दिल्ली पुलिस ने प्रधानमंत्री कार्यालय में किसी अधिकारी का नाम लेकर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। यह बात तब संज्ञान में आई जब फर्नीचर डिजाइन करने वाले एक डिज़ाईनर कुनाल मर्चेंट ने यह दावा किया कि उनके पास प्रधानमंत्री कार्यालय से किसी विवेक कुमार का मेल आया था, जिसमें कुमार ने कहा था कि कुनाल मर्चेंट को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा प्रधानमंत्री के प्रयोग के लिए विशेष रूप से एक मेज बनाने के लिए चुना गया है।
इस डेस्क को प्रधानमंत्री कार्यालय में रखा जाएगा और उनके उपरान्त आने वाले प्रधानमंत्री द्वारा प्रयोग किया जाएगा।
और इसके साथ ही उन्होंने कई ईमेल की तस्वीरें अपने इन्स्टाग्राम पर शेयर की थीं, जो चौबीस घंटों के बाद हट चुकी है और उन्होंने उसमे दावा किया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय से उनके पास मेल आया और उन्होंने क्या जबाव दिया। मगर जैसे ही यह स्टोरी वायरल हुई, वैसे ही पुलिस हरकत में आई और धोखेधडी की एक रिपोर्ट दिल्ली पुलिस में दर्ज की गयी।
कुनाल मर्चेंट ने इस्लामी और वामपंथी स्क्रिप्ट का प्रयोग किया
कुनाल मर्चेंट ने अपनी एक और भी कथित सेक्युलर छवि बनाने के लिए उस उत्तर को भी पोस्ट किया था, जो उन्होंने कथित रूप से उस ईमेल को दिया था। चूंकि कुनाल एक गांधीवादी हैं, तो इसके लिए उनका यह स्वाभाविक दृष्टिकोण है कि वह नरेंद्र मोदी सरकार का विरोध करें। और इसके साथ ही अपना सेक्युलर ज्ञान भी प्रदर्शित करें। तो उन्होंने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि वह किसी भी स्थिति में ऐसी सरकार के साथ काम नहीं कर सकते हैं, जो मुस्लिमों के प्रति हिंसा दिखाती है।
उन्होंने लिखा कि जब मेरे देश की 20% जनसँख्या और 22% साथी मुस्लिम लोग बहुत ही बुरी स्थिति में रह रहे हैं, तो ऐसे में मेरे लिए यह अनैतिक होगा कि मैं ऐसी सरकार के साथ काम करूँ जो इस भेदभाव और अलगाववाद की नीतियों को बढ़ाने वाली नीतियों पर काम कर रही है।
उन्होंने लिखा कि यह याद रखा जाए कि इतिहास में नाजियों का समर्थन करने वालों को नाजी ही कहा जाता है, तो मैं ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहूँगा कि जिसके कारण आने वाला समय मुझे आपके नस्लभेदी, फासीवादी और दमनकारी नीतियों का समर्थक बताए।
एक डिज़ाईनर के रूप में मैं अपने आसपास के लोगों के जीवन को सुधारना चाहता हूँ!
वामपंथी और इस्लामी मीडिया ने हाथों हाथ लपका इसे
जैसे ही यह स्टोरी वायरल हुई, वैसे ही इस स्टोरी को वामपंथी और इस्लामी मीडिया ने लपक लिया और सियासत डेली जैसे पोर्टल्स ने पहले यह शीर्षक दिया कि “आपका भारत नफरत से भरा हुआ है: कुनाल मर्चेंट ने मोदी के लिए मेज बनाने से इंकार किया” हालांकि जब पुलिस ने इस मामले में धोखेधडी की रिपोर्ट दर्ज की तो उन्होंने अपनी स्टोरी का शीर्षक बदल दिया।
और अब इसका शीर्षक है कि डिज़ाईनर ने दावा किया कि उसे प्रधानमंत्री के लिए मेज बनाने का अनुरोध प्राप्त हुआ, पुलिस के अनुसार यह फर्जी है!”
जैसे ही उसकी यह स्टोरी वायरल हुई, वैसे ही मोदी विरोधी गैंग से उसे समर्थन मिलने लगा और उन्हें एक क्रांतिकारी बनाकर प्रस्तुत किया जाने लगा।
जहाँ एक ओर कुनाल मर्चेंट ने यह कहकर महान बनने का अभिनय किया कि उनहोंने प्रधानमंत्री कार्यालय से आया हुआ अनुरोध ठुकरा दिया तो वहीं पुलिस ने उन्हें यह बताया कि वह झूठ बोल रहे हैं। क्या सही है और क्या गलत और यह किसने किया है, यह तो पुलिस की जांच के बाद ही पता चलेगा, परन्तु जिस प्रकार से मोदी विरोधी गैंग सक्रिय हुआ और जिस प्रकार से एक विशेष मीडिया सक्रिय हुआ, उससे कहीं न कहीं ऐसी शंका उत्पन्न होती है कि कहीं यह कोई सोच समझ कर उठाया गया कदम तो नहीं है?
क्योंकि सोशल मीडिया यूजर्स के अनुसार कुनाल द्वारा साझा किए गए पत्र में कई ऐसी गलतियाँ हैं, जिनकी अपेक्षा प्रधानमंत्री कार्यालय से नहीं हो सकती है:
वहीं कुछ लोगों ने दावा किया कि ऐसा कोई ईमेल है ही नहीं:
लोगों का कहना है कि इस मामले में दोषी पर शीघ्र ही कार्यवाही होनी चाहिए!