेश पुलिस को रोहिणी सिंह जैसे लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करना चाहिए जो सस्ते मोबाइल डेटा के कारण मनमर्जी की बकैती करते रहते हैं, और कितना ज़हर फैलाएंगे ये लोग?
झूठ फैलाने की इतनी जल्दी इस पूरी की पूरी ब्रिगेड को होती है कि वह भड़काने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी से घृणा करते-करते वह आम हिन्दू, आम शांतिप्रिय हिन्दू, हिन्दू धर्म, हिन्दू धर्म के आराध्यों के इतने बड़े शत्रु बन गए हैं, कि कांवड़ को भी हेय बताती हैं, जैसा आज एक कांग्रेस की एक नेता ने किया, परन्तु फिर बाद में डिलीट कर दिया।
ऋतु चौधरी नामक कांग्रेसी नेता ने लिखा था कि “किताबें उठाइये, कांवड़ उठाने की जरूरत नहीं होगी!”
इस बात को लेकर भी लोगों में आक्रोश उत्पन्न हुआ था और लोगों ने विरोध किया
यह बार बार स्पष्ट होता है कि विपक्ष एवं वामपंथी, इस्लामी लॉबी हिन्दुओं के विरुद्ध एकदम से सक्रिय हो जाती है, फिर मामला कुछ भी हो, भारतीय जनता पार्टी को जब यह लोग चुनावों में नहीं परास्त कर पाए क्योंकि देश का एक बड़ा बहुसंख्यक वर्ग भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में है, तो अब वह हिन्दुओं को ही नीचा दिखाते हैं, हाँ उसके नाम अलग हो सकते हैं, जैसे संघ, संघी, ब्राह्मण, ब्राह्मणवादी, मनुवादी आदि आदि! परन्तु उनका निशाना धर्मनिष्ठ हिन्दू ही हैं।