अयाेध्या। अखिल भारतीय मैथिलीरमण सेवा संस्थान द्वारा संचालित श्रीराम आश्रम अयाेध्या गुरुकुलम में 12 बच्चों का सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार किया गया। संस्कार से पूरा मंदिर प्रांगण भक्तिभाव में डूबा रहा। सामूहिक उपनयन संस्कार काे श्रीराम आश्रम रामकाेट के पीठाधीश्वर श्रीमहंत जयराम दास वेदांती महाराज ने अपना सानिध्य प्रदान किया। रविवार की सुबह सर्वप्रथम मंदिर में विराजमान भगवान मैथिलीरमण राम काे नया वस्त्र धारण कराकर दिव्य-भव्य श्रृंगार किया गया। उसके बाद उनकाे विविध पकवानाें का भाेग लगा। तदुपरांत वैदिक मंत्राेच्चारण संग पूजन-अर्चन कर मैथिलीरमण राम भगवान की आरती उतारी। फिर श्रीराम आश्रम अयाेध्या गुरुकुलम में अध्ययनरत एक दर्जन बटुक ब्राह्मणों का विधि-विधान एवं वैदिक रीति-रिवाज से सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार किया गया। जनेऊ धारण के उपरांत सभी बटुक ब्राह्मण बहुत ही खुश नजर आए। अंत में महंत डॉ. जयराम दास वेदांती महाराज ने जनेऊ धारण करने वाले बटुकाें काे बारी-बारी से मंत्र दीक्षा दिया। साथ ही साथ उन्हें दीक्षित भी किया। इस दाैरान बड़ी संख्या में बटुक ब्राह्मणों के परिवारीजन भी माैजूद रहे।
इस अवसर पर सिद्धपीठ श्रीरामाश्रम रामकाेट के पीठाधिपति श्रीमहंत डॉ. जयराम दास वेदांती महाराज ने बताया कि आश्रम में रहने वाले एक दर्जन बटुक ब्राह्मणों का वैदिक रीति-रिवाज से विधि-विधान पूर्वक यज्ञोपवीत संस्कार किया गया। सनातन धर्म में जनेऊ संस्कार बड़ा ही महत्व है। यह हिंदू धर्म के 16 प्रमुख संस्काराें में से एक है। जनेऊ का हमारे यहां विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इसे पहनने से बच्चे को ज्ञान प्राप्त होता है और वह जीवन भर नैतिक मूल्यों को बनाए रखता है। जहां तक उपनयन संस्कार की बात है। तो यह भी कहा गया है कि जनेऊ पहनने और इसके नियमों का पालन करने से बच्चों में अनुशासन का संचार भी होता है। व्यक्ति को यज्ञ करने का अधिकार प्राप्त हो जाना ही यज्ञोपवीत है। पदम् पुराण के अनुसार करोड़ों जन्म में किए हुए पाप यज्ञोपवीत धारण करने से नष्ट हो जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, आयु, बल, बुद्धि और संपत्ति की वृद्धि के लिए यज्ञोपवीत पहनना जरूरी है। इसे धारण करने से कर्तव्य का पालन करने की प्रेरणा मिलती है। उपनयन या यज्ञोपवीत संस्कार हिन्दुओं का एक प्रमुख संस्कार है। जो प्राचीन काल में बालक के गुरु या आचार्य के पास जाने का सूचक था। उपनयन का शाब्दिक अर्थ है- निकट लाना या पास ले जाना।
(यह प्राप्त प्रेस विज्ञप्ति है जो यहां प्रकाशित हुई है.)
