ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी तत्वों ने एक बार फिर से भारतीयों पर हमला किया है। खालिस्तानी वहां पर जनमत संग्रह कर रहे थे अर्थात भारत से पंजाब को अलग करने पर जनमत संग्रह अर्थात भारत का विरोध, परन्तु उनका विरोध जब किया गया तो उन्होंने तिरंगा लिए भारतीयों पर हमला कर दिया। अर्थात सिद्धांत यह कि वह तो भारत सरकार का विरोध कर सकते हैं, परन्तु उनका कोई विरोध नहीं कर सकता!
ऑस्ट्रेलिया हिन्दू मीडिया ने वीडियो साझा किया कि कैसे निहत्थे लोगों पर खालिस्तानी हमला कर रहे हैं:
यहाँ पर खालिस्तान के निर्माण के लिए खालिस्तानी सिखों की बेचैनी और बहादुरी देखी जा सकती है, मगर जब वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पीटे जाते हैं, मारे जाते हैं, तब उनकी कोई बहादुरी सामने नहीं आती है। जो कथित निहंग ऑस्ट्रेलिया, कनाडा में हिन्दुओं का और भारतीयों का विरोध करते हैं परन्तु जब अफगानिस्तान में सिखों के गुरूद्वारे पर हमला होता है, उस समय वह अपनी वीरता का प्रदर्शन करने नहीं जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में या फिर भारत में हिन्दुओं के विरुद्ध हमला करने के लिए इनके पास वीरता का अभाव नहीं है। एक और यूजर ने एक और वीडियो साझा करते हुए लिखा कि कैसे हिन्दुओं पर हमला किया गया।
हालांकि इस बात को लेकर भारत सरकार द्वारा पहले भी ऑस्ट्रेलिया को सचेत किया जा चुका था, जब हिन्दुओं के मंदिरों पर हमला किया गया था। विदेशी मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि ऑस्ट्रेलिया में हो रहे मंदिरों पर हमलों के विषय में वह चिंतित हैं। एवं दिसंबर में ही भारत सरकार द्वारा ऑस्ट्रेलिया सरकार को खालिस्तानी तत्वों के विषय में सावधान किया गया था।
परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत जैसे देश की अखंडता को चुनौती देने वाले तत्वों को कई देश प्रश्रय प्रदान कर रहे हैं, एवं इसके चलते आम भारतीय वहां पर ऐसे अवसर पर पीड़ित हो जाता है।
इस प्रदर्शन के विषय में भी ऑस्ट्रेलिया की पुलिस को पहले से पता था कि क्या हो सकता है, और इस कथित जनमत को लेकर हिंसा हो सकती है, जबकि वह स्वयं देख रही थी कि हाल ही में तीन हिन्दू मंदिरों पर हमला किया गया था, फिर भी वीडियो में देखा जा सकता है कि वह भी जैसे मूक दर्शक ही बनी रही और बाद में उन्होंने कदम उठाया और एक खालिस्तानी गुंडे को हिरासत में लिया।
पुलिस ने बाद में एक वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि खालिस्तानी जनमत के दौरान दो समूहों में झगड़ा हुआ और पुलिस ने तत्काल कदम उठाते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया एवं उन्हें दंगा फ़ैलाने वाले वाले व्यवहार के लिए दंडात्मक नोटिस जारी किया गया है, तो वहीं दो लोगों की मामूली चोट का उपचार किया गया।
खालिस्तानी तत्वों को इस प्रकार अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर प्रश्रय दिया जाना मात्र भारत के लिए ही नहीं, बल्कि जिस देश में ऐसे तत्व रह रहे हैं, उनके नागरिकों के लिए भी घातक हो सकता है क्योंकि यह हर किसी को पता है कि खालिस्तानी आन्दोलन और किसी का नहीं बल्कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का सपना है।
हालांकि पठान जैसी फिल्मों में आईएसआई जैसी संस्थाओं को इंसानियत बचाने वाली संस्था का एजेंडा चलाया जाता है और साथ ही यह भी दिखाया गया है कि खलनायक दरअसल रॉ का पूर्व अधिकारी है।
जबकि आईएसआई का असली चेहरा ऑस्ट्रेलिया एवं कनाडा एवं अन्य देशों में देखा जा सकता है जहां पर वह खालिस्तानी तत्वों के साथ मिलकर भारतीयों के विरुद्ध अभियान चला रही है। आईएसआई के साथ मिलकर उस पंथ के लोग उन लोगों के विरुद्ध खड़े हो रहे हैं, जिन्होनें उस पंथ के गुरुओं की रक्षा के लिए बलिदान दिए थे। कट्टर इस्लामिस्ट एवं खालिस्तानी तत्वों का एकमात्र निशाना भारत अर्थात हिन्दू एवं भारत को आत्मा में बसाए रखने वाले सिख हैं।
इस हमले के गवाहों ने कहा कि खालिस्तानी खुलेआम तलवार एवं लोहे की छड़ें लहरा रहे थे और पूरी सड़कों पर दौड़ रहे थे।
वहीं पूर्व आईएएस अधिकारी संजय दीक्षित ने ऑस्ट्रेलिया में नियुक्त भारतीय अधिकारियों पर प्रश्न उठाते हुए पुछा कि क्या ऐसे अधिकारी भारत की रक्षा कर पाएंगे? उन्होंने ट्वीट करते हुए अधिकारियों की बात की कि तीन मंदिरों में तोड़फोड़ की गयी, मगर एम्बेसडर मनप्रीत वोहरा बीवी नसीम के साथ कल ही मेलबर्न आया और उसके इनफ़ोसिस में एक समारोह में प्रतिभागिता की एवं फिर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया ओपन देखा, भारतीयों और मंदिरों के लिए उनके पास समय नहीं था।
उन्होंने फिर अगले ट्वीट में लिखा कि कैसे अधिकारी आनंद उठाते रहे और भारतीय पिटते रहे, क्या इसी भारत पर की बात कर रहे हैं जयशंकर जी?
इसी बीच भारतीय उच्चायुक्त मनप्रीत वोहरा का बयान सामने आया है जिसमें वह यह कहते हुए दिखाई पड़ रहे हैं कि वह इन घटनाओं से दुखी हैं एवं आहत हैं। उनका कहना है कि वह इसलिए निराश हैं क्योंकि उनकी चेतावनियों के बाद भी इसे रोका नहीं जा सका। ऑस्ट्रेलिया टुडे के जितार्थ भारद्वाज ने भारतीय उच्चायुक्त से बात की एवं यह जानने का प्रयास किया कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
मनप्रीत वोहरा के अनुसार अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि इस हिंसा की जांच की जाएगी
उन्होंने कहा कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हर भारतीय की चिंता है।
ऑस्ट्रेलिया टुडे खालिस्तानी तत्वों के प्रति कई महीनों से आवाज उठा रहा है एवं वह उन तत्वों के विषय में खुलकर लिखता आ रहा है, जो भारत के विरुद्ध खड़े हो रहे हैं। देखना होगा कि इस घटना में दोषियों को क्या दंड मिलता है और कब तक मिलता है?
Well, from now on the high commissioner will always be a Sikh (same way it is in USA). Another nice posting reserved for Sikh from now on, as part of the “appease them at all costs” policy of Modi. How much will he appease:
– Kartarpur corridor
– Repealing farm laws on Nanak’s birthday
– Continuously going to Gurudwaras
– Veer Bal Diwas
– (in past) cabinet post to Harsimran Badal whose party won TWO seats in LS elections in Punjab
Still the Khalistanis are getting more and more brazen, and the Khalistan referendum is in full swing. When will Modi realize that his appeasement is not winning him friends in the Sikh community, at least overseas. There is ZERO overseas ground support for him (and to lesser extent for India).