हर वर्ष 11 जनवरी का दिन भारत के लिए एक ऐसे रहस्य को लेकर आता है, जिस पर बहुत कुछ कहा गया है और कहा जाता रहेगा क्योंकि अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है। भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री, जिन्होनें पकिस्तान को धुल चटा दी थी और जिनके आह्वान पर देश ने एक समय का भोजन छोड़ दिया था। भारत की सेना ने लाहौर की धरती पर कदम रख दिए थे और एक ही इशारे पर वह उस शहर पर अपना अधिकार कर सकती थी।
फिर जब भारत के प्रधानमंत्री रूस में ताशकंद में शांति समझौते के लिए गए थे, तो अचानक से ही उनके निधन का समाचार आया।
इस समाचार पर देश को विश्वास नहीं हुआ था। हो भी नहीं सकता था। कैसे होता? पर यही सत्य था। आखिर ऐसा क्या हुआ था कि स्वस्थ सोए शास्त्री जी और फिर नहीं उठे। कुछ न कुछ तो ऐसा था, जो पूरे देश को गलत लग रहा था। कुछ न कुछ तो ऐसा था, जो देश को लग रहा था कि गड़बड़ है, उसके प्रिय नेता ऐसे नहीं जा सकते हैं।
परन्तु वह उनके प्रिय थे, कुछ लोगों की आँखों में खटकते थे। लाल बहादुर शास्त्री पर पुस्तक लिखने वाले अनुज धर ने अपनी पुस्तक Your Prime Minister is Dead/शास्त्री के साथ क्या हुआ था? में ऐसे ही कई खुलासे किए हैं। उन्होंने आज ट्वीट भी करते हुए लिखा कि
लाल बहादुर शास्त्री की मृत देह और लेनिन की मृत देह के चित्र देखिये, क्या आपको नहीं लगता कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है? हमारी सरकार ने ऑटोप्सी क्यों नहीं कराई?
फिर उन्होंने लिखा कि
इस बात के प्रयास किए गए कि शास्त्री जी के पार्थिव शरीर से उनके परिवार के लोगों को दूर रखा जाए।
और जैसे ही उन्होंने देखा और यह पाया कि कुछ तो गलत है, तो अचानक से कोई आया और चेहरे पर चंदन का लेप लगाकर चला गया। और फिर भी
उन्होने कई तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया कि जब सोवियत एरोफ्लोट इल्ल्युशिन – 18, लाल बहादुर शास्त्री जी की पार्थिव देह को लेकर 1966 में उतरा, तो हर कोई दुखी था, क्या हर कोई?
उन्होंने एक और ट्वीट किया जिसमें लिखा कि वल्लभ भाई पटेल के पुत्र, दह्याभाई पटेल, जो सांसद थे, उन्होंने श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के मामले की जाँच की थी, और उन्होंने कहा था कि यह हत्या हो सकती है, परन्तु किसी ने ध्यान नहीं दिया और उनकी बुकलेट लाइब्रेरी में भी नहीं है: इस बुकलेट में आखिर ऐसा क्या है जो सरकार इतनी डर गयी थी कि यह बाजार से ही गायब करा दी और इसमें ही वह कारण हो सकते थे, जो यह बताते कि श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पीछे कौन था?
एक यूजर ने एक क्लिपिंग साझा की, जिसमें लिखा था कि जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित इस बात से खुश नहीं थीं कि लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बना दिया गया है। उन्होंने संसद में यह कहा था कि आखिर पार्टी ऐसे किसी व्यक्ति को कैसे प्रधानमंत्री बना सकती है, जिसमें “स्पार्क” न हो! और बाद में लिखा था कि दरअसल श्रीमती पंडित ने इसलिए शास्त्री जी को अपमानित किया था क्योंकि वह लाल बहादुर शास्त्री में नहीं बल्कि खुद में “स्पार्क” देखती थीं!
कहते हैं, थोपी हुई महानता अधिक समय तक नहीं चलती है और सत्य को अधिक दिनों तक छिपाकर नहीं रखा जा सकता है। भारत के लाल श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु पर छाए बादलों ने भी धीरे धीरे छंटना आरम्भ कर दिया है। एक साधारण परिवार के व्यक्ति लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने पर एक परिवार विशेष ने जो अपमान किया था, वह धीरे धीरे सामने आने लगा है। षड्यंत्र और कुलीन घृणा की परतें धीरे धीरे खुल रही हैं। अनुज धर की पुस्तक के ही हवाले से लेखक संदीप देव ने लिखा कि
“वह हमारे घर का नौकर प्रधानमंत्री बन गया और मैं ऐसी ही रह गई।” पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के लिए इंदिरा गांधी का वक्तव्य।
स्रोत: राज्य सभा में राजनारायण का बयान, 18 दिसंबर 1970।
एक यूजर ने श्री लाल बहादुर शास्त्री की अंतिम तस्वीर साझा की:
किसी भी देश के लिए उसके प्रधानमंत्री का निधन एक ऐसी क्षति होती है, जिससे उबरना अत्यंत कठिन होता है, और वह भी ऐसे प्रधानमंत्री का निधन, जिन्होनें देश की आत्मा को अनुभव किया है, जिन्होनें किसानों और जवानों दोनों को समान मानकर एक नारा दिया, जिसने पूरे देश में एक नई क्रान्ति को ही जन्म दे दिया था। जिनका जीवन पारदर्शी हो, जो सहज हों, और जिनसे जनता वास्तव में जुड़ाव अनुभव करती हो कि एक आह्वान पर एक समय का भोजन छोड़ दे!
क्या कभी इस बात से पर्दा उठ सकेगा कि उस रात क्या हुआ था? उनके रसोइये को हिरासत में लिया गया था। यहाँ तक कि राज नारायण इन्क्वायरी भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँची थी। यहाँ तक कि संसद की लाइब्रेरी में कहीं भी यह रिपोर्ट नहीं है।
प्रश्न कई है, बादल घिरे हुए हैं, और जनता अब भी प्रतीक्षा में है कि उत्तर मिलने चाहिए! आज हालांकि कांग्रेस के कई लोगों ने श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को स्मरण किया, परन्तु इस बात का उत्तर किसी के पास नहीं है कि आखिर उनकी मृत्यु से सम्बन्धित दस्तावेज़ कांग्रेस सरकार ने ही क्यों गायब कराए?