राजनीती के कुछ अघोषित नियम होते हैं, जिनमे से एक होता है अनावश्यक तरीके से अपने राजनीतिक विरोधियो का उत्पीड़न न करना। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल एक अलग तरह की राजनीति का वचन दे कर आये थे, लेकिन उनकी राजनीति केंद्र सरकार से हर विषय पर द्वन्द करने पर ही केंद्रित हो गयी थी। दिल्ली चूंकि एक केंद्र शासित प्रदेश है, केजरीवाल के पास कानून व्यवस्था और दिल्ली पुलिस पर अधिकार नहीं है, और इस बात को लेकर उन्होंने कई बार अपनी निराशा व्यक्त भी की है।
पिछले दिनों पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में आ गयी, ये एक ऐसी स्थिति थी जैसे बन्दर के हाथ में उस्तरा आ गया हो। पहले ही दिन से ये आशंका थी कि अब केजरीवाल पुलिस का दुरूपयोग अपने राजनीतिक विरोधियो के विरुद्ध करेंगे, और पहले ही महीने में आम आदमी पार्टी ने भाजपा के नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा, नवीन जिंदल, कांग्रेस नेत्री अलका लाम्बा और कवि कुमार विश्वास के विरुद्ध कई तरह के केस दायर करवा दिए।
तजिंदर पाल सिंह बग्गा के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए पंजाब सरकार ने एक विशेष जांच दल (SIT) भी गठित की, जिसका एक ही उद्देश्य था, येन केन प्रकारेण बग्गा को बंदी बनाना। हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने बग्गा को अभिरक्षा में लेने पर रोक लगा दी थी, परन्तु कल केजरीवाल और भगवंत मान की पंजाब पुलिस ने तमाम विधिक परम्पराओ का उल्लंघन करते हुए तजिंदर पाल सिंह बग्गा के घर जा कर उन्हें हिरासत में ले लिया था।
जैसे ही यह समाचार आया, जनता और राजनीतिक लोगो ने इस पर आक्रामक प्रतिक्रिया देनी आरम्भ कर दिया। सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनल परचर्चा आरम्भ हो गयी और केजरीवाल के निर्देशन में पंजाब पुलिस द्वारा की गयी इस असंवैधानिक कार्यवाही की कुछ राजनीतिक तत्वों को छोड़ कर सभी ने कड़ी भर्त्सना की।
पंजाब पुलिस ने बग्गा का ‘अपहरण’ किया और उनके परिवार के साथ दुर्व्यवहार किया
ऐसा बताया जा रहा है कि पंजाब पुलिस कि टीम 6 मई को सुबह सुबह बग्गा के घर पर पहुंच गयी । सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो के अनुसार पंजाब पुलिस के लगभग 50 जवान इस कार्यवाही में सम्मिलित थे। ऐसा कहा जा रहा है कि पंजाब पुलिस ने विधिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया, बग्गा को उन पर लगे हुई धाराओं के बाए में जानकारी नहीं दी गयी।
तजिंदर बग्गा के पिता ने दिल्ली पुलिस को संपर्क किया और इस मामले प्रथम सूचना रिपोर्ट भी प्रविष्ट करा दी। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब पुलिस के कई जवान आये और उनके पुत्र का अपहरण करके ले गए हैं, इस मामले में उन्होंने दिल्ली पुलिस से अग्रिम कार्यवाही करने का निवेदन भी किया।
तजिंदर बग्गा के पिता ने कहा कि “सुबह पुलिस वाले मेरे घर आए, मुझे घूंसा मारा, मेरे बेटे की पिटाई की और उसे अभिरक्षा में ले लिया. मैंने तब दिल्ली पुलिस को फोन किया था. मैंने उनके विरुद्ध प्राथमिकी करा दी है। मैंने अपने बेटे से बात नहीं की है लेकिन मुझे बताया गया है कि वह हरियाणा पुलिस के साथ है।”.
हरियाणा पुलिस तुरंत कार्यवाही कर पंजाब पुलिस को रोका
पंजाब ले जाते समय दिल्ली चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर हरियाणा पुलिस ने पंजाब पुलिस के दल को पीपली के पास रोक लिया। इसके बाद पंजाब पुलिस के साथ-साथ तजिंदर पाल सिंह बग्गा को थाने ले जाया गया। इसी बीच दिल्ली पुलिस का एक विशेष दल भी वहां पंहुचा, और घंटो की बातचीत के बाद पंजाब पुलिस ने तजिंदर बग्गा को छोड़ दिया।
तजिंदर बग्गा को हरियाणा पुलिस ने दिल्ली पुलिस को हस्तांतरित कर दिया था. हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज इस विषय पर पहले ही कहा था कि बग्गा को पंजाब नहीं दिल्ली पुलिस को ही हस्तांतरित किया जाएगा। दिल्ली पुलिस के विशेष दल के अधिकारियों ने बग्गा को अपनी अभिरक्षा में लिया और दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गए।
इसी बीच, पंजाब पुलिस कुरुक्षेत्र पुलिस के कथित बुरे व्यवहार के विरोध में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंची। हाई कोर्ट ने मामले पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। वहीं हरियाणा पुलिस ने कहा कि उसने पंजाब पुलिस के दल को इसलिए रोका क्यूंकि दिल्ली पुलिस के सन्देशानुसार बग्गा का असंवैधानिक रूप से अपहरण करके ले जाया जा रहा था। हरियाणा सरकार इस मामले पर कल अपना जवाब देगी। वहीं, उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार की उस मांग को रद्द कर दिया है, जिसमें कहा गया कि मामले की सुनवाई तक बग्गा को हरियाणा पुलिस के पास ही रखा जाए, दिल्ली नहीं भेजा जाए।
बग्गा गिरफ्तारी विषय पर आम आदमी पार्टी और पंजाब पुलिस का जबरदस्त विरोध
दिल्ली पुलिस अपने साथ पंजाब पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को ले आयी और पहले उनसे जनकपुरी थाने में पूछताछ की, बाद में उन्हें द्वारका न्यायालय में प्रस्तुत किया । द्वारका कोर्ट पहुंचते ही पंजाब पुलिस के डीएसपी केएस संधू को भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा.
पंजाब पुलिस के अधिकारी कह रहे हैं किउन्होंने तजिंदर बग्गा के मामले प्रक्रिया का पालन किया, लेकिन उनकी बातों से साफ़ लग रहा है कि उन्होंने एक बड़ी गलती कर दी है। बग्गा की गिरफ्तारी के विरोध में देश भर में भाजपा युवा मोर्चा के सदस्यों ने केजरीवाल का पुतला फूंका और विरोध प्रदर्शन किया । दिल्ली भाजपा कायकर्ताओं ने आम आदमी पार्टी के कार्यालय के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया।
क्या केजरीवाल, भगवंत मान और पंजाब पुलिस ने विधिक प्रक्रिया का उल्लंघन किया?
इस विषय में जो जानकारियां सामने आ रही हैं, उनसे ये साफ़ है कि पंजाब पुलिस ने अपने राजनीतिक नेतृत्व को खुश करने के लिए ये कार्यवाही की है। प्रथम दृष्टया ये दिख रहा है कि पंजाब सरकार ने विधिक शक्तियों का गलत उपयोग किया है, अपने राजनीतिक विरोधियों में मन में डर उत्पन्न करने के लिए।
अरविन्द केजरीवाल पहले भी कह चुके हैं कि “एक बार पुलिस उनके हाथ आ जाए, वो इन्हे सबक सिखाएंगे “। इस कार्यवाही से यही प्रतीत हो रहा है कि उन्होंने ये सोचा था कि किसी बड़े नेता पर कार्यवाही कर वो एक सन्देश देने में सफल होंगे, और आगे से कोई भी उनसे प्रश्न नहीं पूछेगा, उनके किये गए गलत कार्यो को उजागर नहीं करेगा, कुलमिलाकर ये विरोधियो का मनोबल तोड़ने का ये प्रयत्न था।
परन्तु आज जो घटनाक्रम हुआ है, उससे यही प्रतीत हो रहा है कि अरविन्द केजरीवाल और पंजाब सरकार का ये षड़यंत्र फलीभूत नहीं हो पाया। उल्टा इस घटनाक्रम से आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल का जनता ने उपहास ही उड़ाया है, इसके अतिरिक्त आज ही उच्च न्यायालय ने पंजाब पुलिस के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, वहीं कल इस मामले पर पंजाब पुलिस को न्यायालय द्वारा कड़ी फटकार लगने की पूरी सम्भावना है।
ऐसे में यही कहा जा सकता है कि अरविन्द केजरीवाल और पंजाब पुलिस ने इस कार्यवाही की वजह से दुत्कार ही मिलने वाली है। उन्होंने ना केवल न्यायालय की अवमानना की है, वहीं CRPC के अंतर्गत आने वाली कई धाराओं का उल्लंघन भी किया है । केजरीवाल और पंजाब पुलिस ने एक ऐसी परिपाटी का आरम्भ किया है, जिसमे उन्हें ही भविष्य में हानि उठानी पड़ेगी।